Muse Software System: यूरोप के कई बड़े और व्यस्त हवाई अड्डों पर हाल ही में कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला, जब एक साइबर अटैक ने एयरपोर्ट सिस्टम को जड़ से हिला दिया. लंदन का हीथ्रो, ब्रुसेल्स और बर्लिन जैसे महत्वपूर्ण एयरपोर्ट्स चेक-इन से लेकर बोर्डिंग तक की मूलभूत सेवाएं देने में विफल हो गए.
ब्रुसेल्स एयरपोर्ट पर अकेले 10 फ्लाइट्स कैंसिल करनी पड़ीं और 17 उड़ानों में देरी हुई. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अन्य हवाई अड्डों की स्थिति भी कुछ अलग नहीं रही. इस पूरी तकनीकी गड़बड़ी के पीछे है एक सॉफ्टवेयर, MUSE जो आम लोगों के लिए भले अनजान नाम हो, लेकिन हवाई अड्डों की टेक्नोलॉजी में यह रीढ़ की हड्डी की तरह काम करता है. इसे बनाया है Collins Aerospace, जो वैश्विक रक्षा एवं एयरोस्पेस कंपनी RTX का हिस्सा है.
MUSE सॉफ्टवेयर क्या है और क्यों है इतना जरूरी?
Tech Times की रिपोर्ट के अनुसार, MUSE (Multi-User System Environment) एक ऐसा सिस्टम है, जो एयरपोर्ट्स पर इलेक्ट्रॉनिक चेक-इन, बैगेज टैगिंग, बोर्डिंग पास वेरिफिकेशन जैसे महत्वपूर्ण कामों को संभालता है.
यह एयरलाइनों को खुद के काउंटर या सिस्टम रखने की मजबूरी से राहत देता है. एक ही गेट और काउंटर से मल्टीपल एयरलाइंस काम कर सकती हैं. इससे समय और लागत दोनों की बचत होती है.
साइबर हमले का असर क्या रहा?
MUSE सिस्टम पर साइबर अटैक होने से हवाई अड्डों पर टेक्नोलॉजी आधारित हर सुविधा एक झटके में बंद हो गई:
MUSE सिस्टम क्यों बना आसान लेकिन संवेदनशील टारगेट?
चूंकि यह कई एयरलाइनों और हजारों यात्रियों की जानकारी को एकसाथ प्रोसेस करता है, यह एक सेंट्रलाइज्ड पॉइंट ऑफ फेल्योर बन गया है, यानि अगर यह एक जगह फेल हो, तो कई एयरपोर्ट्स प्रभावित हो सकते हैं. और यही बात साइबर हमलावरों को आकर्षित करती है.
MUSE सिस्टम के फायदे क्या हैं?
लागत में कमी: अलग-अलग एयरलाइंस को अलग ढांचा नहीं चाहिए.
संसाधनों का बेहतर उपयोग: स्टाफ को कम या ज्यादा किया जा सकता है.
डेटा की एकरूपता: सुरक्षा एजेंसियों को यात्रियों की जानकारी तक आसान और त्वरित पहुंच मिलती है.
अब आगे क्या?
Collins Aerospace ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए साइबर सुरक्षा पर विशेष काम किया जा रहा है. लेकिन इस घटना ने एयर ट्रैवल इंडस्ट्री को एक स्पष्ट चेतावनी दी है: टेक्नोलॉजी जितनी फायदेमंद है, उतनी ही नाजुक भी.
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