नोएडा के रहने वाले इन दिनों आवारा और पालतू कुत्तों के हमलों से जूझ रहे हैं. शहर में कुत्तों के काटने की घटनाएं इतनी बढ़ गई हैं कि आम लोग अब घर से बाहर निकलने में भी डरते हैं. खासकर बच्चों और महिलाओं के लिए यह स्थिति और भी भयावह हो गई है. अस्पतालों में रोजाना करीब 500 लोग कुत्तों के काटने के बाद एंटी-रेबीज इंजेक्शन लगवाने आ रहे हैं, जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है.
पांच महीने में 74,550 मामले
गौतम बुद्ध नगर के डिप्टी सीएमओ टीकम सिंह के अनुसार, जनवरी 2025 से मई 2025 के बीच कुत्तों के काटने के 74,550 मामले दर्ज हुए हैं. महीने के हिसाब से आंकड़े इस प्रकार हैं: जनवरी में 13,559, फरवरी में 15,830, मार्च में 15,131, अप्रैल में 15,286 और मई में 14,744 लोग कुत्तों के हमलों का शिकार बने. यह संख्या बेहद चिंताजनक है और शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है.
आवारा और पालतू दोनों कुत्ते कर रहे अटैक
अधिकांश मामलों में (लगभग 52,700) आवारा कुत्ते ही लोगों को काट रहे हैं, लेकिन पालतू कुत्तों के हमले भी कम नहीं हैं. करीब 16,400 मामले ऐसे हैं जिनमें पालतू कुत्ते अपने मालिकों या आसपास के लोगों पर हमला कर चुके हैं. यह दर्शाता है कि न केवल आवारा कुत्ते, बल्कि पालतू जानवर भी शहर में दहशत फैला रहे हैं.
अन्य जानवरों के हमले भी बढ़े
कुत्तों के अलावा नोएडा में बिल्ली और बंदर के हमलों के मामले भी सामने आए हैं. पिछले पांच महीनों में बिल्ली के काटने के 1100 से अधिक और बंदर के काटने के लगभग 3800 मामले दर्ज हुए हैं. इससे पता चलता है कि शहर में जानवरों के हमले का खतरा कई रूपों में लोगों के लिए बड़ा संकट बन गया है.
क्या है समाधान?
इस समस्या से निपटने के लिए प्रशासन को तत्काल प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है. आवारा कुत्तों के लिए नियंत्रण और टीकाकरण कार्यक्रम तेज करने होंगे. साथ ही पालतू कुत्तों के मालिकों को जिम्मेदारी से पालन करना जरूरी है ताकि वे अपने पालतू जानवरों को नियंत्रित रख सकें. नोएडा के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन जल्द इस समस्या पर नियंत्रण पाए और शहर को इस जानवरों के आतंक से मुक्त करे ताकि लोग सुरक्षित महसूस कर सकें और अपना जीवन सामान्य रूप से जी सकें.
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