क्या आपको आती है हिंदी? तो Facebook दे रहा हर घंटे 5500 रुपए, जानें कैसे उठाए लाभ

    Online Facebook Job: आज के दौर में अगर आप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जानकार हैं और आपको हिंदी या कुछ खास विदेशी भाषाएं जैसे इंडोनेशियन, स्पैनिश या पुर्तगाली आती हैं, तो आपके लिए हर दिन ₹1.2 लाख कमाना कोई मुश्किल काम नहीं है.

    Do you know Hindi Then Facebook is giving you 5500 rupees per hour know how to avail the benefits
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    Online Facebook Job: आज के दौर में अगर आप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जानकार हैं और आपको हिंदी या कुछ खास विदेशी भाषाएं जैसे इंडोनेशियन, स्पैनिश या पुर्तगाली आती हैं, तो आपके लिए हर दिन ₹1.2 लाख कमाना कोई मुश्किल काम नहीं है. जी हां, ये कोई सपना नहीं, बल्कि फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप की पेरेंट कंपनी Meta खुद ऐसे एक्सपर्ट्स की तलाश में है, वो भी मोटी सैलरी और इंटरनेशनल मौके के साथ.

    Meta दुनिया भर में अपने AI चैटबॉट्स को अलग-अलग भाषाओं और संस्कृति के अनुसार तैयार कर रहा है. इसके लिए कंपनी ऐसे डेवेलपर्स की तलाश कर रही है, जो न सिर्फ AI और Prompt Engineering के माहिर हों, बल्कि हिंदी में गहराई से संवाद कर सकें, कहानियाँ सुनाने की कला जानते हों, और टेक्नोलॉजी में 'ह्यूमन टच' जोड़ सकें.

    क्यों चाहिए Meta को हिंदी बोलने वाले AI एक्सपर्ट?

    भारत Meta के लिए सबसे बड़ा बाजार बन चुका है, इसलिए हिंदी पहली प्राथमिकता है. यही कारण है कि Mark Zuckerberg खुद इस दिशा में विशेष ध्यान दे रहे हैं और देश-विदेश से टैलेंटेड AI प्रोफेशनल्स को अपनी टीम में जोड़ रहे हैं.

    कितनी होगी कमाई?

    Meta द्वारा पेश की जा रही जॉब ऑफर में हर घंटे की फीस ₹5,000 तक है, यानी एक दिन में ₹1.2 लाख तक की कमाई संभव है.  अगर आप सभी योग्यताओं पर खरे उतरते हैं, तो आपको अमेरिका तक बुलाया जा सकता है

    कौन लोग कर सकते हैं अप्लाई?

    Meta उन प्रोफेशनल्स को प्राथमिकता दे रहा है जो हिंदी (या अन्य टारगेट भाषाएं) में दक्ष हों, Prompt Engineering में एक्सपर्ट हों, कहानियों या भावनात्मक संवाद को टेक्स्ट में ढालने का अनुभव रखते हों, AI को मानवीय बनाने की सोच और समझ रखते हों.

    क्यों बढ़ रही है Human Intelligence को लेकर चिंता?

    AI के विस्तार के साथ-साथ Human Intelligence को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं. हाल ही में रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि Meta के चैटबॉट ने किशोरों के साथ अप्रिय संवाद किए और दवाओं से जुड़ी गलत जानकारी भी साझा की.

    ऐसे में यह ज़रूरी हो गया है कि AI को और ज़िम्मेदार, संवेदनशील और संस्कृति-सम्मत बनाया जाए, और यही काम ऐसे AI डेवेलपर्स का होगा, जो केवल कोड नहीं, बल्कि सोच और समझ को भी मशीनों तक पहुंचा सकें.

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