अगर आप या आपके बच्चे भी दिन-रात पबजी जैसे गेम्स में डूबे रहते हैं, तो यह खबर चेतावनी से कम नहीं. दरअसल दिल्ली में एक बच्चे को पबजी गेम की लत ने उसे ऑपरेशन थियेटर पहुंचा दिया है. बता दें कि राजधानी दिल्ली में एक स्कूली छात्र हर दिन 12-13 घंटे अपने कमरे में अकेले बैठकर पबजी खेलता था. शुरुआत में यह बस एक आदत थी, लेकिन धीरे-धीरे यह ज़िंदगी की सबसे बड़ी बीमारी में बदल गई. उसकी पीठ टेढ़ी होने लगी, चलते-चलते लड़खड़ाता और फिर एक दिन यूरीन पर कंट्रोल खो बैठा. जब डॉक्टरों ने जांच की, तो पता चला कि वो स्पाइनल टीबी और काइफो-स्कोलियोसिस से पीड़ित हो चुका है.
नयी दिल्ली स्थित 'भारतीय स्पाइनल इंजरी सेंटर' (आईएसआईसी) के एक बयान के अनुसार, अत्यधिक गेमिंग के कारण रीढ़ की हड्डी में गंभीर 'काइफो-स्कोलियोटिक' विकृति उत्पन्न हो गई. आईएसआईसी में रीढ़ की हड्डी से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रमुख डॉ. विकास टंडन ने कहा, "यह दोहरी जटिलता स्पाइनल टीबी की खराब स्थिति और गेमिंग की लत के मनोवैज्ञानिक प्रभाव के कारण उत्पन्न हुई जो चुनौतीपूर्ण मामला था. रीढ़ की हड्डी में गंभीर विकृति आ गई थी, कॉर्ड दब गया था और स्थायी रूप से विकलांग होने का खतरा था."
गेमिंग लत कैसे बन सकती है जानलेवा?
लगातार घंटों तक एक ही पोजिशन में बैठने और मोबाइल स्क्रीन में झुके रहने से शरीर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और रीढ़ पर खतरनाक दबाव पड़ता है. गेमिंग और मोबाइल की लत से कई जानलेवा बीमारी हो सकती है. इससे सिर्फ फिजिकल ही नहीं, बल्कि मानसिक खतरा भी है. ऐसे बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं, सामाजिक संपर्क टूटता है, और उनकी पढ़ाई-लिखाई पूरी तरह प्रभावित होती है. इससे कई बीमारियां हो सकती हैं.
1. रीढ़ की विकृति (काइफो-स्कोलियोसिस)
2. स्पाइनल कॉर्ड पर दबाव - लकवे जैसे लक्षण
3. हाथ-पैरों में सुन्नपन और झनझनाहट
4. स्लिप डिस्क और स्पोंडिलोसिस
5. ऑर्गन कंट्रोल का नुकसान
इससे बचाव के कुछ उपाय हैं.
1. बच्चों को स्क्रीन टाइम सीमित कर दें
2. हर घंटे पर ब्रेक लेना जरूरी बनाएं
3. खेल-कूद और आउटडोर एक्टिविटीज बढ़ाएं
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