भारत ने तुर्की के दुश्मन से की डिफेंस डील, दे सकता है 'निर्भय' मिसाइल, डर से बौखलाए एर्दोगन!

    भारत और ग्रीस के बीच बढ़ता रक्षा सहयोग वैश्विक रणनीतिक हलकों का ध्यान खींच रहा है, विशेष रूप से ऐसे समय में जब पूर्वी भूमध्यसागर क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी हुई है.

    Defense deal between India and Greece
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    नई दिल्ली: भारत और ग्रीस के बीच बढ़ता रक्षा सहयोग वैश्विक रणनीतिक हलकों का ध्यान खींच रहा है, विशेष रूप से ऐसे समय में जब पूर्वी भूमध्यसागर क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी हुई है. दोनों देश रक्षा क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं, और हालिया घटनाक्रम संकेत देते हैं कि यह साझेदारी अब तकनीकी सहयोग और सैन्य हार्डवेयर के संभावित हस्तांतरण तक पहुंच रही है.

    भारत और ग्रीस के बीच गहराता सहयोग

    पिछले कुछ वर्षों में भारत और ग्रीस के बीच द्विपक्षीय संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एथेंस यात्रा, और उसके बाद ग्रीस के शीर्ष नेताओं के भारत दौरे ने द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को मजबूत किया है. हाल ही में भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह की ग्रीस यात्रा ने भी इस सहयोग को नई गति दी है.

    भारत और ग्रीस दोनों फ्रांस निर्मित राफेल लड़ाकू विमानों का उपयोग करते हैं और साझा सैन्य अभ्यासों में भाग ले रहे हैं. इनमें भारत का ग्रीस-आयोजित बहुपक्षीय अभ्यास INIOCHOS-25, और ग्रीस की भारतीय अभ्यास तरंग शक्ति फेज 2 (जोधपुर) में भागीदारी उल्लेखनीय रही है.

    'निर्भय' मिसाइल को लेकर संभावित चर्चा

    रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कुछ रिपोर्ट्स में संकेत मिले हैं कि भारत की ‘निर्भय’ सब-सोनिक क्रूज़ मिसाइल को ग्रीस के साथ साझा किया जा सकता है. यह मिसाइल लगभग 1,000 किमी की रेंज में उच्च सटीकता से लक्ष्य भेदने में सक्षम है और इसे भारत की DRDO ने विकसित किया है.

    ग्रीस की राजधानी एथेंस में हाल में संपन्न DEFEA-25 रक्षा प्रदर्शनी में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी के दौरान इस मिसाइल को प्रदर्शित किया गया था. हालांकि, दोनों देशों की सरकारों ने इस विषय पर कोई औपचारिक पुष्टि नहीं की है.

    पूर्वी भूमध्यसागर में सामरिक संदर्भ

    भारत और ग्रीस के बीच यह बढ़ता सैन्य सहयोग ऐसे समय में हो रहा है जब ग्रीस और तुर्किये के बीच एजियन सागर में समुद्री सीमा, हवाई क्षेत्र और प्राकृतिक संसाधनों को लेकर विवाद जारी है. दोनों NATO सदस्य होने के बावजूद, इनके बीच तनाव कई बार सैन्य टकराव की कगार तक पहुँच चुका है.

    साइप्रस का मुद्दा भी इन संबंधों को और जटिल बनाता है. तुर्किये ने 1974 में साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर सैन्य नियंत्रण स्थापित किया था, जो आज तक एक विभाजनित स्थिति में है. भारत की साइप्रस के साथ बढ़ती निकटता को भी कुछ पर्यवेक्षक रणनीतिक रूप में तुर्की के प्रति संतुलन साधने की कोशिश के रूप में देखते हैं.

    तुर्किये की प्रतिक्रिया और भारत की स्थिति

    तुर्की के कुछ समाचार माध्यमों, जैसे TRHaber, ने दावा किया है कि भारत द्वारा ग्रीस को ‘निर्भय’ मिसाइल देने की संभावना तुर्किये के खिलाफ एक सैन्य संतुलन बनाने की रणनीति हो सकती है. ये रिपोर्टें वायुसेना प्रमुख की यात्रा और हालिया द्विपक्षीय सैन्य गतिविधियों के बाद सामने आई हैं.

    हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि वह सभी रक्षा सहयोग अंतरराष्ट्रीय नियमों और क्षेत्रीय स्थिरता के सिद्धांतों के तहत करता है. भारत का रुख रहा है कि सभी देशों को संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए.

    पाकिस्तान-तुर्की रक्षा संबंध और भारत की चिंताएं

    भारत को यह भी चिंताजनक लगता है कि तुर्किये पाकिस्तान को सैन्य सहायता प्रदान कर रहा है, जिसमें UAVs (ड्रोन), ट्रेनिंग और तकनीकी सहयोग शामिल है. मई 2025 में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान की ओर से तुर्की-निर्मित ड्रोन का उपयोग किया गया था, जिन्हें भारतीय वायुसेना ने सफलतापूर्वक निष्क्रिय किया.

    यह घटनाक्रम भारत के लिए यह संकेत है कि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से तुर्की-पाकिस्तान सहयोग पर नजर बनाए रखना आवश्यक है.

    भविष्य की दिशा: सहयोग या प्रतिस्पर्धा

    भारत और ग्रीस की रणनीतिक साझेदारी केवल रक्षा उपकरणों तक सीमित नहीं है. यह हिंद महासागर से लेकर भूमध्य सागर तक वैश्विक समुद्री स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था को बनाए रखने के लिए एक साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

    ग्रीस के पूर्व राजनयिक लियोनिदास क्रिसेंटोप के अनुसार, भारत और ग्रीस के संयुक्त सैन्य अभ्यास अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश देते हैं कि क्षेत्रीय विस्तारवाद और आक्रामक सैन्य रणनीतियों को स्वीकार नहीं किया जाएगा.

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