और इन्हें कश्मीर चाहिए... पाकिस्तान में सेना और पुलिस के बीच झड़प, मार पड़ी तो भागे मुनीर के सैनिक

    भारत-पाक तनाव के बीच पाकिस्तान के भीतर ही एक असामान्य स्थिति देखने को मिली है. खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के लक्की मारवात जिले में सेना और स्थानीय पुलिस बल के बीच टकराव की खबर सामने आई है. घटना को स्थानीय अधिकार क्षेत्र और संचालन संबंधी मतभेदों से जोड़कर देखा जा रहा है.

    And they want Kashmir... Clash between army and police in Pakistan, Munir's soldiers ran away after being beaten
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    इस्लामाबाद: भारत-पाक तनाव के बीच पाकिस्तान के भीतर ही एक असामान्य स्थिति देखने को मिली है. खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के लक्की मारवात जिले में सेना और स्थानीय पुलिस बल के बीच टकराव की खबर सामने आई है. घटना को स्थानीय अधिकार क्षेत्र और संचालन संबंधी मतभेदों से जोड़कर देखा जा रहा है.

    क्या हुआ लक्की मारवात में?

    स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान सेना और खैबर पख्तूनख्वा पुलिस के बीच कथित अधिकार क्षेत्र के उल्लंघन को लेकर विवाद हुआ. इस दौरान पुलिस अधिकारियों ने सेना के कुछ कर्मियों पर स्थानीय प्रशासनिक क्षेत्र में अनधिकृत प्रवेश का आरोप लगाया.

    घटनास्थल पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने सुरक्षात्मक रूप से थाने की घेराबंदी की और हथियारों से लैस होकर स्थिति को नियंत्रित किया. हालांकि, किसी प्रकार की हिंसक झड़प की पुष्टि नहीं हुई है. न ही कोई गिरफ्तारी या हताहत की जानकारी सामने आई है.

    सुरक्षा एजेंसियों के बीच तालमेल पर सवाल

    विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना पाकिस्तान की सुरक्षा और प्रशासनिक एजेंसियों के बीच बढ़ते तनाव और तालमेल की कमी को उजागर करती है. यह असहमति सिर्फ स्थानीय स्तर तक सीमित न रहकर, अगर समय रहते सुलझाई न गई, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र के भीतर अस्थिरता का संकेत बन सकती है.

    स्थानीय पुलिस का कड़ा रुख

    सूत्रों के अनुसार, मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने सेना के जवानों को अपने अधिकार क्षेत्र का सम्मान करने की चेतावनी दी. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में कुछ पुलिसकर्मी सेना के जवानों को लकी मारवात की पुलिस की सख्ती की याद दिलाते नजर आते हैं. हालांकि, इन वीडियो की प्रामाणिकता की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है.

    प्रशासनिक प्रतिक्रिया का इंतजार

    घटना के बाद अभी तक पाकिस्तान सरकार या सेना की ओर से कोई औपचारिक बयान नहीं आया है. वहीं, नागरिक समाज और राजनीतिक विश्लेषक इस पूरे प्रकरण को संविधान के भीतर सभी सुरक्षा संस्थाओं के संतुलन और पारदर्शिता की आवश्यकता से जोड़कर देख रहे हैं.

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