आगामी सितंबर महीने की शुरुआत में नेपाल और चीन की सेनाएं एक साझा आतंकवाद-रोधी अभ्यास करने जा रही हैं. यह अभ्यास नेपाल की धरती पर आयोजित किया जाएगा, जिसमें दोनों देशों की सेना मिलकर विभिन्न सैन्य अभियानों की तैयारी करेंगी. चीन के रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की है कि इस अभ्यास का मकसद न सिर्फ आतंकवाद से निपटना होगा, बल्कि इसमें आपदा प्रबंधन और शांति मिशनों की ट्रेनिंग भी दी जाएगी.
चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता झांग शियाओगांग ने जानकारी दी कि यह चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) और नेपाली सेना के बीच अब तक का पांचवां संयुक्त सैन्य अभ्यास होगा. उनके अनुसार, इस प्रकार की सहयोगी पहल दोनों देशों की सेनाओं के बीच विश्वास और सामरिक समन्वय को और मज़बूत करेगी.
नेपाल के प्रधानमंत्री का चीन दौरा
इसी बीच, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भी चीन की आधिकारिक यात्रा पर निकलने वाले हैं. उनका यह दौरा पांच दिनों का होगा, जिसकी शुरुआत शनिवार से हो रही है. इस दौरान वे चीन के शहर तियानजिन में होने वाले ‘SCO प्लस’ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. गौरतलब है कि नेपाल शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का वार्ता साझेदार है, जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान जैसे प्रमुख देश शामिल हैं.प्रधानमंत्री ओली इस यात्रा में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात करेंगे और 1 सितंबर को सम्मेलन को संबोधित करेंगे. साथ ही वे 3 सितंबर को बीजिंग में आयोजित द्वितीय विश्व युद्ध की विजय परेड में भी शामिल होंगे. यह परेड जापान के खिलाफ जीत की स्मृति में आयोजित की जा रही है.
चीन-जापान संबंधों में फिर तनाव
हालांकि, इस परेड को लेकर चीन और जापान के बीच फिर से कूटनीतिक गर्माहट देखने को मिल रही है. जापान का आरोप है कि यह आयोजन जापान-विरोधी भावनाओं को बढ़ावा देने वाला है, और उसने विश्व नेताओं से इसमें भाग न लेने की अपील की है. चीन ने जापान के इस रुख को लेकर आधिकारिक विरोध भी दर्ज कराया है.फिर भी, इस परेड में नेपाल के प्रधानमंत्री ओली के अलावा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की भी भागीदारी तय मानी जा रही है.
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