बीजिंग: चीन राजधानी बीजिंग के समीप एक अत्याधुनिक और व्यापक सैन्य परिसर का निर्माण कर रहा है, जिसे विशेषज्ञ "मिलिट्री सिटी" कह रहे हैं. अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, यह संरचना रणनीतिक रूप से न केवल उन्नत कमांड और कंट्रोल केंद्र के रूप में काम करेगी, बल्कि परमाणु हमले जैसे चरम युद्धकालीन परिदृश्यों से भी सुरक्षित रहेगी.
बताया गया है कि यह सैन्य आधारभूत संरचना अमेरिका के पेंटागन की तुलना में कई गुना बड़ी है. पेंटागन जहां अब तक दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य प्रशासनिक इमारत माना जाता रहा है, वहीं चीन की यह नई परियोजना संभवतः आने वाले वर्षों में वैश्विक सैन्य संतुलन को प्रभावित कर सकती है.
गोपनीयता के साथ हो रहा निर्माण
ब्रिटिश समाचार पत्र द सन और फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्टों में बताया गया है कि यह सैन्य परिसर बीजिंग से लगभग 20 मील दक्षिण-पश्चिम में स्थित है. निर्माण कार्य 2024 की पहली छमाही में आरंभ हुआ, हालांकि इसकी प्रारंभिक तैयारी 2023 में देखी गई थी, जब भूमि को साफ किया गया और सुरंगों तथा सड़कों का जाल बिछाया गया.
गोपनीयता को लेकर बेहद सतर्कता बरती जा रही है — ड्रोन, कैमरे और बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध है. परिसर के चारों ओर मजबूत सुरक्षा दीवार बनाई गई है, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि चीन इस क्षेत्र को अत्यधिक संवेदनशील मानता है.
परमाणु हमलों से सुरक्षा और भविष्य की सैन्य रणनीति
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह परिसर किसी भी संभावित परमाणु हमले को झेलने में सक्षम होगा. इसके तहत भूमिगत बंकर, कमांड सेंटर और वैकल्पिक संचार नेटवर्क विकसित किए जा रहे हैं, जिससे किसी भी आपात स्थिति में सैन्य संचालन को निर्बाध रखा जा सके.
एक पूर्व अमेरिकी खुफिया अधिकारी के अनुसार, यह नई सुविधा चीन के वेस्टर्न हिल्स कमांड सेंटर की जगह ले सकती है, जिसे शीत युद्ध काल से रणनीतिक संचालन का मुख्य केंद्र माना जाता था.
आधिकारिक पुष्टि नहीं, लेकिन संकेत स्पष्ट
चीनी सरकार की ओर से इस परियोजना को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है. न ही इसकी पुष्टि चीनी दूतावासों द्वारा की गई है. हालांकि, सैटेलाइट इमेज और खुफिया इनपुट इस बात की पुष्टि करते हैं कि निर्माण कार्य व्यापक स्तर पर चल रहा है.
विश्लेषकों का मानना है कि शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन अपने परमाणु शस्त्रागार और युद्ध-संबंधी संरचनाओं को न केवल विस्तार दे रहा है, बल्कि उन्हें अदृश्यता और उत्तरजीविता की दृष्टि से भी अधिक प्रभावी बना रहा है.
क्या यह तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी है?
हालांकि यह कहना अतिशयोक्ति होगा कि यह निर्माण सीधे तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी है, परंतु यह जरूर स्पष्ट है कि चीन रणनीतिक स्वायत्तता और संकट प्रबंधन क्षमताओं को मज़बूती देने में जुटा है. ऐसे हाई-सेक्योरिटी प्रोजेक्ट्स वैश्विक शक्ति संतुलन और डिटरेंस (निवारण) पॉलिसी का हिस्सा होते हैं.
परमाणु हथियार रखने वाले देशों के लिए यह आवश्यक होता है कि वे सिर्फ आक्रामक क्षमता ही नहीं, बल्कि उत्तरजीविता और निर्णय लेने की निरंतरता सुनिश्चित करने वाली संरचनाएं भी विकसित करें. चीन की यह "मिलिट्री सिटी" उसी दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा सकती है.
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