Chandra Grahan 2025: आसमान का विस्तार हमें हमेशा कुछ नया दिखाता है, लेकिन इस साल 7-8 सितंबर की रात का नजारा बेहद खास होने वाला है. उस रात का पूर्ण चंद्र ग्रहण चांद को गहरे लाल रंग में बदल देगा और दुनिया इसे "ब्लड मून" के नाम से याद करेगी. यह वर्ष 2025 का दूसरा पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और खास बात यह है कि यह हार्वेस्ट मून यानी शरद विषुव के करीब आने वाली पूर्णिमा के साथ मेल खाएगा.
ब्लड मून क्यों होता है खास?
ब्लड मून तभी बनता है जब धरती, सूर्य और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं. उस समय पृथ्वी सूरज की सीधी रोशनी को रोक देती है और केवल वायुमंडल से छनकर निकली हुई लाल-नारंगी रोशनी ही चांद तक पहुंच पाती है. यही कारण है कि ग्रहण के दौरान चंद्रमा चमकदार लाल रंग में बदल जाता है. इस बार का ब्लड मून और भी खास है क्योंकि यह चांद पेरिजी (पृथ्वी के सबसे नजदीकी बिंदु) के आसपास होगा. ऐसे में यह सामान्य से बड़ा और अधिक चमकदार दिखाई देगा.
चंद्र ग्रहण कब और कैसे लगता है?
पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और चंद्रमा पृथ्वी की. जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच पूरी तरह से संरेखित हो जाते हैं और पृथ्वी की छाया चांद पर पड़ती है, तब चंद्र ग्रहण लगता है.
यह खगोलीय घटना केवल पूर्णिमा के दिन होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा आती है और ऐसे ही अवसरों पर चंद्र ग्रहण संभव होता है.
साल में कितने चंद्र ग्रहण हो सकते हैं?
सैद्धांतिक रूप से हर पूर्णिमा पर ग्रहण लग सकता है, लेकिन ऐसा नहीं होता. चंद्रमा की कक्षा पृथ्वी की कक्षा से करीब 5 डिग्री झुकी हुई है. इस कारण चंद्रमा अक्सर पृथ्वी की छाया से ऊपर या नीचे निकल जाता है. औसतन हर साल 2 से 4 चंद्र ग्रहण ही देखने को मिलते हैं.
चंद्र ग्रहण के प्रकार
खगोल विज्ञान के अनुसार, चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं:
आंशिक चंद्र ग्रहण – जब चांद का केवल कुछ हिस्सा पृथ्वी की छाया में आता है.
पूर्ण चंद्र ग्रहण – जब पूरा चंद्रमा पृथ्वी की छाया से ढक जाता है और लाल रंग में बदल जाता है.
उपछाया चंद्र ग्रहण – जब चंद्रमा केवल पृथ्वी की हल्की छाया से गुजरता है और धुंधला दिखता है.
7-8 सितंबर की रात होने वाला ग्रहण एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, यानी पूरा चंद्रमा लाल रंग में नहाया दिखाई देगा.
भारत में कब और कहां दिखेगा ब्लड मून 2025?
नासा की रिपोर्ट के अनुसार, यह ग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कुछ हिस्सों में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा.
भारत में यह नजारा रात 11:00 बजे से लेकर 12:22 बजे (IST) तक देखा जा सकेगा. लगभग 82 मिनट तक चांद पूरी तरह लाल रंग में डूबा रहेगा. चीन, जापान, थाईलैंड और ईरान जैसे देशों में भी यह खूबसूरत दृश्य नजर आएगा.
कैसे देखें यह खगोलीय चमत्कार?
खगोलविदों का कहना है कि ब्लड मून को देखने के लिए किसी विशेष दूरबीन की जरूरत नहीं है.
शहर की तेज रोशनी से दूर किसी खुले स्थान पर जाएं.
साफ मौसम और खुला आसमान जरूरी है.
दूरबीन या बाइनाकुलर से देखने पर चांद की सतह और भी अद्भुत लगेगी.
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