Tejashwi Yadav News: बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र हमेशा ही राजनीतिक उठापटक और नीतिगत चर्चाओं का केंद्र रहा है. लेकिन बुधवार, 3 दिसंबर को जब राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का अभिभाषण हुआ, तब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सदन में अनुपस्थित रहे, जिससे राजनीतिक गलियारे में हलचल मच गई. यह कदम न केवल परंपराओं के विपरीत था, बल्कि विपक्ष और सरकार दोनों के बीच नए विवाद को जन्म दे गया.
तेजस्वी यादव को मंगलवार, 2 दिसंबर को बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में चुना गया था. लेकिन सत्र के तीसरे दिन, राज्यपाल के अभिभाषण के समय उनका सदन से गायब रहना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया. ज्ञात हो कि अभिभाषण के दौरान राज्यपाल का माइक भी खराब हुआ था, लेकिन यह स्थिति तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति की खबरों की तूल को कम नहीं कर पाई.
जानकारी के अनुसार, तेजस्वी यादव मंगलवार की शाम पटना से दिल्ली रवाना हो गए थे. उन्होंने इस दौरान मीडिया से कोई बातचीत नहीं की, जिससे उनके अचानक रवैये पर सवाल उठना स्वाभाविक था.
एनडीए और एलजेपी (आर) का पलटवार
तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति पर एनडीए नेताओं ने उन्हें निशाने पर लिया. चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (आर) के विधानमंडल दल के नेता राजू तिवारी ने कहा, “तेजस्वी यादव गंभीर नहीं हैं. उनको विधानसभा और जनता से कोई मतलब नहीं है. आज जैसे अहम दिन पर, जब राज्यपाल का अभिभाषण हुआ और सरकार की नीतियों का एजेंडा सामने आया, नेता प्रतिपक्ष का अनुपस्थित रहना चिंता का विषय है.”
राजू तिवारी ने आगे कहा कि यह संदेश जाता है कि नेता प्रतिपक्ष अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाना चाहते. उनका मानना है कि ऐसे रवैये से विधानसभा की गरिमा और विपक्ष की भूमिका प्रभावित होती है.
बीजेपी के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक नीरज बबलू ने भी तेजस्वी यादव पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जनता ने उन्हें रिजेक्ट किया है, इसलिए वे हताश और परेशान हैं. बबलू ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान नेता प्रतिपक्ष का उपस्थित होना अनिवार्य था, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सम्मान किया जा सके.
आरजेडी का जवाब और विरोधियों के आरोपों का खंडन
आरजेडी के MLC उर्मिल ठाकुर ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान कोई बहस नहीं होनी थी, इसलिए तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति कोई मुद्दा नहीं है. उन्होंने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्षी नेता बिना तेजस्वी का नाम लिए राजनीति नहीं चला सकते. ठाकुर ने यह भी कहा कि विधानसभा में अन्य आरजेडी विधायक और विधान पार्षद उपस्थित थे, जो विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए पर्याप्त थे.
राजनीतिक संदेश और आगामी हलचल
तेजस्वी यादव की यह अचानक अनुपस्थिति राजनीतिक संदेश भी देती है. माना जा रहा है कि पार्टी और व्यक्तिगत मतभेदों, संगठनात्मक दबाव और हालिया चुनाव परिणामों ने उनके रवैये को प्रभावित किया है. विपक्ष के नेता के रूप में उनकी भूमिका अब और ज्यादा ध्यानाकर्षक बन गई है, और आने वाले दिनों में विधानसभा में उनकी गतिविधियों पर नजरें टिकी रहेंगी.
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