औद्योगिक दिशा में तेजी से बढ़ रहा बिहार, ये 11 जिले बनेंगे इंडस्ट्रियल हब, जानें क्या है सरकार का प्लान

    Industry In Bihar: बिहार अब केवल कृषि पर निर्भर नहीं रहेगा, राज्य अब औद्योगिक दिशा में भी तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है. सरकार ने प्रदेश के 11 जिलों को इंडस्ट्रियल हब में तब्दील करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है.

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    Industry In Bihar: बिहार अब केवल कृषि पर निर्भर नहीं रहेगा, राज्य अब औद्योगिक दिशा में भी तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है. सरकार ने प्रदेश के 11 जिलों को इंडस्ट्रियल हब में तब्दील करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है. इन जिलों में 24,675.45 एकड़ भूमि पर उद्योग लगाए जाएंगे, जिससे अनुमानित तीन लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा.

    इस बड़ी पहल के तहत करीब 20 हजार एकड़ रैयती जमीन और 4 हजार एकड़ से अधिक सरकारी जमीन को चिन्हित किया गया है. यह योजना सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं है बल्कि पड़ोसी देशों नेपाल और भूटान के छोटे बाजारों पर भी नज़र है.

    5 जिलों में काम शुरू

    सीतामढ़ी, मुंगेर, गया, मधुबनी और वैशाली जैसे जिलों में पहले से 3,402 एकड़ भूमि पर निर्माण कार्य शुरू हो चुका है. इन इलाकों में पहले से ही सड़क, बिजली और अन्य अधोसंरचना तैयार की जा रही है. बाकी 21,273 एकड़ जमीन पर अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी है, जिनमें सारण, जमुई, शिवहर, अरवल, शेखपुरा, कैमूर और बांका जैसे जिले शामिल हैं. इन क्षेत्रों में विशेष रूप से फूड प्रोसेसिंग, सौंदर्य प्रसाधन, जूते-चप्पल, बैग और सूती वस्त्रों के उत्पादन की योजना बनाई गई है.

    टेक्सटाइल और लेदर हब की नींव रखी गई

    मुंगेर, वैशाली, सीतामढ़ी और मधुबनी में 2,005.45 एकड़ भूमि पर टेक्सटाइल और लेदर इंडस्ट्रीज़ विकसित की जा रही हैं. विशेष रूप से मुंगेर के संग्रामपुर में 50 एकड़ भूमि पर निर्माण कार्य शुरू हो चुका है, जबकि वैशाली में 1243.45 एकड़ में विकास कार्य की योजना तैयार है.

    गया में सबसे बड़ा प्रोजेक्ट

    गया जिले में 1,670 एकड़ में इंडस्ट्रियल पार्क का निर्माण हो रहा है, जिसकी कुल लागत 1,339 करोड़ रुपये है. यहां पर कपड़ा उद्योग, चमड़ा उद्योग, फर्नीचर निर्माण और फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स लगाई जाएंगी. यह प्रोजेक्ट वर्ष 2027 तक पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है.

    नए बिहार की ओर एक मज़बूत कदम

    उद्योग विभाग की इस रणनीतिक योजना से ना केवल स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि बिहार को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद मिलेगी. उम्मीद की जा रही है कि 2025 के अंत तक कई ज़िलों में उद्योगों का संचालन शुरू हो जाएगा.

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