Women Reservation On Bus In Bihar: बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं, लेकिन इस बार बहस सिर्फ सियासत की नहीं, सुरक्षा और सुविधा की भी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य की महिलाओं को लेकर एक ऐसा फैसला लिया है, जो सिर्फ चुनावी घोषणा नहीं बल्कि एक व्यवहारिक बदलाव का संकेत देता है.
अब बिहार की सभी सरकारी और निजी बसों में आगे की चार पंक्तियों की सीटें केवल महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी. यह निर्णय उस वास्तविकता को स्वीकार करता है जिसे महिलाएं रोज़ सफर करते समय महसूस करती हैं, भीड़, असुविधा और असुरक्षा. यह फैसला इसलिए खास है क्योंकि ये नारे नहीं, नीतिगत बदलाव लेकर आया है.
सिर्फ सीट नहीं, सम्मान भी मिलेगा
यह फैसला परिवहन विभाग की अहम बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह ने की. उन्होंने बताया कि कई महिलाओं को सफर के दौरान खड़े होकर या असहज स्थिति में यात्रा करनी पड़ती है. इस आरक्षण के जरिए उन्हें एक सम्मानजनक, सुरक्षित और सहज अनुभव देने की कोशिश की जा रही है.
बसों में ड्राइवर-कंडक्टर की पहचान अब होगी सार्वजनिक
अब राज्य की हर बस में ड्राइवर और कंडक्टर का नाम स्पष्ट रूप से लिखा जाएगा. उनकी जानकारी न सिर्फ बस के अंदर होगी, बल्कि परिवहन विभाग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराई जाएगी. इसके साथ ही उन्हें खाकी वर्दी और नेम प्लेट पहनना अनिवार्य किया गया है. यात्रियों से बेहतर व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग भी दी जाएगी. इसका उद्देश्य विश्वास और जवाबदेही का माहौल बनाना है.
जर्जर बसों पर सख्ती और यात्रियों के लिए बेहतर सुविधाएं
राज्य में चल रही पुरानी, खटारा बसों पर अब सख्त नज़र रखी जाएगी. फिटनेस जांच अनिवार्य कर दी गई है, ताकि कोई भी बस यात्रियों की जान को खतरे में न डाले. इसके अलावा बस स्टैंडों पर बुनियादी सुविधाएं जैसे पीने का पानी और स्वच्छ शौचालय सुनिश्चित किए जा रहे हैं क्योंकि सिर्फ सफर नहीं, इंतज़ार भी आरामदेह होना चाहिए.
ड्राइविंग लाइसेंस की प्रक्रिया में पारदर्शिता
लाइसेंस बनवाना अब पहले जितना जटिल नहीं रहेगा. बिहार सरकार ने 27 जिलों में आधुनिक टेस्टिंग ट्रैक तैयार कर दिए हैं, जिससे लाइसेंस प्रक्रिया तेज़, पारदर्शी और फर्जीवाड़े से मुक्त होगी. सारण, रोहतास और मधुबनी जैसे जिलों में तो अतिरिक्त ट्रैक्स भी बनाए जा रहे हैं, जहां आवेदकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. यह उन युवाओं के लिए राहत की खबर है जो ईमानदारी से लाइसेंस पाना चाहते हैं.
ये भी पढ़ें- भारत के विकास गति को IMF की मुहर, 2025-26 में अर्थव्यवस्था 6.4% की रफ्तार से दौड़ेगी