Bharat 24 Conclave Green Energy Summit: 'पहले भारत को जानिए, फिर विदेश जाइए' - पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत

    भारत 24 के ग्रीन एनर्जी समिट - विकसित भारत कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कार्यक्रम में शिरकत की.

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    Bharat 24 Conclave Green Energy Summit: भारत 24 के ग्रीन एनर्जी समिट - विकसित भारत कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कार्यक्रम में शिरकत की. साथ ही पर्यटन को लेकर विशेष बातचीत भी की. कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से एक विशेष बातचीत की गई, जिसमें उन्होंने भारत की खूबसूरती और पर्यटन के बारे में विस्तार से बताया.

    सवाल: भारत एक सुंदर देश है, फिर भी लोग विदेशी पर्यटन को प्राथमिकता क्यों दे रहे हैं?

    जवाब: यह बात बिल्कुल सही है कि भारत हर तरह की खूबसूरती से भरा है—पर्वत, नदियां, समुद्र, रेगिस्तान, जंगल, इतिहास और संस्कृति. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘देखो अपना देश’ का आह्वान किया है. उन्होंने हमेशा कहा है कि पहले अपने देश को जानिए, समझिए, देखिए. 'मन की बात' से लेकर विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों तक उन्होंने देशवासियों को भारत भ्रमण के लिए प्रेरित किया है.

    लेकिन आज की डिजिटल दुनिया में जब विदेशी संस्कृति का एक्सेस मोबाइल और इंटरनेट से सरल हो गया है, तो लोगों में विदेश जाने की चाह बढ़ी है. साथ ही भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था के कारण मध्यम वर्ग में तेज़ी से वृद्धि हुई है. आज करोड़ों लोग विदेश यात्रा अफोर्ड कर सकते हैं. इसलिए विदेश जाना अब एक सामान्य विकल्प बनता जा रहा है.

    सवाल: डोमेस्टिक टूरिज्म की स्थिति क्या है?

    जवाब: हमारा डोमेस्टिक टूरिज्म बीते कुछ वर्षों में बहुत तेजी से बढ़ा है. लेकिन जिस गति से यह बढ़ा, उसी गति से टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर—विशेष रूप से हाई-एंड इंफ्रास्ट्रक्चर—विकसित नहीं हो पाया. एक लग्ज़री होटल बनने में तीन से चार साल लगते हैं. इस कारण डिमांड और सप्लाई के बीच असंतुलन हुआ और भारत के स्टार होटलों में ठहरने की लागत बढ़ गई.

    लोगों को लगा कि इतने ही पैसे में वे विदेश घूम सकते हैं. उन्हें यह भी लगता है कि भारत तो कभी भी घूम सकते हैं, पहले विदेश चलते हैं. यही मानसिकता बनी है, जिसे बदलने की ज़रूरत है.

    सवाल: क्या इस स्थिति को बदलने के लिए सरकार कोई रणनीति बना रही है?

    जवाब: बिलकुल, हम सक्रिय रूप से इस दिशा में कार्य कर रहे हैं. हमने ‘स्वदेश दर्शन’, ‘स्वदेश दर्शन 2.0’, ‘प्रसाद योजना’, और स्पेशल इंसेंटिव स्कीम जैसी कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका उद्देश्य टूरिस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को वैश्विक स्तर पर पहुंचाना है.

    इसके अलावा पिछले बजट में 50 आइकॉनिक डेस्टिनेशन विकसित करने की घोषणा की गई. नीति आयोग की बैठक में प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हर राज्य में कम से कम एक ग्लोबल स्टैंडर्ड का टूरिज्म डेस्टिनेशन तैयार किया जाए. इन प्रयासों से न केवल घरेलू, बल्कि विदेशी पर्यटक भी भारत की ओर आकर्षित होंगे.

    सवाल: क्या इससे रोजगार भी उत्पन्न होंगे?

    जवाब: बिलकुल होंगे. जब एक पर्यटन स्थल विकसित होता है तो उसमें होटल, ट्रांसपोर्ट, फूड, गाइड, हस्तशिल्प और कई सहायक सेवाओं में रोजगार पैदा होता है. हमने ऐसे 15–20 स्पॉट्स हर राज्य में चिह्नित किए हैं जिन्हें विकसित किया जा रहा है, ताकि वहां लोग सिर्फ नौकरी ढूंढने न जाएं, बल्कि खुद नौकरी देने वाले बनें.

    सवाल: क्या राज्य सरकारें भी टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए तत्पर हैं?

    जवाब: अब राज्य सरकारों में पर्यटन को लेकर जबरदस्त उत्साह है. मैंने अपने 30 वर्षों के अनुभव में पहली बार देखा है कि झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार जैसे राज्य भी अब आक्रामक तरीके से खुद को टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में प्रमोट कर रहे हैं.

    राज्यों के बीच टूरिज्म को लेकर स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, जो टूरिज्म सेक्टर के लिए शुभ संकेत है. कोविड के बाद तो पर्यटकों की सोच भी बदली है—अब लोग केवल ऐतिहासिक स्थलों को देखने की बजाय एक्सपीरियंशियल टूरिज्म को महत्व दे रहे हैं.

    सवाल: एक्सपीरियंशियल टूरिज्म क्या है और भारत इसमें कैसे अग्रणी बन सकता है?

    जवाब: एक्सपीरियंशियल टूरिज्म यानी अनुभवात्मक पर्यटन, जिसमें केवल जगह देखना नहीं, बल्कि उस जगह को जीना होता है—वहां की संस्कृति, खानपान, जीवनशैली का हिस्सा बनना होता है.

    भारत इस दिशा में स्वाभाविक रूप से एक अग्रणी देश है क्योंकि यहां सब कुछ है—हिमालय, समुद्र, रेगिस्तान, झीलें, वन्यजीवन, अध्यात्म, विविधता. हर तरह के टूरिस्ट के लिए भारत में कुछ-न-कुछ है. यही वजह है कि हम इसे "India – A Bouquet Where Every Traveler Finds a Flower" के रूप में प्रस्तुत करते हैं.

    सवाल: क्या फूड टूरिज्म को भी बढ़ावा दिया जा रहा है?

    जवाब: बिलकुल. भारत का भोजन उसकी सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा है. अब ‘फूड टूरिज्म’ एक बड़ा अट्रैक्शन बन गया है—चाहे विदेशी पर्यटक हों या देश के भीतर घूमने वाले.

    हर राज्य की अपनी खास व्यंजन शैली है—राजस्थान का दाल बाटी, पंजाब का मक्खन चिकन, तमिलनाडु का डोसा, बंगाल की मिठाइयां और नॉर्थ ईस्ट के अनोखे फ्लेवर—ये सब मिलकर भारत को दुनिया का सबसे स्वादिष्ट पर्यटन स्थल बनाते हैं.

    सवाल: भारत का टूरिज्म सेक्टर आने वाले वर्षों में क्या भूमिका निभाएगा?

    जवाब: आज भारत की अर्थव्यवस्था लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर से थोड़ी अधिक है. प्रधानमंत्री जी का विजन है कि 2047 तक जब भारत आज़ादी के 100 साल पूरे करेगा, तब तक हम 32 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनें.

    अगर हम टूरिज्म का जीडीपी में योगदान 10% तक ले जाएं (जो आज लगभग 5–6% है), तो इसका अर्थ यह होगा कि टूरिज्म से होने वाला योगदान लगभग आज की पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था जितना होगा. यही हमारा लक्ष्य है और उसी दिशा में हम प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं.