Bharat 24 Conclave Green Energy Summit: 'पानी की हर बूंद को सहेजना है, तभी विकसित भारत बनेगा' - सी. आर. पाटिल

    भारत 24 के ग्रीन एनर्जी समिट - विकसित भारत कार्यक्रम में पहुंचे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और गुजरात बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत रघुनाथ पाटिल (सीआर पाटिल) ने जलशक्ति मंत्रालय के तहत हो रहे कार्यों से लेकर गुजरात के चुनावी आत्मविश्वास तक, कई मुद्दों पर खुलकर बात की.

    Bharat 24 Conclave Green Energy Summit: 'पानी की हर बूंद को सहेजना है, तभी विकसित भारत बनेगा' - सी. आर. पाटिल

    नई दिल्ली: भारत 24 के ग्रीन एनर्जी समिट - विकसित भारत कार्यक्रम में पहुंचे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और गुजरात बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत रघुनाथ पाटिल (सीआर पाटिल) ने जलशक्ति मंत्रालय के तहत हो रहे कार्यों से लेकर गुजरात के चुनावी आत्मविश्वास तक, कई मुद्दों पर खुलकर बात की। नीचे प्रस्तुत है उनसे हुई पूरी बातचीत की विस्तृत रिपोर्ट.

    सवाल: पाकिस्तान हमें धमका रहा है कि अगर पानी नहीं आया तो खून बहेगा. सिंधु जल संधि के बाद पानी के डायवर्जन पर भारत क्या कर रहा है?

    उत्तर: माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी साहब के नेतृत्व में आज भारत को कोई भी धमका नहीं सकता, और पाकिस्तान की तो बात ही मत कीजिए. हमने निर्णय कर लिया है कि जो पानी हमारे हिस्से का है, वह अब देश के अंदर रहेगा. गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के मार्गदर्शन में इस पर तेज़ी से काम चल रहा है.

    यह बारमासी नदियां हैं, जिनमें बरसात और बर्फ दोनों से पानी आता है. हमारे देश के 5-6 राज्यों को इसकी आवश्यकता है. अब वहां पानी पहुंचेगा. मैं किसी राज्य का नाम नहीं लूंगा ताकि कोई विवाद न हो, लेकिन सब भारतीय राज्य हैं. और जहां तक समय का सवाल है, आप जितना मानेंगे, उससे कम समय में काम पूरा कर देंगे.

    सवाल: आपने ‘Catch the Rain’ योजना को जन आंदोलन बनाया. इसका विस्तार से ज़िक्र करें.

    उत्तर: 2021 में प्रधानमंत्री जी ने 'Catch the Rain, Where it Falls, When it Falls' का आह्वान किया. 6 सितंबर 2024 को उन्होंने वर्चुअल कार्यक्रम में कहा - जल संचय जन भागीदारी से जन आंदोलन बनना चाहिए. और देखिए, सिर्फ 8 महीनों में देश में 32 लाख स्ट्रक्चर बन चुके हैं, 33 राज्यों और 756 जिलों में.

    भारत में हर साल 4000 बिलियन क्यूबिक मीटर बारिश होती है, पर हमारी ज़रूरत 1120 बीसीएम है - 2047 तक भी सिर्फ 1180 चाहिए. जबकि हमारे पास जल संचयन की क्षमता सिर्फ 750 बीसीएम की है. अगर नए डैम बनाएं तो 25,000 करोड़ का खर्च और 25 साल का समय लगेगा - जो हमारे पास नहीं है.

    इसलिए प्रधानमंत्री जी ने जो मॉडल सुझाया कि गांव-गांव, खेत-खेत जल संचयन करें, वो सबसे सस्ता, तेज़ और टिकाऊ समाधान है. एक छोटा सा घर भी अगर अपनी छत का पानी ज़मीन में उतार दे तो साल भर के लिए उसका जलस्तर सुधर सकता है.

    सवाल: शहरी इलाकों में अर्बन फ्लडिंग और जल स्तर गिरने की दोहरी समस्या है. इसका समाधान क्या है?

    उत्तर: सही कहा आपने. शहरों में ज़मीन सीमेंट से भर गई है. पानी के रिसाव का स्थान नहीं बचा. ड्रेनेज सिस्टम की क्षमता कम है. हमने सूरत में इसका समाधान निकाला, 6000 बोरवेल बनाए, जहां पर एक मिनट भी पानी नहीं रुकता, सीधा ज़मीन में चला जाता है.

    हमने 11 तरह की डिज़ाइन्स तैयार की हैं, जिसमें से शहर अपनी ज़रूरत के हिसाब से चुन सकते हैं. ये ना सिर्फ फ्लडिंग रोकेगा, बल्कि भूजल स्तर भी सुधारेगा.

    सवाल: जल बचाने के लिए कार्यकर्ता खड़े कर दिए आपने, ये कैसे हुआ?

    उत्तर: ये होता है जब देश को नेतृत्व ऐसा मिले जिसे जनता गंभीरता से सुनती है. जैसे लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा - एक समय का भोजन छोड़िए, और देश ने मान लिया.

    वैसे ही प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा - जल संचय को जन आंदोलन बनाइए. और देखिए, पोर्ट चेयरमैन से लेकर आम किसान तक जुड़ गए. कच्छ में किसी ने ₹1 करोड़ खर्च कर 30 किमी नदी की गहराई बढ़ा दी. बोरोसिल ने 5000 स्ट्रक्चर बनाए, जीटो ने ₹100 करोड़ का वादा किया. बनासकांठा के किसानों ने 50% पैसा खुद दिया और 28,000 स्ट्रक्चर खड़े कर दिए. यह लोगों की भागीदारी से हुआ, सरकारी ज़ोर से नहीं.

    सवाल: जल जीवन मिशन को लेकर कुछ शिकायतें आईं कि ‘नल है, जल नहीं’. आपने क्या कार्रवाई की?

    उत्तर: प्रधानमंत्री जी की मंशा साफ थी - 9 करोड़ महिलाओं को रोज़ाना पानी भरने का बोझ था, जिससे 5 करोड़ घंटे रोज़ बर्बाद होते थे. उन्होंने कहा, हर घर में नल से जल पहुंचे - वो भी शुद्ध और पर्याप्त मात्रा में.

    अब तक 15 करोड़ घरों में पानी पहुंच चुका है, 4 करोड़ और बचे हैं. लेकिन शिकायतें आईं कि कहीं-कहीं नल है, पर जल नहीं. हमने तुरंत प्रधानमंत्री कार्यालय को कहा कि इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.

    119 टीमें बनाई गईं. नीति आयोग, DRDO, मंत्रालय के अधिकारी, सब मिलकर 112 जिलों में गए. रिपोर्ट तैयार हुई, और अब हमने साफ कहा है - जब तक राज्य कमियां दूर नहीं करेगा, अगला फंड नहीं मिलेगा. हम ये योजना किसी ठेकेदार को भुगतान देने के लिए नहीं, आम नागरिक को पानी देने के लिए चला रहे हैं.

    सवाल: राजस्थान की बहुप्रतीक्षित ईआरसीपी योजना अब पीकेसी बन चुकी है. इसका स्टेटस क्या है?

    उत्तर: राजस्थान को मेरी ओर से एडवांस बधाई दीजिए. प्रधानमंत्री जी की कैबिनेट ने ₹77,000 करोड़ की मंजूरी दे दी है. टेंडरिंग की प्रक्रिया राज्य सरकार कर रही है, डीपीआर हमारे पास है, हम उसका परीक्षण कर रहे हैं.

    राजस्थान को न सिर्फ इंडस वाटर बेसिन से पानी मिलेगा, बल्कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग और प्रवासी राजस्थानियों के योगदान से भी. अभी तक राजस्थान में 22,000 स्ट्रक्चर प्रवासी राजस्थानियों ने बनाए हैं  और अब स्थानीय लोग भी जुड़ रहे हैं. इसलिए कह रहा हूं - सबसे ज्यादा पानी अगर किसी राज्य में होगा, तो वह राजस्थान होगा.

    सवाल: गुजरात में 2022 में 156 सीटें जीतना असंभव सा लग रहा था. आपके अंदर यह आत्मविश्वास कहां से आया?

    उत्तर: यह आत्मविश्वास कार्यकर्ताओं से, संगठन से, और प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व से आता है. एक चैनल के एडिटर ने मुझसे कहा था - हम आपको 120 सीटें दे रहे हैं. मैंने कहा - मैंने 182 में से 182 जीतने का संकल्प किया है. अगर 150 आती हैं तो मैं प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दूंगा, 120 आईं तो सांसद पद से और अगर 100 आईं तो जान दे दूंगा.

    यह कोई घमंड नहीं था - यह हमारे पेज कमेटी मॉडल पर आधारित था. गुजरात में 74 लाख पेज कमेटी सदस्य हैं - हर पेज पर 5 कार्यकर्ता. 2022 में 156 सीटें आईं, और 20 सीटें ऐसी थीं जो 5000 वोट से भी कम अंतर से हारे. अगर हमें 10 लाख वोट और मिलते, तो शायद सभी 182 सीटें जीत जाते.

    सवाल: क्या आप राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस में हैं? आपके 5 साल पूरे होने वाले हैं.

    उत्तर:(हंसते हुए) देखिए, अगर पार्टी मुझे अगले तीन दिन बचा ले, तो मेरे पांच साल पूरे हो जाएंगे. आगे पार्टी जो भी निर्णय लेगी, मैं सिर झुकाकर स्वीकार करूंगा.

    सवाल: आप खुद उपवास रखते हैं, लेकिन सबको भरपेट खिलाते हैं. सूरत वाला ऑफिस भी मॉडल बन गया है. इसका राज़ क्या है?

    उत्तर: मैं ज्यादा खा लिया करता था, इसलिए अब 17 घंटे उपवास रखता हूं. यह संतुलन के लिए है. जहां तक ऑफिस की बात है, हमारे पास हर प्रोफेशन का डेटा है. वकील, डॉक्टर, किसान, मज़दूर, जादूगर - सबका. और वो बूथ-स्तर पर व्यवस्थित है. कौन कहां रहता है, कितने वोटर हैं, सबका रिकॉर्ड. यही वजह है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री तक हमारा ऑफिस देखने सूरत आते हैं.

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