Bayraktar TB2 ड्रोन की इज्जत बचाने में लगा तुर्की, चूर-चूर हुआ एर्दोगन का घमंड!

    सीमा पर हुए हालिया संघर्ष ने यह साफ कर दिया है कि भारत की रक्षा प्रणाली अब पूरी तरह आत्मनिर्भर और अत्याधुनिक हो चुकी है. पाकिस्तान और तुर्की की साझा साजिश को भारतीय वायुसेना ने नाकाम कर दिया है. भारतीय अधिकारियों के अनुसार, सीमा पार से भेजे गए करीब 300-400 तुर्की ड्रोन भारतीय वायुसीमा में प्रवेश करने से पहले ही मार गिराए गए.

    Bayraktar TB2 akastir defence system attacked
    Image Source: ANI

    सीमा पर हुए हालिया संघर्ष ने यह साफ कर दिया है कि भारत की रक्षा प्रणाली अब पूरी तरह आत्मनिर्भर और अत्याधुनिक हो चुकी है. पाकिस्तान और तुर्की की साझा साजिश को भारतीय वायुसेना ने नाकाम कर दिया है. भारतीय अधिकारियों के अनुसार, सीमा पार से भेजे गए करीब 300-400 तुर्की ड्रोन भारतीय वायुसीमा में प्रवेश करने से पहले ही मार गिराए गए. इनमें Baykar YIHA III जैसे कामिकेज ड्रोन और Songatri तथा eYatri जैसे छोटे ड्रोन शामिल थे.इन ड्रोन का मकसद भारतीय रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर मिसाइल और तोपों के लिए रास्ता बनाना था. लेकिन भारत के मजबूत एयर डिफेंस नेटवर्क – विशेष रूप से आकाशतीर और L70 गन सिस्टम – ने इन्हें सीमा लांघने का भी मौका नहीं दिया.

    डिफेंस एक्सपर्ट्स की राय क्या कहती है?

    अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के विश्लेषक माइकल रुबिन ने तुर्की के ड्रोन सिस्टम की कड़ी आलोचना की. उनका कहना है कि तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन इस्लामी प्रचार या पारिवारिक फायदे के लिए हथियारों की गुणवत्ता से समझौता कर रहे हैं. Baykar कंपनी, जिसमें एर्दोगन के दामाद का निवेश है, अब इनोवेशन से दूर हो चुकी है क्योंकि उसे सरकार की पूर्ण सुरक्षा मिली हुई है.

    रुबिन के अनुसार, इन ड्रोन की तकनीक न सिर्फ पिछड़ी हुई है बल्कि इनकी कार्यक्षमता भी सवालों के घेरे में है. पाकिस्तान को भारी नुकसान के बावजूद, वह इस असफलता को कम दिखाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन भारतीय वायुसेना के मुताबिक, सीमा पर ड्रोन के मलबे हजारों की संख्या में पड़े हैं – जो सच्चाई को बयां करते हैं.

    आकाशतीर बना भारत का सुरक्षा कवच

    इस पूरी कार्रवाई में भारत का स्वदेशी आकाशतीर सिस्टम नायक बनकर उभरा. भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) द्वारा विकसित यह सिस्टम भारतीय सेना और वायुसेना के रडार सिस्टम से पूरी तरह समन्वित होता है. खतरे की पहचान, ट्रैकिंग और हथियार नियंत्रण जैसी क्षमताएं इसे खास बनाती हैं. भारतीय अफसरों ने बताया कि आकाशतीर ने बिना कोई शोर मचाए, सिर्फ गणना और सटीकता के आधार पर हर टारगेट को खत्म किया. इसकी तुलना इजराइल के आयरन डोम से की गई है, लेकिन कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन और loitering munitions के खिलाफ इसकी उपयोगिता और भी अधिक साबित हुई है.

    पाकिस्तान और तुर्की के लिए बड़ा झटका

    पाकिस्तान अब अपने एयरबेस को दोबारा खड़ा करने की कोशिश कर रहा है, वहीं तुर्की की रक्षा उद्योग को अपनी साख की चिंता सताने लगी है. एर्दोगन जिन देशों को हथियार बेचना चाहते थे – जैसे कि सोमालिया, लीबिया और कुछ अफ्रीकी देश – अब इस डील को लेकर सतर्क हो गए हैं. दूसरी ओर, भारत का आकाशतीर अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर सुर्खियों में है. कई देश जो पहले तुर्की के ड्रोन से डरे हुए थे, अब भारत से रक्षा प्रणाली खरीदने पर विचार कर सकते हैं. ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष स्मित शाह ने बताया कि भारत अपने ड्रोन क्षेत्र में अगले दो वर्षों में निवेश को तीन गुना करने की योजना बना रहा है. भारत अब न केवल ड्रोन से रक्षा कर रहा है, बल्कि काउंटर ड्रोन इकोसिस्टम खड़ा करने की दिशा में भी ठोस कदम उठा चुका है.

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