इस्लामाबाद: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य टकराव के बीच पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हालात अचानक और भी अस्थिर हो गए हैं. जहां एक ओर पाकिस्तान ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सैन्य कार्रवाइयों का सामना कर रहा है, वहीं दूसरी ओर बलूच अलगाववादी संगठनों ने इस मौके को अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश की है.
सूत्रों के मुताबिक, बलूचिस्तान में सक्रिय विद्रोही संगठनों ने पिछले कुछ दिनों में सुरक्षाबलों पर हमले तेज कर दिए हैं और कई इलाकों में पाकिस्तानी झंडे हटाकर बलूच झंडे फहराने की घटनाएं सामने आई हैं. सोशल मीडिया पर जारी हुए वीडियो और तस्वीरों में कुछ समूहों को सार्वजनिक स्थलों पर “आजादी” की घोषणा करते भी देखा गया है.
तीन हमले, कई सुरक्षाकर्मी घायल
बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) और अन्य समूहों ने हालिया दिनों में केच, जमुरान और डेरा बुगती जैसे क्षेत्रों में सुरक्षा चौकियों, सैन्य गश्त और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया. IED धमाकों और स्वचालित हथियारों से हुए हमलों में कई पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों के घायल होने की खबर है. डेरा बुगती में पाकिस्तान पेट्रोलियम लिमिटेड के गैस कुओं पर भी हमले की सूचना है.
इन हमलों से पाकिस्तान के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ऊर्जा आपूर्ति को खतरा उत्पन्न हो गया है, क्योंकि बलूचिस्तान में गैस और खनिज संपदा की आपूर्ति देश की आर्थिक प्रणाली की रीढ़ मानी जाती है.
राजनीतिक अस्थिरता और बयानबाज़ी
पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने कथित तौर पर माना है कि बलूचिस्तान की स्थिति पर नियंत्रण बनाए रखना सरकार और सेना दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है. इस बीच, बलूच अधिकार कार्यकर्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वे इस क्षेत्र की स्थिति पर ध्यान दें और कूटनीतिक मान्यता पर विचार करें.
बलूच लेखक मीर यार बलूच ने एक पोस्ट में लिखा कि बलूच जनता “स्वतंत्रता का दावा” कर चुकी है और दुनिया से बलूचिस्तान में अपने राजनयिक मिशन स्थापित करने की अपील कर रही है.
पाकिस्तान के लिए दोहरा संकट
भारत के साथ सीमा तनाव के समानांतर बलूचिस्तान में उभरा यह विद्रोह पाकिस्तान की सुरक्षा रणनीति पर अतिरिक्त दबाव डाल रहा है. विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह स्थिति नियंत्रण से बाहर होती है, तो यह पाकिस्तान के आंतरिक स्थायित्व के लिए गंभीर चुनौती बन सकती है.
सेना प्रमुख असीम मुनीर और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पहले ही सीमा पर युद्ध जैसे हालात से जूझ रहे हैं, ऐसे में बलूचिस्तान की अशांति एक और संकट के रूप में सामने आई है, जिससे देश की सुरक्षा व्यवस्था पर बहुपक्षीय दबाव बढ़ गया है.
ये भी पढ़ें- जब अपने ही F-16 फाइटर जेट को पाकिस्तान ने मार गिराया... पढ़िए पाक पायलट्स की बेवकूफी की कहानी