'एक नहीं दो बार पैदा हुआ ये बच्चा', जानें कैसे UK में हुआ ये चमत्कार?

    Baby in UK Born Two Times: कुछ कहानियां सिर्फ खबर नहीं होतीं, वो उम्मीद की एक किरण होती हैं. एक ऐसा उदाहरण जो यह बताता है कि विज्ञान, हिम्मत और विश्वास मिलकर क्या कुछ कर सकते हैं. ऐसी ही एक असाधारण घटना ने दुनिया को चौंका दिया.

    Baby Born in UK Two Times Fail Science doctors perform cancer surgery
    Representative Image: Freepik

    Baby in UK Born Two Times: कुछ कहानियां सिर्फ खबर नहीं होतीं, वो उम्मीद की एक किरण होती हैं. एक ऐसा उदाहरण जो यह बताता है कि विज्ञान, हिम्मत और विश्वास मिलकर क्या कुछ कर सकते हैं. ऐसी ही एक असाधारण घटना ने दुनिया को चौंका दिया  जब एक बच्चे ने एक ही माँ के गर्भ से दो बार जन्म लिया. यह चमत्कारी कहानी है ऑक्सफ़ोर्ड (यूके) की रहने वाली लूसी इसाक और उनके बेटे रैफर्टी इसाक की, जिसे डॉक्टरों और दुनिया भर के लोगों ने "डबल बर्थ मिरेकल" करार दिया है.

    12 हफ्ते की प्रेग्नेंसी और कैंसर का पता

    32 वर्षीय लूसी एक शिक्षिका हैं और उस समय अपनी प्रेग्नेंसी के 12वें हफ्ते में थीं, जब रूटीन अल्ट्रासाउंड के दौरान उन्हें ओवेरियन कैंसर होने की जानकारी मिली. यह उनके और उनके परिवार के लिए किसी तूफान से कम नहीं था. डॉक्टरों ने बताया कि अगर इलाज में देरी की गई, तो कैंसर जानलेवा हो सकता है. लेकिन चुनौती ये थी कि अब प्रेग्नेंसी इतनी आगे बढ़ चुकी थी कि सामान्य कीहोल सर्जरी का विकल्प नहीं बचा था.

    यह भी पढ़े: नहीं रहे पोप फ्रांसिस, 88 साल की उम्र में निधन; वेटिकन ने जारी किया बयान

    डॉक्टरों ने लिया ऐतिहासिक फैसला

    जॉन रैडक्लिफ़ अस्पताल के अनुभवी सर्जन डॉ. सोलेमानी मज्द और उनकी 15 लोगों की टीम ने एक अत्यंत जोखिम भरा लेकिन संभावनाओं से भरा रास्ता चुना. लूसी के गर्भाशय को सर्जरी के दौरान अस्थायी रूप से बाहर निकालने का. इस दौरान, उनके गर्भ में पल रहे बच्चे रैफर्टी को सुरक्षित रखने के लिए विशेष इंतज़ाम किए गए. गर्भाशय को गर्म नमक के पैक में लपेटकर सुरक्षित तापमान पर रखा गया. हर 20 मिनट में पैक बदले जाते थे ताकि तापमान एक समान बना रहे. दो विशेषज्ञ लगातार निगरानी कर रहे थे कि कहीं गर्भ में पल रहे शिशु को कोई नुकसान न हो.

    करीब 2 घंटे तक गर्भाशय रहा शरीर से बाहर

    लगभग दो घंटे तक लूसी का गर्भाशय उनके शरीर के बाहर रहा. इस दौरान डॉक्टरों ने ट्यूमर का सैंपल लेकर जांच की और पुष्टि हुई कि ये स्टेज 2 कैंसर है. इसके बाद कैंसर प्रभावित ऊतकों को हटाया गया और सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी की गई. सर्जरी के बाद गर्भाशय को फिर से शरीर में स्थापित किया गया और कुछ महीनों बाद, जनवरी के अंत में, रैफर्टी का जन्म हुआ. पूरी तरह स्वस्थ और सुरक्षित. उसका वज़न था 6 पाउंड 5 औंस.

    भावनाओं से भरा था यह दूसरा जन्म

    यह सिर्फ एक मेडिकल केस नहीं था. यह एक माँ-बेटे की ज़िंदगी में नया उजाला था. लूसी के पति एडम पहले ही किडनी ट्रांसप्लांट का सामना कर चुके थे. ऐसे में रैफर्टी का जन्म इस परिवार के लिए उम्मीदों और जीत का प्रतीक बन गया. "जब हमने उसे पहली बार गोद में लिया, तो लगा जैसे हमने हर तूफान पार कर लिया हो," एडम ने भावुक होकर कहा.

    एक मिसाल हिम्मत, विज्ञान और दुआओं की

    लूसी और उनके बेटे की यह कहानी न सिर्फ एक दुर्लभ चिकित्सा उपलब्धि है, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो जीवन की लड़ाई लड़ रहा है. डॉक्टर मज्द कहते हैं, “जब मैंने रैफर्टी को जन्म के बाद देखा, तो ऐसा लगा जैसे मैं किसी पुराने दोस्त से मिल रहा हूँ.” हर साल यूके में 7,000 से ज्यादा महिलाओं को ओवेरियन कैंसर होता है, और उनमें से कई को देर से पता चलता है. लेकिन लूसी की कहानी बताती है कि जल्दी पता चल जाए, सही फैसले लिए जाएं और अगर हिम्मत ना छोड़ी जाए—तो चमत्कार भी हो सकते हैं.