'तुम बिन कुछ नहीं...',मिशन लॉन्चिंग से पहले पत्नी कामना के लिए शुभांशु ने लिखा ये इमोशनल नोट

    Axiom Mission 4: भारत के अंतरिक्ष सफर में 25 जून 2025 की तारीख हमेशा याद रखी जाएगी. इस दिन ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर से Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर सफलतापूर्वक उड़ान भरी.

    Axiom Mission 4 Shubhanshu Shukla Emotional Message for wife
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    Axiom Mission 4: भारत के अंतरिक्ष सफर में 25 जून 2025 की तारीख हमेशा याद रखी जाएगी. इस दिन ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर से Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर सफलतापूर्वक उड़ान भरी. यह सिर्फ एक वैज्ञानिक मिशन नहीं, बल्कि देश और परिवार के लिए भावनाओं से जुड़ी एक ऐतिहासिक यात्रा भी है.

    लॉन्च से पहले पत्नी के लिए दिल छू लेने वाला संदेश

    लॉन्च से ठीक पहले, शुभांशु ने इंस्टाग्राम पर अपनी भावनाएं साझा करते हुए एक मार्मिक पोस्ट लिखा, जिसमें उन्होंने मिशन से जुड़े सभी लोगों को धन्यवाद दिया और खासतौर पर अपनी पत्नी कामना को याद किया. उन्होंने लिखा 25 जून की सुबह हम इस ग्रह को छोड़ने की योजना बना रहे हैं... लेकिन इनमें से कुछ भी मायने नहीं रखता, अगर आप साथ न हों. आप मेरे लिए सिर्फ जीवनसाथी नहीं, मेरी ताकत, मेरी प्रेरणा और इस मिशन की असली हीरो हैं. इस पोस्ट के साथ उन्होंने एक तस्वीर भी साझा की, जिसमें शुभांशु और कामना कांच की दीवार के आर-पार एक-दूसरे को विदा कर रहे हैं — एक ऐसा पल जो हर दर्शक को भावुक कर गया.

    बचपन की दोस्ती से बनी जिंदगी भर की साझेदारी

    टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शुभांशु और कामना की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं. दोनों की मुलाकात लखनऊ के एक प्राथमिक विद्यालय में तीसरी कक्षा में हुई थी. कामना ने बताया कि वह उन्हें 'गुंजन' के नाम से जानती थीं. गुंजन हमारी क्लास का सबसे शांत लड़का था... और आज वही लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन चुका है. आज उनके एक छह साल के बेटे के साथ यह परिवार देश का नाम रौशन कर रहा है.

    सास आशा शुक्ला का आभार और गर्व

    इस मिशन से पहले शुभांशु की मां आशा शुक्ला ने भी अपनी बहू कामना की जमकर सराहना की. उन्होंने कहा यह पल सिर्फ शुभांशु का नहीं, पूरे परिवार और खासकर कामना का है. बहू ने हर मुश्किल घड़ी में बेटा बनकर साथ निभाया. अगर वह ना होती तो ये मुकाम आसान नहीं था. 

    एक मिशन, कई कहानियां

    Axiom-4 सिर्फ अंतरिक्ष की यात्रा नहीं है — यह सपनों, समर्पण और समर्थन की कहानी भी है. एक तरफ जहां शुभांशु विज्ञान और तकनीक के मोर्चे पर भारत का परचम लहरा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनका परिवार, खासतौर पर कामना, हर चुनौती में चट्टान बनकर उनके साथ खड़ा है. यह मिशन आने वाले समय में न केवल भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाई देगा, बल्कि यह भी दिखाएगा कि हर बड़ी उपलब्धि के पीछे एक मजबूत भावनात्मक नींव होती है.

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