आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य भर के स्कूल परिसरों की मर्यादा और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े दिशानिर्देश जारी किए हैं. स्कूल शिक्षा निदेशक विजय राम राजू ने शुक्रवार को सभी क्षेत्रीय संयुक्त निदेशकों और जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश भेजते हुए कहा कि स्कूल परिसर को पूरी तरह से राजनीति-मुक्त रखा जाए.
जारी आदेश के अनुसार, अब किसी भी स्कूल परिसर में राजनीतिक दलों के झंडे, शॉल, पोस्टर, बैनर या किसी भी प्रकार के राजनीतिक प्रतीकों के प्रदर्शन पर सख्त प्रतिबंध रहेगा. स्कूल एक शिक्षण स्थल है, न कि किसी पार्टी विशेष के प्रचार का मंच—इसी भावना के तहत सरकार ने यह कदम उठाया है.
अज्ञात व्यक्ति नहीं कर पाएंगे स्कूल में प्रवेश
स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करते हुए सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) के सदस्यों के अतिरिक्त किसी भी बाहरी व्यक्ति को बिना पूर्व अनुमति स्कूल परिसर में प्रवेश की इजाजत नहीं दी जाएगी. सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि इस नियम का सख्ती से पालन कराया जाए.
बच्चों से बातचीत या फोटो पर भी रोक
नए दिशा-निर्देशों में यह भी कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति स्कूल को कोई सामग्री, उपहार या दान देना चाहता है तो उसे वह सामान सीधे प्रधानाध्यापक को सौंपना होगा. इस प्रक्रिया में किसी भी परिस्थिति में छात्रों से न तो बातचीत की जा सकती है और न ही उनके साथ तस्वीर खिंचाई जा सकती है.
शैक्षणिक माहौल में न हो कोई खलल
स्कूल शिक्षा निदेशक ने यह चिंता जताई है कि कई बार अज्ञात व्यक्ति या समूह बिना अनुमति के विद्यालय परिसर में पहुंच जाते हैं, जिससे शैक्षणिक गतिविधियों में बाधा उत्पन्न होती है. इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त निगरानी के निर्देश दिए गए हैं. छात्रों की एकाग्रता और शिक्षा में किसी भी तरह का विघ्न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
शिकायतें केवल प्रशासनिक कार्यालय में दर्ज हों
यदि किसी व्यक्ति, संस्था या अभिभावक को स्कूल से संबंधित कोई शिकायत या अनुरोध करना हो, तो उसे केवल स्कूल के प्रशासनिक कार्यालय में ही प्रस्तुत करना होगा. आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि शिक्षक, कर्मचारी या छात्र किसी बाहरी संगठन या व्यक्ति से सीधे संपर्क करने से बचें और हर तरह की बातचीत संस्था के अधिकृत माध्यम से ही करें.
प्रशासनिक अमले को दी गई जिम्मेदारी
शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी शिक्षा अधिकारियों को यह निर्देश दिया है कि वे इन नियमों को अपने-अपने क्षेत्रों में प्रभावी रूप से लागू करवाएं. सभी स्कूल प्रमुखों और क्षेत्रीय प्रतिनिधियों को इन दिशा-निर्देशों से अवगत कराते हुए यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि भविष्य में किसी भी प्रकार की अनियमितता न हो.
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