विदाई से पहले एयरफोर्स चीफ एपी सिंह ने उड़ाया मिग-21, अगले महीने रिटायर हो रहे यह फाइटर जेट, Video

    भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक युग का अंत होने जा रहा है. लगभग छह दशकों तक आकाश की रक्षा में तैनात मिग-21 लड़ाकू विमान अब ऑपरेशनल सेवा से पूरी तरह बाहर होने जा रहे हैं. यह वही फाइटर जेट है जिसने भारत के कई अहम युद्धों में निर्णायक भूमिका निभाई थी.

    Air Force Chief AP Singh flew Mig-21 before his departure
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक युग का अंत होने जा रहा है. लगभग छह दशकों तक आकाश की रक्षा में तैनात मिग-21 लड़ाकू विमान अब ऑपरेशनल सेवा से पूरी तरह बाहर होने जा रहे हैं. यह वही फाइटर जेट है जिसने भारत के कई अहम युद्धों में निर्णायक भूमिका निभाई थी. अगले महीने मिग-21 को औपचारिक रूप से अंतिम विदाई दी जाएगी, लेकिन इससे पहले भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने इस ऐतिहासिक विमान में एक अंतिम उड़ान भरकर उसे सशस्त्र बलों की ओर से सलामी दी.

    इस ऐतिहासिक उड़ान का गवाह बना राजस्थान का नाल एयरफील्ड, जहां से एयर चीफ ने मिग-21 की कमान संभाली. नाल एयरबेस फिलहाल मिग-21 की अंतिम दो स्क्वाड्रनों का ठिकाना है, जो अगले महीने औपचारिक रूप से चंडीगढ़ में विदाई समारोह के बाद सेवानिवृत्त कर दी जाएंगी.

    जहां से शुरू हुआ सफर, वहीं से अंतिम उड़ान

    इस अंतिम उड़ान का एक भावनात्मक पहलू भी है, एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने 1985 में अपने करियर की पहली ऑपरेशनल उड़ान मिग-21 से ही भरी थी. यानी जिस विमान ने उन्हें एक फाइटर पायलट बनाया, उसी विमान से उन्होंने अपने करियर की अंतिम यादगार उड़ान भरी.

    इस अवसर पर उन्होंने मिग-21 उड़ाने के लिए फिर से पूरी ट्रेनिंग प्रक्रिया दोहराई- पहले ग्राउंड स्टडी, फिर एक ड्यूल फ्लाइंग (ट्रेनर के साथ उड़ान), और अंत में 3 से 4 सोलो शॉर्टी, यानी अकेले उड़ानें भरीं. हर उड़ान लगभग 40 मिनट की रही.

    एक गौरवशाली सेवा काल का अंत

    मिग-21 को पहली बार 1960 के दशक में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था. यह विमान रूस के सहयोग से भारत में निर्मित हुआ और एक समय भारतीय वायुसेना की रीढ़ बना रहा. अपनी तेज गति और लो-ऑल्टिट्यूड लड़ाकू क्षमता के चलते मिग-21 ने 1971 और 1999 के करगिल युद्ध समेत कई महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों में भाग लिया.

    लेकिन समय के साथ तकनीक बदली और अब नई पीढ़ी के लड़ाकू विमान जैसे राफेल, सुखोई-30 एमकेआई और तेजस ने इसकी जगह ले ली है. सुरक्षा, रखरखाव और तकनीकी अपग्रेड के लिहाज से मिग-21 अब वायुसेना की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है.

    मिग-21 और वायुसेना प्रमुखों की आखिरी उड़ानें

    यह कोई पहला मौका नहीं है जब किसी वायुसेना प्रमुख ने रिटायरमेंट से पहले मिग-21 में उड़ान भरी हो. इससे पहले कई एयर चीफ मार्शलों ने भी अपने करियर के आखिरी चरण में मिग-21 के साथ अपनी यादें ताजा कीं.

    1. आरकेएस भदौरिया (2021)

    एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने 13 सितंबर 2021 को अपने रिटायरमेंट से कुछ ही दिन पहले मिग-21 उड़ाया था. उन्होंने यह उड़ान हलवारा एयरबेस की 23 स्क्वाड्रन ‘पैंथर्स’ से भरी थी. यह वही स्क्वाड्रन थी जिससे उन्होंने अपने फ्लाइंग करियर की शुरुआत की थी. उस आखिरी उड़ान में उन्होंने अपने करियर की एक सुंदर पूर्णता को छुआ.

    2. बीएस धनोआ (2019)

    पूर्व वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने भी सितंबर 2019 में मिग-21 की दो-सीटर वर्ज़न में विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के साथ उड़ान भरी थी. यह उड़ान कई मायनों में प्रतीकात्मक थी, क्योंकि अभिनंदन ने भी बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद मिग-21 बायसन से पाकिस्तान के F-16 का मुकाबला किया था.

    बीएस धनोआ ने 1999 में करगिल युद्ध के दौरान फ्रंटलाइन ग्राउंड अटैक स्क्वाड्रन की कमान संभाली थी. उन्हें मिग-21 से एक विशेष जुड़ाव था, और इसी भावना से उन्होंने 'मिसिंग मैन फॉर्मेशन' उड़ाकर करगिल शहीद स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा को श्रद्धांजलि दी थी.

    पहले भी हो चुकी हैं अंतिम उड़ानें

    अगर पीछे जाएं तो एयर चीफ मार्शल ए.वाई. टिपनिस (2000-2001) के कार्यकाल में भी उन्होंने मिग-21 को अकेले उड़ाया था, जब इसे 'फ्लाइंग कॉफिन' जैसे नामों से पुकारा जाने लगा था. उस समय कई दुर्घटनाओं के चलते मिग-21 को लेकर संदेह था, और टिपनिस की उड़ान एक संदेश थी कि यह विमान आज भी सुरक्षित और ऑपरेशनल है.

    फ्लाइंग कॉफिन से फाइटर लीजेंड तक का सफर

    मिग-21 को एक समय पर ‘फ्लाइंग कॉफिन’ कहा जाने लगा था, क्योंकि 2000 के दशक में इसके कई एक्सीडेंट सामने आए थे. लेकिन इस विमानों की विफलताओं के बावजूद, इसकी अद्वितीय सेवा, कम लागत में उच्च प्रभाव, और मुकाबले की क्षमता ने इसे वायुसेना के इतिहास में एक अद्वितीय स्थान दिलाया.

    अगले महीने चंडीगढ़ एयरबेस पर मिग-21 की आधिकारिक विदाई का आयोजन किया जाएगा. इस मौके पर उन सभी स्क्वाड्रनों और पायलटों को सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने इस विमान को ऑपरेशनल रखा और इससे भारत की हवाई सीमाओं की रक्षा की.

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