तीनों सेनाओं के बीच तालमेल, कोई पाबंदी नहीं... एयर चीफ मार्शल ने बताया क्यों सफल हुआ ऑपरेशन सिंदूर?

    हाल ही में भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने एक विशेष प्रेस वार्ता में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कई अहम और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण खुलासे किए.

    Air Chief Marshal told why Operation Sindoor was successful
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ Sociel Media

    नई दिल्ली: हाल ही में भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने एक विशेष प्रेस वार्ता में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कई अहम और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण खुलासे किए. उन्होंने न सिर्फ ऑपरेशन की सफलता के पीछे की वजहें साझा कीं, बल्कि उन चर्चाओं पर भी विराम लगाया जो अभियान की सीमाओं और राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर सामने आ रही थीं.

    उनकी बातों का सार यही था जब सशस्त्र बलों को खुला मैदान, स्पष्ट आदेश और बिना किसी राजनीतिक या रणनीतिक बंधन के कार्य करने की छूट मिलती है, तो परिणाम ऑपरेशन सिंदूर जैसे निर्णायक और प्रभावशाली होते हैं.

    राजनीतिक इच्छाशक्ति और स्पष्ट निर्देश

    एयर चीफ मार्शल एपी सिंह के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का सबसे बड़ा कारण यह था कि इस बार सशस्त्र बलों को बिना किसी रोक-टोक के आगे बढ़ने की छूट थी. उन्होंने कहा, "हमें जो निर्देश मिले, वे बेहद स्पष्ट थे. किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं था. राजनीतिक नेतृत्व की इच्छाशक्ति अडिग थी और यह पहली बार नहीं, बल्कि बहुत स्पष्ट रूप से दिखी."

    एयरफोर्स प्रमुख ने बताया कि तीनों सेनाओं थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच तालमेल इस मिशन में असाधारण रहा. "हमने खुद तय किया कि कहां तक और किस हद तक कार्रवाई करनी है. इस ऑपरेशन में हर कदम सोच-समझकर और रणनीतिक तरीके से उठाया गया."

    S-400 का आसमान में दिखा भारत का वर्चस्व

    इस प्रेस वार्ता में एक और बड़ा खुलासा तब हुआ, जब वायुसेना प्रमुख ने बताया कि S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान के 5 लड़ाकू विमानों को हवा में ही मार गिराया. इसके अलावा, एक महत्वपूर्ण AEW&C/ELINT एयरक्राफ्ट जो कि निगरानी और सूचना एकत्र करने में सक्षम होता है को भी लगभग 300 किलोमीटर की दूरी से निशाना बनाकर नष्ट कर दिया गया.

    इतना ही नहीं, पाकिस्तान के जकोकाबाद एयर बेस पर खड़े कुछ F-16 फाइटर जेट्स को भी भारतीय वायुसेना द्वारा लक्षित किया गया, जिससे पड़ोसी देश की हवाई शक्ति को एक निर्णायक झटका लगा.

    शिव कुमार के दावों पर वायुसेना प्रमुख का जवाब

    इंडोनेशिया में भारत के डिफेंस अताशे कैप्टन शिव कुमार द्वारा इस महीने की शुरुआत में दिए गए बयान ने राजनीतिक और सैन्य हलकों में हलचल मचा दी थी. उन्होंने दावा किया था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान राजनीतिक सीमाओं के कारण वायुसेना को नुकसान उठाना पड़ा.

    हालांकि एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने इन दावों को सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट किया, "ऑपरेशन के दौरान हमें किसी तरह की सीमा या बंदिश का सामना नहीं करना पड़ा. यह अभियान इसलिए सफल हुआ क्योंकि हमने स्वतंत्र रूप से रणनीति बनाई, निर्णय लिए और उन पर कार्रवाई की."

    ऑपरेशन को रोके जाने पर भी दिया स्पष्टीकरण

    यह पूछे जाने पर कि जब भारत निर्णायक बढ़त पर था, तब ऑपरेशन सिंदूर को क्यों रोका गया, एयरफोर्स प्रमुख ने बेहद संतुलित और परिपक्व दृष्टिकोण पेश किया. उन्होंने कहा, "हमेशा युद्ध जारी रखना संभव नहीं होता. युद्ध का उद्देश्य केवल सैन्य वर्चस्व नहीं, बल्कि रणनीतिक लक्ष्यों की प्राप्ति होता है. जब हमारे लक्ष्य हासिल हो गए, तो संघर्षविराम का निर्णय लेना ही बुद्धिमानी थी."

    उन्होंने आगे कहा कि कई बार लोग भावनाओं में बहकर लड़ाई जारी रखने की मांग करते हैं, लेकिन राष्ट्रीय हितों की दृष्टि से सोचना ज़रूरी होता है.

    ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान पर बना दबाव

    गौरतलब है कि ऑपरेशन सिंदूर 7 मई की रात उस समय शुरू किया गया, जब 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे. यह हमला भारत के नागरिकों पर एक सीधा प्रहार था और इसका जवाब भारत ने बेहद ठोस और संगठित ढंग से दिया.

    ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoJK) के भीतर 9 आतंकी ठिकानों को सटीक हमलों के जरिए नेस्तनाबूद किया गया. पाकिस्तान की ओर से जवाबी कार्रवाई की कोशिशें हुईं, लेकिन भारतीय एयर डिफेंस ने उन्हें बेअसर कर दिया.

    इस पराजय के बाद पाकिस्तानी DGMO ने संघर्षविराम की अपील की, जिसे भारत ने एक रणनीतिक विराम के रूप में स्वीकार किया. हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया कि "ऑपरेशन सिंदूर स्थगित हुआ है, समाप्त नहीं."

    राष्ट्रीय सुरक्षा के बदलते समीकरण

    एयरफोर्स चीफ की बातों से यह स्पष्ट हो गया कि भारत अब सिर्फ रक्षात्मक रणनीतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर निर्णायक और आक्रामक कदम उठाने में भी सक्षम और इच्छुक है. यह बदलाव सिर्फ सैन्य ताकत का नहीं, बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और रणनीतिक स्पष्टता का भी संकेत है.

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