AI Will Make Bomb: जहां आज हर जगह Artificial Intelligence (AI) की तारीफ हो रही है और यह हमारे काम को मिनटों में पूरा कर रहा है, वहीं इसके साथ जुड़े कुछ खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. तकनीक की इस नई क्रांति ने हमारी ज़िंदगी आसान तो बनाई है, लेकिन इसने मानवता के लिए गंभीर चिंताएं भी बढ़ा दी हैं. हाल ही में AI के गॉडफादर कहे जाने वाले जेफ्री हिंटन ने AI से जुड़ी गंभीर चेतावनियां दी हैं, जो एक बार फिर इस तकनीक के भविष्य पर सवाल खड़े करती हैं.
AI के उजालों के बीच छुपा अंधेरा
AI ने हमारी ज़िंदगी के कई पहलुओं को सरल बनाया है. किसी भी जटिल काम को AI की मदद से चुटकियों में पूरा करना अब आम बात हो गई है. मगर कुछ दुखद घटनाओं ने इस तकनीक के साये में खतरे की घंटी बजाई है. मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आया कि चैटजीपीटी जैसे AI टूल्स के कारण एक 16 वर्षीय बच्चे ने आत्महत्या कर ली, तो वहीं एक युवक ने AI के बहकावे में आकर अपनी मां का कत्ल कर दिया. ये घटनाएं AI की ताकत के साथ-साथ उसके जोखिमों की ओर इशारा करती हैं.
जेफ्री हिंटन ने क्यों जताई AI को लेकर चिंता?
जेफ्री हिंटन, जिन्हें AI का गॉडफादर भी कहा जाता है, ने AI की तेजी से बढ़ती तकनीक को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है. उनका मानना है कि AI सिर्फ काम को आसान नहीं बनाता, बल्कि अगर गलत हाथों में गया तो मानवता के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकता है. उन्होंने साफ कहा है कि AI की मदद से सामान्य इंसान भी परमाणु बम या जैविक हथियार जैसे भयानक हथियार बना सकता है. इस चेतावनी ने वैश्विक स्तर पर AI को लेकर सुरक्षा और नैतिकता पर बहस को तेज कर दिया है.
AI है स्मार्ट, लेकिन मानवता के लिए खतरा भी?
जेफ्री हिंटन के अनुसार, AI की बुद्धिमत्ता इंसानी अनुभव से कहीं ज्यादा विकसित है. यह मशीनें केवल डेटा पर काम नहीं करतीं, बल्कि सीखती और निर्णय लेती हैं. इसलिए, उनके हिसाब से AI की क्षमता मानव नियंत्रण से बाहर जा सकती है. हालांकि, हर कोई इससे सहमत नहीं है. उनके पूर्व सहयोगी यान लेकुन, जो मेटा में चीफ AI साइंटिस्ट हैं, मानते हैं कि बड़े लैंग्वेज मॉडल अभी भी सीमित हैं और वे दुनिया के साथ इंसानी स्तर की बातचीत करने में सक्षम नहीं हैं.
AI का भविष्य: आशाओं और चुनौतियों का संगम
AI के विकास ने जहां कई क्षेत्रों में क्रांति ला दी है, वहीं इसके साथ आने वाली चुनौतियां भी कम नहीं. सुरक्षा, नैतिकता, और नियंत्रण के सवाल अब बेहद जरूरी हो गए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि AI का सही उपयोग तभी संभव है जब हम इसके जोखिमों को समझें और उन्हें नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएं. जैसे-जैसे AI और ज्यादा विकसित होगा, इंसानियत के लिए खतरे और संभावनाओं के बीच संतुलन बनाना बेहद जरूरी होगा.
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