Agra News: ताजमहल, जिसे प्रेम का अमर प्रतीक और स्थापत्य का बेमिसाल नमूना माना जाता है, अब एक नए संकट से गुजर रहा है. विश्व धरोहर में शामिल इस ऐतिहासिक इमारत के गुंबद में 73 मीटर की ऊंचाई पर पानी के रिसाव की खबर सामने आई है. यह खुलासा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की हाई-टेक थर्मल स्कैनिंग में हुआ है. अब ताज की हिफाजत के लिए विशेषज्ञों की टीम सक्रिय हो गई है.
ताजमहल प्रेमियों के लिए चिंता की खबर
सफेद संगमरमर में ढली इस मोहब्बत की निशानी को देखने हर साल देश-विदेश से लाखों सैलानी आते हैं. लेकिन अब इसकी भव्यता को एक तकनीकी संकट ने घेर लिया है. पानी का रिसाव इसकी संरचनात्मक मजबूती को नुकसान पहुंचा सकता है, जिसे लेकर ASI ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी है.
तीन बड़ी वजहें बनीं रिसाव का कारण
हाईटेक जांच से मिला सुराग
ASI ने इस जांच के लिए लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (LiDAR) तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसमें पल्स लेज़र के जरिए सतह की गहराई और कमजोरी का पता लगाया जाता है. साथ ही GPS, स्कैनर और ड्रोन की मदद से पूरे गुंबद का विश्लेषण किया गया है.
क्या बोले अधिकारी?
ताजमहल के वरिष्ठ संरक्षण सहायक प्रिंस वाजपेयी ने बताया कि थर्मल और डिजिटल स्कैनिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है. अब फिजिकल निरीक्षण की बारी है. चूंकि गुंबद की ऊंचाई 73 मीटर है, इसलिए मरम्मत में लगभग 6 महीने का समय लग सकता है.
धरोहर को बचाने की जंग
ताजमहल सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत की पहचान है. यह समस्या अब चर्चा का विषय बन चुकी है, लेकिन राहत की बात यह है कि विशेषज्ञ सक्रिय हैं और जल्द ही इसकी मरम्मत शुरू हो जाएगी. उम्मीद है कि आने वाले समय में ताजमहल फिर से उसी शान से चमकेगा, जैसी उसकी पहचान है.
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