आपने अंतरिक्ष के रहस्यों के बारे में खूब सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी धरती के नीचे, खासकर समुद्र की गहराइयों में भी एक पूरी ‘दूसरी दुनिया’ छिपी हो सकती है? इंडोनेशिया के पास हाल ही में हुई एक आश्चर्यजनक खोज ने इतिहास और पुरातत्व की किताबों को फिर से लिखने पर मजबूर कर दिया है. यह कोई काल्पनिक कथा नहीं, बल्कि विज्ञान और शोध की कसौटी पर खरा उतरता एक जीवंत प्रमाण है, जिसने यह साबित कर दिया है कि समुद्र की रेत में मानवता के विकास की एक पूरी दास्तान दबी हुई है.
कैसे हुई रहस्यमयी दुनिया की खोज?
इस रहस्य की शुरुआत 2011 में तब हुई जब पूर्वी जावा और मदुरा के बीच समुद्री रेत निकालने के दौरान मजदूरों को कुछ अजीब चीज़ें मिलीं. इन अवशेषों में 6,000 से अधिक जीव-जंतुओं के कंकाल मिले, जिनमें कोमोडो ड्रैगन, जंगली भैंसे, हिरण और हाथी जैसे विशाल जीव शामिल थे. लेकिन असली सनसनी तब फैली जब दो मानव खोपड़ियों के टुकड़े भी इस रेत में दबे मिले.
वैज्ञानिक भी रह गए चौंक
नीदरलैंड्स की यूनिवर्सिटी ऑफ लीडन के पुरातत्वविद हैरॉल्ड बर्गहुइस और उनकी टीम ने इन खोपड़ियों का विश्लेषण किया और पाया कि ये होमो इरेक्टस, यानी आधुनिक इंसानों के पूर्वजों से जुड़ी हैं. 'ऑप्टिकली स्टिम्युलेटेड ल्यूमिनेसेंस' तकनीक से यह निष्कर्ष निकाला गया कि ये अवशेष करीब 1,40,000 साल पुराने हैं.
डूब गया था इतिहास
जहां आज समंदर लहरें मार रहा है, वहां कभी ‘सुंडालैंड’ नाम की एक विशाल भूमि थी. यह क्षेत्र दक्षिण-पूर्व एशिया के कई हिस्सों को जोड़ता था और जीवन से भरपूर था. लेकिन लगभग 14,000 से 7,000 साल पहले समुद्र स्तर के बढ़ने से यह पूरा क्षेत्र जलमग्न हो गया.
इंसान... शिकारी और समझदार
मिलने वाली हड्डियों पर औजारों से काटने के निशान यह इशारा करते हैं कि होमो इरेक्टस न सिर्फ शिकार करते थे, बल्कि वे मांस निकालने के लिए औजारों का भी इस्तेमाल करते थे. यानी उस दौर के इंसान केवल जीवित रहने के लिए नहीं, बल्कि सोच-समझ के साथ जीवन जीने की कोशिश कर रहे थे.
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