मुंबई कॉलेज के छात्राओं ने हिजाब बैन हटाने की मांग की, बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की

    जस्टिस एएस चंदुरकर और राजेश पाटिल की खंडपीठ ने कॉलेज के निर्णय में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने वाली 9 छात्राओं की याचिका खारिज कर दी.

    मुंबई कॉलेज के छात्राओं ने हिजाब बैन हटाने की मांग की, बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की
    बॉम्बे हाईकोर्ट, प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo- विकीमीडिया कॉमन्स

    मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को मुंबई के एक कॉलेज द्वारा परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टोल, टोपी आदि पहनने पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली छात्राओं द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दी.

    बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एएस चंदुरकर और राजेश पाटिल की खंडपीठ ने मुंबई शहर के एक कॉलेज द्वारा लिए गए निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कॉलेज अधिकारियों के निर्णय को चुनौती देने वाली नौ छात्राओं द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया.

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    जुलाई में कॉलेज ने लगाया था प्रतिबंध

    इससे पहले जुलाई में, विज्ञान डिग्री कोर्स के दूसरे और तीसरे वर्ष में पढ़ रहे छात्रों ने चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज द्वारा जारी किए गए निर्देश के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें परिसर के अंदर छात्राओं के हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टोल, टोपी आदि पहनने पर रोक लगाई गई थी.

    याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि ऐसा निर्देश उनके धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकारों, निजता के अधिकार और पसंद के अधिकार के खिलाफ है.

    याचिका में कॉलेज की कार्रवाई को "मनमाना, अनुचित, कानून के विरुद्ध और विकृत" बताया गया.

    याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील ने ये दी दलील

    याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता अल्ताफ खान ने इस मामले को जूनियर कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले से अलग करते हुए कहा कि यह मामला वरिष्ठ कॉलेज के छात्रों से संबंधित है, जिनके पास ड्रेस कोड है, लेकिन यूनिफॉर्म नहीं है.

    खान ने तर्क दिया कि बिना किसी कानूनी अधिकार के व्हाट्सएप के माध्यम से ड्रेस कोड लागू किया गया था, जो कि कर्नाटक मामले से अलग है, जहां पहले से मौजूद यूनिफॉर्म नीति लागू की गई थी. उन्होंने दावा किया कि ड्रेस कोड याचिकाकर्ताओं के पसंद, शारीरिक और स्वायत्तता के अधिकार का उल्लंघन करता है.

    कॉलेज ने कहा था- यह कदम अनुशासनात्मक था, मुस्लिमों के खिलाफ नहीं

    इससे पहले, कॉलेज के अधिकारियों ने दावा किया कि यह निर्णय केवल अनुशासनात्मक था और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नहीं था.

    कॉलेज प्रबंधन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अनिल अंतुरकर ने कहा कि ड्रेस कोड हर धर्म और जाति से संबंधित सभी छात्रों के लिए है.

    हालांकि, लड़कियों ने अपनी याचिका में दावा किया कि ऐसा निर्देश "शक्ति के रंग-रूपी प्रयोग के अलावा कुछ नहीं है".

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