भारत को F-35A नहीं, बल्कि F-21... ट्रंप के ऑफर में ये कैसा झोल! MRFA के लिए टेंडर में क्या होगा?

अमेरिका की प्रमुख रक्षा और एयरोस्पेस कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने भारत को एफ-35ए लाइटनिंग II की पेशकश नहीं करने का निर्णय लिया है.

India will not get F-35A but F-21 What is wrong with Trump offer MRFA
प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: ANI

अमेरिका की प्रमुख रक्षा और एयरोस्पेस कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने भारत को एफ-35ए लाइटनिंग II की पेशकश नहीं करने का निर्णय लिया है. इसके बजाय, कंपनी ने भारतीय वायु सेना के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया एफ-21 लड़ाकू विमान का ऑफर देने की योजना बनाई है. भारत सरकार जल्द ही मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) के लिए एक टेंडर जारी करने वाली है, जिसके तहत भारत 110 लड़ाकू विमानों की खरीद करेगा. यह प्रस्ताव दुनिया भर की रक्षा कंपनियों के लिए एक प्रमुख अवसर बन चुका है, और इस डील में भाग लेने के लिए कई कंपनियां अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं, जिनमें फ्रांस, स्वीडन, और यूरोपीय कंपनियां भी शामिल हैं.

एफ-35A की पेशकश क्यों नहीं?

लॉकहीड मार्टिन के अधिकारियों ने बताया कि वे भारत को एफ-35A की पेशकश नहीं करेंगे. इसके पीछे मुख्य कारण है- अमेरिकी सरकार के ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) से जुड़े कड़े नियम और एफ-35 विमान की उत्पादन लाइन भारत में स्थापित करने की अव्यवहारिकता. कंपनी ने यह स्पष्ट किया कि एफ-35 का उत्पादन भारत में करना संभव नहीं होगा, क्योंकि इसे स्थापित करने के लिए भारी निवेश और समर्पित उत्पादन लाइन की आवश्यकता होगी, जो इस छोटे ऑर्डर के लिए सही नहीं है.

इसके बजाय, लॉकहीड मार्टिन ने एफ-21 के उन्नत वेरिएंट को पेश करने की योजना बनाई है. एफ-21, एफ-16 ब्लॉक 70/72 का एक आधुनिक संस्करण है, जिसे विशेष रूप से भारतीय वायु सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है. हालांकि, यह विमान पहले मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (MMRCA) टेंडर के तहत तकनीकी चयन में विफल हो चुका था.

110 विमानों का ऑर्डर छोटा

अब, एमएमआरसीए कार्यक्रम के रद्द होने के बाद, मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) कार्यक्रम को फिर से शुरू किया गया है. भारतीय वायु सेना ने हाल ही में इस कार्यक्रम में कुछ बदलावों के संकेत दिए हैं, जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि इस साल के अंत तक अनुरोध प्रस्ताव (RFP) जारी हो सकता है.

लॉकहीड मार्टिन के अधिकारियों ने एफ-35 की पेशकश न करने के पीछे तर्क देते हुए कहा कि 110 विमानों का ऑर्डर छोटा है और इसे भारत में एक एफ-35 उत्पादन लाइन स्थापित करने के लिए जरूरी निवेश को सही ठहराना कठिन है. कंपनी का कहना है कि एफ-35 प्रोग्राम अमेरिकी इतिहास की सबसे महंगी रक्षा परियोजनाओं में से एक है और इसके लिए जटिल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट, सप्लाई चेन, प्रशिक्षण कार्यक्रम, और रखरखाव इकोसिस्टम की आवश्यकता होती है, जो इस छोटे ऑर्डर के लिए अव्यावहारिक हैं.

एफ-21 की पेशकश से लॉकहीड मार्टिन का उद्देश्य भारतीय वायु सेना के लिए एक उच्च तकनीकी और प्रभावी लड़ाकू विमान पेश करना है, जो भारत की रक्षा जरूरतों को पूरा करता है, जबकि साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि भारत के साथ सहयोग के तहत विमान की आपूर्ति की प्रक्रिया अधिक समग्र और प्रभावी हो.

इस पूरी प्रक्रिया के तहत, भारत के लिए यह एक बड़ा अवसर है, क्योंकि इसके माध्यम से देश अपनी रक्षा क्षमता को मजबूत करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय रक्षा सहयोग को भी बढ़ावा दे सकता है. अब देखना यह होगा कि लॉकहीड मार्टिन के एफ-21 और अन्य कंपनियों के विमान के प्रस्तावों के बीच किसे भारतीय वायु सेना द्वारा चुना जाता है.

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