'पैसे के बदले दिया गया फायदा'- Electoral Bonds घोटाले की SIT से जांच की मांग, SC में याचिका

    याचिका में कहा गया है कि चुनावी बांड मामले में करोड़ों रुपये का घोटाला शामिल है, आरोप है कि ED/IT स्कैनर के तहत कई कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से धन दान किया है.

    'पैसे के बदले दिया गया फायदा'- Electoral Bonds घोटाले की SIT से जांच की मांग, SC में याचिका

    नई दिल्ली : गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज (Common Cause) और CPIL (The Centre for Public Interest Litigation) ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर चुनावी बॉन्ड्स घोटाला (Electoral Bonds Scam) मामले में मनी ट्रेल (पैसे के लेन-देन में धोखाधड़ी) की SIT (Special investigation team) यानि विशेष जांच दल गठित कर इसकी जांच कराने की मांग की है. याचिका में कॉरपोरेट और राजनीतिक दलों के बीच पैसे एक-दूसरे को पैसे बदले फायदा पहुंचाने का आरोप है. 

    इसमें कहा गया है कि चुनावी बांड मामले में करोड़ों रुपये का घोटाला शामिल है, जिसे सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र जांच के जरिए ही उजागर किया जा सकता है. दायर याचिका में कहा गया है कि ईडी/आईटी स्कैनर के तहत कई कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से धन दान किया है.

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    यचिकाकर्ताओं ने कहा- मामले में जांच एजेंसियां भ्रष्टाचार में शामिल हुईं

    याचिकाकर्ताओं ने कहा कि चुनावी बॉन्ड घोटाले में देश की कुछ प्रमुख जांच एजेंसियां जैसे कि सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन) प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग (IT) इस भ्रष्टाचार में सहयोगी बनी हैं.

    सुप्रीम कोर्ट द्वारा बेनामी चुनावी बांड योजना को रद्द करने के बाद जनता के सामने जो डेटा पेश किया गया, उससे पता चला कि अधिकांश बांड कॉरपोरेट्स द्वारा राजनीतिक दलों को सरकारी अनुबंधों को सुरक्षित करने के लिए या लाइसेंस, सीबीआई, आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच से बचने के लिए, और अपने मुताबिक नीति बनवाने के बदले में दिए गए थे.

    'जांच एजेंसियों से बचने के लिए 'घूस' दिया, अपने पक्ष में नीति बनवाई'

    "ईसीआई द्वारा अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित आंकड़ों से पता चलता है कि चुनावी बांड के के जरिए पिछले 6 वर्षों में बड़े कॉरपोरेट्स और राजनीतिक दलों के बीच संभावित रूप से किस तरह की पैसे के बदले फायदा पहुंचाने की व्यवस्था बनाई गई. डेटा से पता चलता है कि निजी कंपनियों ने राजनीतिक दलों को या तो केंद्र सरकार के अधीन एजेंसियों की जांच से बचने के लिए "प्रोटेक्शन मनी" के रूप में या अनुचित लाभ के बदले में "घूस" के रूप में करोड़ों का फंड दिया है. कुछ उदाहरणों में, यह देखा गया है कि केंद्र या राज्यों में सत्ता में रहने वाले राजनीतिक दलों ने सार्वजनिक हित और सरकारी खजाने की कीमत पर निजी कॉरपोरेट्स को लाभ प्रदान करने के लिए नीतियों या कानूनों में स्पष्ट रूप से संशोधन किया."

    आंकड़ों से पता चला है कि घाटे में चल रहीं विभिन्न कंपनियां और शेल (फर्जी) कंपनियां चुनावी बांड के माध्यम से राजनीतिक दलों को भारी रकम दान कर रही थीं. यह तर्क दिया गया है कि इन शेल कंपनियों का इस्तेमाल चुनावी बांड के माध्यम से अवैध धन को वैध बनाने के तौर पर किया गया था.

    इसमें कहा गया है, "चुनावी बॉन्ड घोटाले में, देश की कुछ प्रमुख जांच एजेंसियां जैसे कि सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग भ्रष्टाचार के मददगार बन गए. इन एजेंसियों द्वारा जांच के दायरे में आने वाली कई कंपनियों ने बड़ी मात्रा में सत्तारूढ़ दल धन दिया जांच के नतीजों में सामने आ सकता है.'' 

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    इन कंपनियों का दिया गया है हवाला, बताया 1988 एक्ट का उल्लंघन

    याचिका में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, एपीसीओ इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड (एपीसीओ), फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज, ग्रासिम इंडस्ट्रीज, आईएफबी एग्रो लिमिटेड, इनफिना कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड (इन्फिना) अरबिंदो फार्मा, वेदांता, भारती एयरटेल लिमिटेड, जैसी कुछ कंपनियों द्वारा खरीदे गए चुनावी बांड के संबंध में समाचार रिपोर्टों का हवाला दिया गया है. 

    याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि कई फार्मा कंपनियां, जो घटिया दवाओं के निर्माण के लिए रेग्युलेटरी जांच के दायरे में थीं, ने भी चुनावी बांड खरीदे. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इस तरह की बदले में फायदे की व्यवस्था भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 का स्पष्ट उल्लंघन है.

    इस पृष्ठभूमि में, याचिकाकर्ताओं ने "लोक सेवकों, राजनीतिक दलों, वाणिज्यिक संगठनों, कंपनियों, जांच एजेंसियों के अधिकारियों और अन्य लोगों के बीच स्पष्ट रूप से पैसे के बदले फायदे की भावना और अन्य अपराधों की उजागर किया गया है, जिसकी अदालत की निगरानी में एक एसआईटी द्वारा जांच की मांग की है.

    उन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों को मुखौटा कंपनियों और घाटे में चल रही कंपनियों के वित्तपोषण के स्रोत की जांच करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की भी मांग की.

    अपराध की आय को वसूलने की अपील की

    इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने प्राधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की है कि राजनीतिक दलों से कंपनियों द्वारा इन दलों को दान की गई रकम को बदले की व्यवस्था के हिस्से के रूप में वसूला जाए, जहां यह अपराध की आय मिले.

    याचिका वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर की गई है.

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