EVM-VVPAT की 100% वेरिफिकेशन की मांग- SC ने कहा, EC के जवाबों में है कन्फ्यूजन, वह सफाई दे

    Supreme court asks ECI : सुप्रीम कोर्ट कहा- उसे कुछ पहलुओं पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है, ईवीएम पर पूछे जाने वाले सवालों में ECI के दिए गए जवाबों में कुछ भ्रम (कन्फ्यूजन) है.

    EVM-VVPAT की 100% वेरिफिकेशन की मांग- SC ने कहा, EC के जवाबों में है कन्फ्यूजन, वह सफाई दे

    नई दिल्ली : इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) में दर्ज वोटों का वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों से पूरी तरह वेरीफाई (सत्यापन) की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. शीर्ष आदलत ने कहा ईवीएम पर अक्सर पूछे गए सवालों में दिए गए उसके जवाब में कुछ कन्फ्यूजन है.

    सुप्रीम कोर्ट कहा, "उसे कुछ पहलुओं पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है क्योंकि ईवीएम पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों में चुनाव आयोग द्वारा दिए गए उत्तरों में कुछ भ्रम (कन्फ्यूजन) है."

    आज मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने यह आदेश पारित किया है.

    वहीं इससे पहले शीर्ष अदालत ने इन याचिकाओं पर आज सुनवाई की बात कही थी. इस पर संभव कल यानी 24 अप्रैल को फैसला आने की उम्मीद है.  

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    सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने फैसले को रखा था सुरक्षित

    इससे पहले सुनवाई करते हुए पीठ ने 18 अप्रैल के लिए फैसले को सुरक्षित रख लिया था.

    सुनवाई के दौरान, पीठ ने ईवीएम और वीवीपैट की कार्यप्रणाली और उनकी सुरक्षा विशेषताओं को समझने के लिए भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के एक अधिकारी के साथ विस्तार सवाल-जवाब किया था. ईसीआई ने कहा कि किसी भी हालत में ईवीएम के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती और वीवीपैट पर्चियों की पूरी गिनती व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है.

    ये रिट याचिकाएं एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), अभय भाकचंद छाजेड़ और अरुण कुमार अग्रवाल द्वारा दायर की गई हैं.

    याचिकाकर्ताओं ने दिया तर्क, पीठ ने कहा- मैन्युअल गिनती ठीक नहीं

    याचिकाकर्ताओं ने इस बात पर जोर देते हुए कि मतदाताओं का विश्वास बढ़ाने के उपाय अपनाए जाने चाहिए. उन्होंने तर्क दिया कि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के बड़े लक्ष्य के परिणामों की घोषणा में कुछ दिनों की देरी की एक छोटी सी कीमत चुकाई जानी चाहिए.

    लेकिन इस दौरान पीठ ने मौखिक रूप से मैन्युअल गिनती प्रक्रिया पर आपत्ति जताई और कहा कि मानवीय दखल से समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

    अभी ईवीएम की पर्चियां गिनने की ये है व्यवस्था

    मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक, ईसीआई एक संसदीय क्षेत्र में प्रति विधानसभा क्षेत्र के पांच मतदान केंद्रों से ईवीएम की वीवीपैट पर्चियों का रैंडमली (एकाएक) वेरिफिकेशन करता है. यह व्यवस्था 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक निर्देश के बाद शुरू की गई थी, जिसने ईसीआई को हर विधानसभा क्षेत्र में एक मतदान केंद्र के बजाय इसे पांच मतदान केंद्रों तक बढ़ाने का निर्देश दिया था. 

    शीर्ष अदालत ने सोर्स कोड के खुलासे की मांग खारिज की

    वरिष्ठ वकील संतोष पॉल ने ईवीएम को लेकर अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि यह एक सोर्स कोड है, जिसका खुलासा नहीं किया गया है.

    इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि सोर्स कोड का खुलासा कभी नहीं किया जाना चाहिए. अगर इसका खुलासा हुआ तो इसका गलत इस्तेमाल होगा.

    पीठ मामले पर सुनवाई अब 2 बजे करेगी. 

    सुप्रीम कोर्ट कल पारित कर सकता है चुनाव आयोग को निर्देश

    सुप्रीम कोर्ट ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन को लेकर याचिकाओं को कल "निर्देशों के लिए" लिस्ट कर सकता है.

    सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में दर्ज वोटों का वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ 100% सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं पर कल (24 अप्रैल) निर्देश पारित कर सकता है. कॉजलिस्ट (वाद सूची) के अनुसार, याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में कल "दिशा-निर्देशों के लिए" लिस्ट की गई हैं.

    इससे पहले न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने दो दिन की सुनवाई के बाद 18 अप्रैल को याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

    सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगी थी मशीन की विस्तार से जानकारी

    सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल को हुई सुनवाई में चुनाव आयोग से निष्पक्ष और साफ-सुथरे चुनाव के लिए विस्तार जानकारी मांगी थी. जस्टिस खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने चुनाव की पवित्रता बनाए रखने को कहा था.  

    इस दौरान सुनवाई में पीठ ने कहा था, "यह एक चुनावी प्रक्रिया है. इसमें पवित्रता होनी चाहिए. किसी को भी शक न हो कि वे जो उम्मीद कर रहे हैं, वह नहीं हो रहा है."

    जज ने चुनाव आयोग से पूछा था कि आपके पास कितने वीवीपीएटी हैं? इस पर आयोग के अधिकारी ने 17 लाख वीवीपैट होने की बात कही थी, जिस पर जज ने सवाल किया कि आपके पास ईवीएम और वीवीपैट की संख्या अलग क्यों है? इस पर अधिकारी ने समझाने की कोशिश की लेकिन जज को लगा कि यह मुद्दे से भटकने वाली बात है, लिहाजा अधिकारी को जवाब देने से रोक दिया. 

    कोर्ट ने और गहराई में जाते हुए सवाल किया कि उसके आंकड़ों को लेकर इन्हें हैंडल करने वाले लोगों के पास क्या जानकारी होती है. इस पर अधिकारी ने कहा कि इन आंकड़ों को जान पाना या उसमें रिगिंग कर पाना किसी भी तरह संभव नहीं है. मॉक पोल में प्रत्याशी अपनी पसंद के मुताबिक किसी भी मशीन की जांच कर सकता है. 

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