पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं, और हाल ही में एक और टारगेट किलिंग ने स्थिति को और जटिल बना दिया है. रविवार को बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा के एयरपोर्ट रोड पर मुफ्ती अब्दुल बकी की हत्या कर दी गई. अज्ञात बंदूकधारियों ने उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया. अब्दुल बकी, जो क्षेत्र के प्रसिद्ध इस्लामी विद्वानों में गिने जाते थे, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई) के वरिष्ठ नेताओं में भी शामिल थे. उनके निधन से पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है.
सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन शुरू कर दिया
क्वेटा में हुए इस हमले के बाद पुलिस और सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन शुरू कर दिया है. उनकी कोशिश है कि वे हमलावरों की पहचान कर उन्हें जल्द से जल्द पकड़ लें. इस हमले में अब्दुल बकी को गंभीर चोटें आईं और अस्पताल में उनका निधन हो गया. प्रशासन ने दावा किया है कि हमलावरों को पकड़ने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है. हालांकि, इस हत्या के कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन बलूचिस्तान में इस तरह की घटनाओं की बढ़ती संख्या निश्चित रूप से सरकार और सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है.
मुफ्ती शाह मीर की गोली मारकर हत्या
कुछ दिन पहले तुर्बत में भी एक ऐसी ही घटना हुई थी, जहां अज्ञात हमलावरों ने मुफ्ती शाह मीर की गोली मारकर हत्या कर दी थी. शाह मीर नमाज पढ़कर मस्जिद से बाहर निकल रहे थे, तभी हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं. गंभीर रूप से घायल शाह मीर को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वे बच नहीं पाए. इन घटनाओं ने बलूचिस्तान में सुरक्षा की स्थिति को और बिगाड़ दिया है.
बलूचिस्तान में आतंकवाद, टारगेट किलिंग और सुरक्षा बलों पर हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. यह स्थिति पाकिस्तान सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि इस तरह की घटनाएं न केवल स्थानीय स्तर पर आतंक और अस्थिरता बढ़ा रही हैं, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती भी दे रही हैं. हाल ही में, बलूचिस्तान में ट्रेन हाइजैक और सैन्य काफिले पर हमले जैसे गंभीर मामलों ने पाकिस्तान सरकार को गहरे सोच में डाल दिया है.
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