ट्रंप का प्लेन, पुतिन का S-400... पीएम मोदी ने अमेरिका को दिया खास मैसेज- 'भारत डरने वाला नहीं'

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हालिया आदमपुर एयरबेस दौरा सिर्फ एक सैन्य निरीक्षण नहीं था, बल्कि यह भारत की विदेश और रक्षा नीति को लेकर एक सशक्त संदेश भी था.

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    पीएम मोदी | Photo: ANI

    नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हालिया आदमपुर एयरबेस दौरा सिर्फ एक सैन्य निरीक्षण नहीं था, बल्कि यह भारत की विदेश और रक्षा नीति को लेकर एक सशक्त संदेश भी था. उन्होंने न केवल भारतीय वायुसेना के जवानों का उत्साह बढ़ाया, बल्कि दुनिया को यह जता दिया कि भारत अब अपनी रणनीतिक प्राथमिकताओं को खुद तय करता है—किसी बाहरी दबाव में नहीं.

    सुपर हरक्यूलिस विमान से पहुंचे पीएम मोदी

    इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी अमेरिका निर्मित C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान से पहुंचे और वहां रूसी तकनीक से बने अत्याधुनिक S-400 एयर डिफेंस सिस्टम का निरीक्षण किया. यह वही S-400 है जिसने हालिया समय में भारत की वायु सीमाओं की मजबूती को साबित किया है और संभावित खतरों को हवा में ही निष्क्रिय कर दिया.

    मोदी का यह दौरा कई स्तरों पर संदेशवाहक साबित हुआ. एक ओर, पाकिस्तान को स्पष्ट संकेत मिला कि भारत की ओर किसी भी प्रकार की आक्रामकता का जवाब निर्णायक और विनाशकारी होगा. आतंकवादियों के लिए यह एक सख्त चेतावनी थी—भारत अब सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं देता, पहले से तैयार रहता है.

    'रूस के साथ भारत के रिश्ते केवल सैन्य सौदों तक सीमित नहीं'

    दूसरी ओर, अमेरिका को भी अप्रत्यक्ष रूप से यह बताया गया कि भारत अपनी रक्षा साझेदारियों में स्वतंत्रता और संतुलन बनाए रखेगा. रूस के साथ भारत के रिश्ते केवल सैन्य सौदों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह एक दीर्घकालिक रणनीतिक भरोसे का प्रतीक बन चुके हैं. ऐसे समय में जब अमेरिका और पश्चिमी देश रूस पर प्रतिबंधों और दबाव की नीति अपना रहे हैं, भारत ने रूस से अपने संबंधों को ठंडा नहीं किया, बल्कि और गहरा किया है.

    यह दौरा "इंडिया फर्स्ट" की नीति का एक प्रत्यक्ष उदाहरण बनकर उभरा है. प्रधानमंत्री मोदी ने यह साफ कर दिया कि भारत किसी सैन्य या राजनीतिक ब्लॉक का अंध अनुयायी नहीं बनेगा. S-400 सिस्टम को खुले मंच पर प्रदर्शित करना इसी नीति का हिस्सा था—यह दिखाने के लिए कि भारत किसी भी रक्षा तकनीक को उसके मूल देश के आधार पर नहीं, बल्कि उसकी उपयोगिता और विश्वसनीयता के आधार पर चुनता है.

    चीन और पाकिस्तान जैसे दोहरे मोर्चों पर बढ़ते खतरे के बीच रूस के साथ रक्षा साझेदारी भारत की सामरिक रणनीति में एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुकी है. प्रधानमंत्री मोदी की यह पहल केवल सुरक्षा का आश्वासन नहीं, बल्कि एक संतुलित और आत्मनिर्भर विदेश नीति की ओर बढ़ता भारत का कदम है.

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