सचिन तेंदुलकर ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से की मुलाकात, 2011 विश्व कप को बताया जीवन का सबसे अच्छा पल

तेंदुलकर ने अपने परिवार के साथ गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की. 51 वर्षीय तेंदुलकर के साथ उनकी पत्नी अंजलि और बेटी सारा भी मौजूद थीं.

Sachin Tendulkar met President Draupadi Murmu called 2011 World Cup the best moment of his life
तेंदुलकर ने अपने परिवार के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की/Photo- X- President of India

नई दिल्ली: तेंदुलकर ने अपने परिवार के साथ गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की. 51 वर्षीय तेंदुलकर के साथ उनकी पत्नी अंजलि और बेटी सारा भी मौजूद थीं.

क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर ने गुरुवार को 2011 विश्व कप जीत के क्षणों को याद किया और कहा कि वह इसे फिर से जीना चाहेंगे. राष्ट्रपति भवन विमर्श श्रींखला में बोलते हुए तेंदुलकर ने कहा कि 2011 विश्व कप जीत उनके जीवन का सबसे अच्छा क्षण था.

वह यात्रा और सपना जो 1983 में शुरू हुआ था

राष्ट्रपति भवन विमर्श श्रींखला में एक कार्यक्रम के दौरान सचिन तेंदुलकर ने कहा, "2011 विश्व कप एक ऐसी स्मृति है जिसे मैं फिर से जीना चाहता हूं. वह यात्रा और सपना जो 1983 में शुरू हुआ था. मैंने कई प्रयास किए, असफल रहा लेकिन कभी उम्मीद नहीं खोई. इसलिए, यह मेरे जीवन का सबसे अच्छा क्षण है."

भारत ने 2011 में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में फाइनल में श्रीलंका को छह विकेट से हराया था. पहले बल्लेबाजी करने के बाद, श्रीलंका ने अपने 50 ओवरों में 274/6 रन बनाए. महेला जयवर्धने (103*) के नाबाद शतक और कप्तान कुमार संगकारा (48), नुवान कुलसेकरा (32) और थिसारा परेरा (22*) की पारियों ने लंका को प्रतिस्पर्धी स्कोर तक पहुंचाया. युवराज सिंह और जहीर खान ने दो-दो विकेट और हरभजन सिंह ने एक विकेट लिया.

28 साल में पहला विश्व कप खिताब जीता

275 रनों का पीछा करते हुए भारत ने सहवाग (0) और तेंदुलकर (18) के विकेट जल्दी खो दिए. लेकिन गौतम गंभीर और विराट कोहली (35) के बीच 83 रनों की साझेदारी ने भारत की संभावनाओं को पुनर्जीवित कर दिया. गंभीर ने 122 गेंदों में 97 रन बनाए और कप्तान एमएस धोनी के साथ चौथे विकेट के लिए 109 रनों की साझेदारी की, जो 79 गेंदों पर नाबाद 91* रन बनाकर समाप्त हुई. धोनी और युवराज (21*) के बीच पांचवें विकेट के लिए नाबाद 54 रन की साझेदारी हुई, जिसने टीम इंडिया को 28 साल में अपना पहला विश्व कप खिताब दिलाया.

इसके अलावा, तेंदुलकर ने अपने बचपन के कोच रमाकांत आर्चरेकर के बारे में भी बात की. तेंदुलकर ने कहा, "आर्चरेकर सर ने मेरे जीवन में एक महान भूमिका निभाई. वह मुझे गर्मियों की छुट्टियों के दौरान बल्लेबाजी करने के लिए 5 अलग-अलग नेट पर ले जाते थे. वह सुनिश्चित करते थे कि हम कभी भी शॉर्ट कट न लें, जिससे मैं मानसिक रूप से मजबूत हो गया."

आर्चरेकर को द्रोणाचार्य पुरस्कार दिया गया था

इस दिग्गज कोच का 2 जनवरी 2019 को 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया. 1990 में, एक कोच के रूप में खेल में उनके योगदान के लिए उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार दिया गया था. उन्हें 2010 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्म श्री पुरस्कार भी मिला.

इससे पहले शनिवार को, तेंदुलकर को मुंबई में बीसीसीआई पुरस्कारों में कर्नल सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. मास्टर ब्लास्टर के नाम आज भी टेस्ट और वनडे में सर्वाधिक रनों का रिकॉर्ड है, साथ ही 100 शतक बनाने का अनोखा कारनामा भी है.

16 साल की उम्र में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया

'क्रिकेट के भगवान' के रूप में जाने जाने वाले तेंदुलकर को क्रिकेट में उनके अद्वितीय कौशल और महारत के लिए जाना जाता है, जिन्होंने 1989 से 2013 तक दुनिया भर में प्रशंसकों का मनोरंजन किया. महाराष्ट्र में जन्मे इस खिलाड़ी ने 16 साल की उम्र में 15 नवंबर 1989 को टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया और उसी वर्ष 18 दिसंबर को अपना पहला वनडे खेला.

664 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 48.52 की औसत से 34,357 रन के साथ, तेंदुलकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बने हुए हैं. उनके नाम 100 शतक और 164 अर्धशतक हैं, जो खेल के इतिहास में बेजोड़ रिकॉर्ड हैं. तेंदुलकर वनडे में दोहरा शतक लगाने वाले पहले क्रिकेटर थे और उन्होंने रिकॉर्ड 200 टेस्ट मैच खेले.

वनडे में उन्होंने 44.83 की औसत से 18,426 रन

वनडे में उन्होंने 44.83 की औसत से 18,426 रन बनाए, जिसमें 49 शतक और 96 अर्धशतक शामिल हैं. टेस्ट में उन्होंने 53.78 की औसत से 15,921 रन बनाए, जिसमें 51 शतक और 68 अर्द्धशतक शामिल हैं. तेंदुलकर 2011 में भारत की आईसीसी क्रिकेट विश्व कप विजेता टीम का भी हिस्सा थे, उन्होंने 1992 में विश्व कप की शुरुआत के बाद अपने आजीवन सपने को पूरा किया.

ये भी पढ़ें- इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट पर डोनाल्ड ट्रंप ने लगाया प्रतिबंध, कहा- ICC ने शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया