'क्या वे फलों से पूछेंगे कि उन्हें किसने उगाया है?'- कांवड़ यात्रा मार्ग की दुकानों पर नाम, बिफरा विपक्ष

    कांवड़ यात्रा के मार्ग पर पड़ने वाली दुकानों को लेकर जहां विपक्ष सीएम योगी की आलोचना कर रहा है वहीं बीजेपी के नेता इस कदम के समर्थन में उतर आए हैं.

    'क्या वे फलों से पूछेंगे कि उन्हें किसने उगाया है?'- कांवड़ यात्रा मार्ग की दुकानों पर नाम, बिफरा विपक्ष
    आरजेडी नेता मनोज झा और भाजपा नेता मोहसिन राजा इस मामले पर अपनी बात रखते हुए | Photo- ANI

    लखनऊ : कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली दुकानों पर खाने-पीने की चीजों वाले ठेलों पर नाम प्रदर्शित करने के योगी सरकार के आदेश पर राजनीति गरमाती जा रही है. विपक्ष इस कदम की जमकर आलोचना कर रहा है तो सत्तापक्ष के नेता मोहसिन रजा ने योगी सरकार के इस कदम का समर्थन किया है.

    गौरतलब है कि कांवड़ यात्रा की पवित्रता बनाए रखने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आदेश है कि उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर सभी खाद्य और पेय पदार्थों की दुकानों पर मालिक या संचालक के नाम और पहचान के साथ नेमप्लेट लगाई जानी चाहिए.

    यह निर्णय 22 जुलाई से शुरू होने वाली वार्षिक तीर्थयात्रा के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने की व्यापक पहल का हिस्सा है.

    निर्देश, जिसमें हलाल उत्पाद बेचने वाली दुकानों के खिलाफ कार्रवाई भी शामिल है. इसको मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है और इसने राजनीतिक बहस छेड़ दी है.

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    बीजेपी नेता मोहसिन रजा ने इस कदम का किया समर्थन

    शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता मोहसिन रजा ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा, "उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा बड़े पैमाने पर होती है. सीएम योगी आदित्यनाथ हमेशा जनता की सुरक्षा के प्रति चौकस रहे हैं."

    रजा ने आगे कहा, "पिछले 7 सालों में कांवड़ यात्रा की सुविधाओं और प्रबंधन में हमेशा सुधार हुआ है. यह 8वां साल है...सरकार सुविधाएं और सुरक्षा मुहैया करा रही है. इसलिए किसी को अपना नाम छिपाने की जरूरत नहीं है. इससे सौहार्द का संदेश भी मिलता है...विपक्ष कांवड़ यात्रा का विरोध करने की कोशिश कर रहा है, न कि इस एडवाइजरी का."

    राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) ने की इस कदम की आलोचना

    राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने निर्देश की आलोचना करते हुए कहा, "गांधी जी, चौधरी चरण सिंह और अन्य हस्तियों ने धर्म और जाति को पीछे रखने की बात कही है. अब राजनेता राजनीति में धर्म और जाति को आगे ला रहे हैं. मुझे लगता है कि यह काम सही नहीं है. किसी को सड़क पर ठेले पर अपना नाम क्यों लिखवाना चाहिए? उन्हें काम करने का अधिकार है...यह परंपरा बिल्कुल गलत है. यह ग्राहक पर निर्भर करता है, वे जहां से चाहें खरीदारी कर सकते हैं..."

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    क्या फलों, सब्जियों से पूछेंगे कि उन्हें किसने उगाया है : मनोज झा 

    राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता मनोज झा ने निर्देश को "नासमझी भरी कवायद" करार देते हुए सवाल किया, "क्या वे फलों से पूछेंगे कि उन्हें हिंदू ने उगाया है या मुसलमान ने? क्या वे सब्जियों से पूछेंगे कि उन्हें किसने उगाया है? ऐसा नहीं किया जाना चाहिए."

    जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेता केसी त्यागी ने कहा, "बिहार में इससे (यूपी में) भी बड़ी कांवड़ यात्रा होती है. वहां ऐसा कोई आदेश लागू नहीं है. जो प्रतिबंध लगाए गए हैं, वे प्रधानमंत्री के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के नारे का उल्लंघन हैं. यह आदेश बिहार, राजस्थान या झारखंड में लागू नहीं है. अच्छा होगा कि इसकी समीक्षा की जाए."

    भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, डिप्टी सीएम ने खारिज की चिंताएं

    भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम ने चिंताओं को खारिज करते हुए कहा, "जिन क्षेत्रों के लिए आदेश पारित किए गए हैं, वहां रहने वाले लोगों को कोई समस्या नहीं है. मुसलमानों को इससे कोई समस्या नहीं है, वे कांवड़ यात्रियों का स्वागत करते हैं. दुर्भाग्य से, कुछ लोग इस पर राजनीति कर रहे हैं."

    उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने इस कदम का स्वागत किया और आपसी सद्भाव को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका पर जोर दिया. शर्मा ने कहा, "यह एक स्वागत योग्य कदम है और सरकार ने लोगों में आपसी सौहार्द बढ़ाने के लिए यह आदेश जारी किया है. करीब 40-50 फीसदी लोग दुकान के नीचे मालिक का नाम लिखते हैं. मुझे लगता है कि संवैधानिक व्यवस्था में दिए गए धार्मिक आस्था के सम्मान और संरक्षण की भावना के तहत यह एक बेहतर प्रयास है."

    "हिंदू और मुस्लिमों को साथ-साथ चलना चाहिए, रामलीला में मुस्लिम लोग पानी चढ़ाएं तो लोग पानी पीएं और ईद पर हिंदू उनका स्वागत करें. इस पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन व्रत, त्यौहार और कांवड़ यात्रा के नियमों का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए. इसी इरादे से यह फैसला एक स्वागत योग्य कदम है."

    अयोध्या के कुछ संतों ने सीएम योगी के आदेश का किया समर्थन

    अयोध्या के कुछ संतों ने भी आदेश का समर्थन किया है. जगतगुरु राम दिनेशाचार्य जी महाराज ने कहा, "मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के इस फैसले से सनातन संस्कृति मजबूत होगी."

    इसी तरह लीला बिहारी मंदिर के दिवाकराचार्य जी महाराज ने इसे "सुंदर पहल" बताया. श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास ने हिंदू नामों से मुस्लिमों द्वारा संचालित दुकानों को लेकर चिंता जताते हुए आदेश का समर्थन किया. आचार्य दास ने पुष्टि की, "मालिक हिंदू है या मुस्लिम, यह दर्शाने का योगी जी का निर्णय उचित है."

    उत्तराखंड की हरिद्वार पुलिस ने ऐसा ही आदेश जारी किया

    उत्तराखंड में, हरिद्वार पुलिस प्रशासन ने भी इसी तरह के निर्देश जारी किए हैं. हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) पद्मेंद्र डोभाल ने कहा, "हमने कांवड़ मार्ग पर स्थित होटलों, ढाबों, रेस्टोरेंट और ठेले वालों को सामान्य निर्देश दिए हैं कि वे अपनी दुकानों पर मालिक का नाम लिखेंगे. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो हम उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे."

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस निर्देश पर अड़े हुए हैं और कांवड़ यात्रा के दौरान शांति और सुरक्षा बनाए रखने में इसकी भूमिका पर जोर दे रहे हैं. विवाद के बावजूद, उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने दोहराया है कि दिशा-निर्देशों का उद्देश्य तीर्थयात्रियों के लिए सौहार्दपूर्ण वातावरण सुनिश्चित करना है.

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