JDU ने UP सरकार से कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकान मालिकों को नेमप्लेट का आदेश वापस लेने को कहा, RLD भी साथ

    बीजेपी की सहयोगी जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने कहा- जो प्रतिबंध लगाए गए हैं, वे प्रधानमंत्री के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के नारे का उल्लंघन हैं. रालोद ने भी इसे गांधी, चौधरी चरण सिंह की सोच के खिलाफ बताया.

    JDU ने UP सरकार से कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकान मालिकों को नेमप्लेट का आदेश वापस लेने को कहा, RLD भी साथ
    जेडीयू नेता केसी त्यागी दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए, प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo- ANI

    पटना (बिहार) : उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के लिए कहे जाने पर विवाद के बाद, केंद्र में भाजपा सरकार की सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) ने उत्तर प्रदेश सरकार से मुजफ्फरनगर के आदेश की समीक्षा करने या आदेश वापस लेने की मांग की.

    जनता दल (यूनाइटेड) के नेता केसी त्यागी ने कहा कि बिहार में इससे भी बड़ी कांवड़ यात्रा (यूपी में) होती है.

    केसी त्यागी ने कहा- यह आदेश 'सबका साथ, सबका विकास' के खिलाफ

    केसी त्यागी ने कहा, "बिहार में इससे भी बड़ी कांवड़ यात्रा (यूपी में) होती है. वहां ऐसा कोई आदेश लागू नहीं है. जो प्रतिबंध लगाए गए हैं, वे प्रधानमंत्री के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के नारे का उल्लंघन हैं. यह आदेश न तो बिहार में लागू है और न ही राजस्थान और झारखंड में. अच्छा होगा कि इसकी समीक्षा की जाए. इस आदेश को वापस लिया जाना चाहिए."

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    भाजपा की सहयोगी रालोद भी नेमप्लेट के खिलाफ आई

    रालोद के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने कहा कि भाजपा की सहयोगी पार्टी रालोद ने कहा कि विक्रेताओं से नेमप्लेट दिखाने को कहना बिल्कुल गलत है. गांधी जी, चौधरी चरण सिंह और अन्य हस्तियों ने धर्म और जाति को पीछे रखने की बात कही है. अब राजनेता राजनीति में धर्म और जाति को आगे ले जा रहे हैं. मुझे लगता है कि यह सही नहीं है. आप सड़क किनारे ठेले पर किसी का नाम क्यों लिखवाते हैं? उन्हें काम करने का अधिकार है...यह परंपरा बिल्कुल गलत है. यह ग्राहक पर निर्भर करता है, वे जहां से चाहें खरीदारी कर सकते हैं...मैं राजनेताओं से पूछना चाहता हूं- क्या शराब पीने से आप धार्मिक रूप से भ्रष्ट नहीं होते? क्या यह केवल मांस खाने से होता है? तो शराब पर प्रतिबंध क्यों नहीं है? वे शराब के बारे में क्यों नहीं बोलते? क्योंकि जो लोग व्यापार करते हैं, उनका गठजोड़ है, यह ताकतवरों का खेल है. ये छोटी दुकानें गरीबों ने लगाई हैं. इसलिए आप उन पर उंगली उठा रहे हैं. मैं मांग करता हूं कि शराब पर भी प्रतिबंध लगाया जाए.

    आज यूपी के सीएम ने आदेश दिया है कि नाम प्रदर्शित किए जाएं

    इससे पहले आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया कि कांवड़ मार्ग पर खाने-पीने की चीजों, पेय पदार्थों की दुकानों का नाम और पहचान प्रदर्शित की जाए. तीर्थयात्रियों की आस्था की पवित्रता बनाए रखने के लिए संचालक/मालिक को जिम्मेदार ठहराया जाएगा.

    इसके अलावा, हलाल उत्पाद बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली राज्य की सभी दुकानों में आईडी कार्ड के इस्तेमाल को अनिवार्य करने के कदम के परिणामस्वरूप भाजपा और विपक्ष के बीच राजनीतिक खींचतान शुरू हो गई है.

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    कल पुलिस ने दुकानों पर स्वेच्छा से नाम प्रदर्शित करने कहा था 

    गुरुवार को मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले सभी भोजनालयों से अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम "स्वेच्छा से प्रदर्शित" करने का आग्रह किया था, साथ ही कहा था कि इस आदेश का उद्देश्य किसी भी तरह का "धार्मिक भेदभाव" पैदा करना नहीं है, बल्कि केवल भक्तों की सुविधा के लिए है.

    डीआईजी अजय कुमार साहनी ने कहा, "पुलिस पूरे कांवड़ मार्ग पर लगातार गश्त कर रही है. कांवड़ समितियों और होटल-ढाबा मालिकों से बातचीत की जा रही है और यह तय किया जा रहा है कि सभी होटल और ढाबे साफ-सफाई रखें और रेट लिस्ट लगाएं... होटल-ढाबा मालिकों के नाम लिखे जाएं... इस बारे में सभी को बताया गया है और सभी इस पर सहमत हैं. अनिवार्य रूप से सभी को यह करना है... कांवड़ शिविरों के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है."

    इस कदम की अखिलेश यादव समेत विपक्षी दलों ने की तीखी आलोचना

    हालांकि, इस कदम की विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की है, जिन्होंने यूपी सरकार पर एक समुदाय को निशाना बनाने का आरोप लगाया है. इससे पहले गुरुवार को समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस आदेश को "सामाजिक अपराध" करार दिया और सरकार और प्रशासन की कार्रवाई के पीछे की मंशा पर सवाल उठाते हुए अदालत के हस्तक्षेप की मांग की.

    "जिस व्यक्ति का नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? माननीय अदालत को स्वत: संज्ञान लेते हुए ऐसे प्रशासन की इसके पीछे की मंशा की जांच करनी चाहिए और उचित दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए.

    उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं जो सौहार्द के शांतिपूर्ण माहौल को खराब करना चाहते हैं."

    एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आदेश की निंदा करते हुए इसे रंगभेद और नाजी युग की प्रथाओं से तुलना की और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनौती दी कि अगर उनमें "हिम्मत" है तो वे लिखित आदेश जारी करें. उत्तर प्रदेश सरकार के इस आदेश को देखकर ऐसा लगता है जैसे उनमें हिटलर की आत्मा प्रवेश कर गई है. क्या आप एक यात्रा को इतना महत्व देंगे कि आप दूसरों की आजीविका बर्बाद कर देंगे? क्या आप केवल एक समुदाय के लिए काम करेंगे? संविधान कहां है? मैं योगी आदित्यनाथ को चुनौती देता हूं कि अगर उनमें हिम्मत है तो वे लिखित आदेश जारी करें. मुसलमानों के साथ स्पष्ट भेदभाव हो रहा है, "ओवैसी ने कहा.

    भगवान शिव के भक्तों की पवित्र तीर्थयात्रा कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू होने वाली है.

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