'ये हमारे संविधान पर हमला है'- कांवड़ यात्रा मार्ग पर रेस्त्रां को लेकर UP सरकार के आदेश पर प्रियंका गुस्साईं

    उन्होंने कहा, "समाज में जाति और धर्म के आधार पर विभाजन पैदा करना संविधान के खिलाफ अपराध है. यह आदेश तुरंत वापस लिया जाना चाहिए. अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए."

    'ये हमारे संविधान पर हमला है'- कांवड़ यात्रा मार्ग पर रेस्त्रां को लेकर UP सरकार के आदेश पर प्रियंका गुस्साईं
    हरियाणा के सिरसा में चुनावी कार्यक्रम के बाद मीडिया से बात करती हुईं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo- ANI

    नई दिल्ली : कांवड़ यात्रा मार्ग पर रेस्त्रां को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के नेमप्लेट लगाने के आदेश को लेकर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने आलोचना की है. उन्होंने इसे संविधान के खिलाफ बताया है और इस आदेश को तुरंत वापस लेने को कहा है.

    प्रियंका गांधी वाड्रा ने शुक्रवार को अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांवड़ मार्ग पर मौजूद खाने-पीने की चीजों वाली दुकानों पर अपने मालिकों का विवरण प्रदर्शित करने के निर्देश को संविधान के विरुद्ध बताया है. उन्होंने कहा कि यह निर्देश संविधान के उस आदेश के विरुद्ध है जिसके अनुसार किसी भी नागरिक के साथ जाति, धर्म, भाषा या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा.

    यह भी पढे़ं : 'क्या वे फलों से पूछेंगे कि उन्हें किसने उगाया है?'- कांवड़ यात्रा मार्ग की दुकानों पर नाम, बिफरा विपक्ष

    प्रियंका गांधी ने कहा- यह आदेश तुरंत वापस लिया जाए

    प्रियंका गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "हमारा संविधान हर नागरिक को गारंटी देता है कि उसके साथ जाति, धर्म, भाषा या किसी अन्य आधार पर भेदभाव नहीं होगा. उत्तर प्रदेश में ठेलों, खोमचों और दुकानों पर उनके मालिकों के नाम का बोर्ड लगाने का विभाजनकारी आदेश हमारे संविधान, हमारे लोकतंत्र और हमारी साझी विरासत पर हमला है."

    उन्होंने कहा, "समाज में जाति और धर्म के आधार पर विभाजन पैदा करना संविधान के खिलाफ अपराध है. यह आदेश तुरंत वापस लिया जाना चाहिए और जिन अधिकारियों ने इसे जारी किया है, उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए."

    मुख्यमंत्री के ऑफिस ने इस कदम का किया है बचाव

    इस बीच, मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि कांवड़ यात्रा की पवित्रता बनाए रखने के मकसद से यह एक कदम है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर सभी खाने-पीने और पेय पदार्थों की दुकानों पर मालिक या संचालक के नाम और पहचान के साथ नेमप्लेट लगाने का आदेश दिया है. सीएमओ ने कहा कि यह निर्णय 22 जुलाई से शुरू होने वाली वार्षिक तीर्थयात्रा के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने की व्यापक पहल का हिस्सा है.

    इस निर्देश में हलाल उत्पाद बेचने वाली दुकानों के खिलाफ कार्रवाई भी शामिल है, जिस पर विपक्ष समेत लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं और इस पर राजनीतिक बहस छिड़ गई है.

    यह भी पढे़ं : 'क्या नाजियों के जर्मनी में हैं', UP के कांवड़ मार्ग की दुकानों पर मालिकों के नाम- भड़के ओवैसी, जावेद अख्तर

    भाजपा नेता मोहसिन रजा ने किया इस कदम का समर्थन

    शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता मोहसिन रजा ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा, "यूपी में कांवड़ यात्रा बड़े पैमाने पर होती है. सीएम योगी आदित्यनाथ हमेशा जनता की सुरक्षा के प्रति सजग रहे हैं. पिछले 7 सालों में कांवड़ यात्रा की सुविधाओं और प्रबंधन में हमेशा सुधार किया गया है."

    रजा ने आगे कहा, "यह 8वां साल है... सरकार सुविधाएं और सुरक्षा मुहैया करा रही है. इसलिए किसी को अपना नाम छिपाने की जरूरत नहीं है. यह सौहार्द का संदेश भी देता है... विपक्ष कांवड़ यात्रा का विरोध करने की कोशिश कर रहा है, न कि इस एडवाइजरी का."

    आरएलडी ने यूपी सरकार के इस कदम का किया विरोध

    राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने निर्देश की आलोचना करते हुए कहा, "गांधी जी, चौधरी चरण सिंह और अन्य हस्तियों ने धर्म और जाति को पीछे रखने की बात कही थी. अब राजनेता राजनीति में धर्म और जाति को आगे ला रहे हैं. मुझे लगता है कि यह कदम सही नहीं है. किसी को सड़क पर ठेले पर अपना नाम क्यों लिखवाना चाहिए? उन्हें काम करने का अधिकार है... यह परंपरा बिल्कुल गलत है. यह ग्राहक पर निर्भर करता है, वे जहां से चाहें खरीद सकते हैं..."

    यह भी पढे़ं : JDU ने UP सरकार से कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकान मालिकों को नेमप्लेट का आदेश वापस लेने को कहा, RLD भी साथ

    क्या फल और सब्जी से उसे उगाने वाले का नाम पूछेंगे : RJD 

    राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता मनोज झा ने निर्देश को "नासमझी भरी कवायद" करार देते हुए सवाल किया, "क्या वे फलों से पूछेंगे कि उन्हें हिंदू ने उगाया है या मुसलमान ने? क्या वे सब्जियों से पूछेंगे कि उन्हें किसने उगाया है? ऐसा नहीं किया जाना चाहिए."

    जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेता केसी त्यागी ने कहा, "बिहार में इससे (यूपी में) भी बड़ी कांवड़ यात्रा होती है. वहां ऐसा कोई आदेश लागू नहीं है. जो प्रतिबंध लगाए गए हैं, वे प्रधानमंत्री के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के नारे का उल्लंघन हैं. यह आदेश बिहार, राजस्थान या झारखंड में लागू नहीं है. अगर इसकी समीक्षा की जाए तो अच्छा होगा."

    अयोध्या के कुछ संतों ने आदेश का किया समर्थन

    अयोध्या के कुछ संतों ने इस आदेश का समर्थन किया है. जगतगुरु राम दिनेशाचार्य जी महाराज ने कहा, "मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के इस फैसले से सनातन संस्कृति मजबूत होगी."

    इसी तरह लीला बिहारी मंदिर के दिवाकराचार्य जी महाराज ने इसे "सुंदर पहल" बताया.

    श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास ने हिंदू नामों से मुस्लिमों द्वारा संचालित दुकानों के बारे में चिंता जताते हुए आदेश का समर्थन किया. आचार्य दास ने पुष्टि की, "मालिक हिंदू है या मुस्लिम, यह प्रदर्शित किए जाने का योगी जी का फैसला उचित है."

    यह भी पढे़ं : 'रेस्त्रां या ढाबा पर नाम, लाइसेंस, मूल्य लिखना अनिवार्य'- UP, उत्तराखंड सरकार के आदेश की एक कटिंग वायरल

    भारत