अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच उस युद्ध को रोका था, जो महज़ एक हफ्ते के भीतर परमाणु संघर्ष में बदल सकता था. वाइट हाउस में NATO महासचिव के साथ बैठक के दौरान ट्रंप ने कहा कि उन्होंने व्यापार को एक रणनीतिक दबाव के रूप में इस्तेमाल किया और दोनों देशों को पीछे हटने पर मजबूर किया. ट्रंप ने इसे अपनी कूटनीतिक जीत बताया.
ये पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने ऐसा दावा किया है. इससे पहले वे 15 बार से ज़्यादा भारत-पाक युद्ध रोकने का श्रेय खुद को दे चुके हैं. दिलचस्प बात ये है कि भारत ने हर बार उनके दावों को नकारा है, जबकि पाकिस्तान ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने तक की पेशकश की है.
ट्रंप का बयान: “परमाणु जंग एक हफ्ते दूर थी”
ट्रंप ने कहा, “हम युद्ध रोकने में बहुत सफल रहे हैं. भारत और पाकिस्तान एक हफ्ते के भीतर परमाणु युद्ध की ओर बढ़ रहे थे. हालात बेहद गंभीर थे. मैंने दोनों देशों से साफ कह दिया था कि जब तक आप लोग बातचीत नहीं करेंगे, व्यापार पर कोई चर्चा नहीं होगी. और उन्होंने मेरी बात मानी. दोनों देश के नेता समझदार निकले.” ट्रंप के मुताबिक, उनकी व्यापार नीति ही असली कूटनीतिक हथियार थी, जिसने इस संकट को टाल दिया.
भारत ने ट्रंप के दावे को क्या कहा?
भारत सरकार ने इस पूरे दावे को पहले भी और अब भी सिरे से खारिज किया है. G7 सम्मेलन के दौरान जब प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के बीच टेलीफोन पर बात हुई थी, तब मोदी ने साफ कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने में अमेरिका का कोई हस्तक्षेप नहीं था.
भारत का स्पष्ट रुख था कि दोनों देशों की सेनाओं के DGMO (Director General of Military Operations) के बीच हुई सीधी बातचीत से संघर्ष विराम पर सहमति बनी थी. अमेरिका कहीं भी इस बातचीत का हिस्सा नहीं था.
ट्रंप को ‘नोबेल’ क्यों देना चाहता है पाकिस्तान?
पाकिस्तान ने, खासकर इमरान खान के कार्यकाल में, ट्रंप को कई बार क्रेडिट देने की कोशिश की. वहां की मीडिया और सरकार ने ट्रंप के “वॉर रोकने” वाले बयानों को हवा दी और नोबेल प्राइज की सिफारिश तक पहुंच गए. लेकिन ज़मीनी सच्चाई इससे उलट रही.
ऑपरेशन सिंदूर: असली वजह क्या थी?
भारत ने 7 मई को पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा पहलगाम में किए गए हमले के बाद 'ऑपरेशन सिंदूर' लॉन्च किया था. इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने पीओके और पाकिस्तान के भीतर 9 आतंकी शिविरों को टारगेट किया.
इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत पर मिसाइल हमले की तैयारी की, लेकिन भारत ने उसकी किसी भी हरकत का मौका नहीं दिया. उल्टा, भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल से 11 पाकिस्तानी एयरबेस को नेस्तनाबूद कर दिया. ये वो मोड़ था जब पाकिस्तान को पीछे हटना पड़ा. और यहीं से संघर्ष विराम की बात दोबारा शुरू हुई—जो केवल भारत-पाक के सैन्य नेतृत्व की आपसी बातचीत से हुई थी, ना कि किसी तीसरे देश के दखल से.
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