मास्को/कीव: फरवरी 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध अब अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है, और हालात पहले से कहीं ज्यादा जटिल और बहुआयामी हो गए हैं. कूटनीतिक वार्ताओं से लेकर अत्याधुनिक ड्रोन युद्ध तक, यह संघर्ष अब पारंपरिक सीमाओं से आगे बढ़ चुका है.
हाल ही में तुर्की में हुई शांति वार्ता के बाद यह स्पष्ट हो गया कि रूस की प्राथमिक मांग यूक्रेन का 'पूर्ण समर्पण' है—एक ऐसी स्थिति जिसे कीव की सरकार स्पष्ट रूप से अस्वीकार करती है. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की का जवाब अब अत्याधुनिक ड्रोन टेक्नोलॉजी और रणनीतिक हमलों में दिख रहा है, जो रूस की पारंपरिक सैन्य ताकत को चुनौती दे रहे हैं.
रूस का रवैया: '1919 मॉडल' शांति की कोशिश?
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यह संकेत दिया है कि वह यूक्रेन के सिर्फ क्रीमिया नहीं, बल्कि पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेनी क्षेत्रों पर भी स्थायी नियंत्रण चाहते हैं—यहां तक कि उन इलाकों पर भी, जो अभी रूस के कब्जे में नहीं हैं. रूस की मांगें 'वर्साय संधि' जैसी कड़ी शर्तों की याद दिलाती हैं, जहां वह न सिर्फ ज़मीन चाहता है, बल्कि यूक्रेन की रक्षा नीति, सैन्य क्षमता और पश्चिमी सहयोग पर भी नियंत्रण की शर्तें थोपना चाहता है.
यूक्रेन का जवाब: तकनीक से टक्कर
ज़ेलेंस्की सरकार ने जवाब में पारंपरिक युद्ध के बजाय गहराई तक लक्षित ड्रोन हमलों की नई रणनीति अपनाई है. अगस्त 2024 में क्रुश्क (Kursk) पर हुए बड़े हमले को अमेरिकी मीडिया ने 'नए युग का पर्ल हार्बर' कहा. हालांकि, इसमें यूक्रेन को 75,000 से अधिक सैनिकों की भारी क्षति झेलनी पड़ी. इसके बाद भी कीव ने रूस के अंदर तक गहराई में हमले करना जारी रखा, जिससे मास्को की आर्थिक और मनोवैज्ञानिक नींव हिलाने की कोशिश की गई.
लेकिन यह रणनीति सीमित प्रभाव वाली है. ड्रोन हमलों से भले ही रूस को चुभन हो, लेकिन उसकी जमीनी बढ़त और मिसाइल आक्रमण अब भी यूक्रेन के कई मोर्चों को प्रभावित कर रहे हैं.
रूस की रणनीति: धीमा लेकिन सतत दबाव
रूस ने दक्षिणी और पूर्वी मोर्चों पर जमीनी रणनीति में बदलाव किया है. छोटे-छोटे सैन्य समूह बनाकर रूस, यूक्रेनी सप्लाई लाइनों को काटने और उन्हें फंसाने की रणनीति पर काम कर रहा है. कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेनी सेना को पीछे धकेलने के बाद, रूस ने सूमी क्षेत्र पर आक्रामक हमला तेज कर दिया है, जो कीव के लिए खतरे की घंटी है. अगर सूमी गिरता है, तो राजधानी कीव सीधे जमीनी हमले की जद में आ जाएगा.
क्या शांति संभव है?
कूटनीतिक स्तर पर यूक्रेन सीमित रियायतों के लिए तैयार दिखता है, लेकिन रूस का रुख सख्त है. पुतिन किसी अस्थायी संघर्ष विराम से संतुष्ट नहीं हैं. ज़ेलेंस्की की ओर से 'सीजफायर' के संकेत हैं, लेकिन 'ज़मीन के बदले शांति' का फॉर्मूला अब तक काम नहीं आया है.
रूस की चिंता यह भी है कि यूक्रेन का पश्चिमी समर्थन (नाटो और अमेरिका) लगातार बढ़ता जा रहा है. वहीं, अमेरिका में आने वाले चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप की संभावित वापसी की स्थिति में यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई पर संकट आ सकता है.
युद्ध का समीकरण: कौन बढ़त में है?
रूस: अब तक यूक्रेन के 5 प्रांतों के 19% क्षेत्र पर कब्जा कर चुका है. इसमें से 12% क्षेत्र उसने 2014 में ही अधिग्रहित कर लिया था.
यूक्रेन: रणनीतिक ड्रोन हमलों और पश्चिमी तकनीक की मदद से रूस के भीतर अस्थिरता पैदा कर रहा है, लेकिन इसके मानवीय और संसाधनगत नुकसान भी भारी हैं.
रिपोर्टों के अनुसार, रूस ने 3 वर्षों में 3,00,000 से अधिक सैनिकों की क्षति झेली है, जबकि यूक्रेन के नुकसान कुछ अधिक ही माने जा रहे हैं. दोनों ही पक्ष थके हुए हैं, लेकिन न तो कोई पीछे हटने को तैयार है और न ही कोई निर्णायक बढ़त मिल रही है.
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