Yutori Lifestyle: आज की दौड़ती-भागती ज़िंदगी में सुबह से लेकर रात तक हर इंसान किसी न किसी काम में उलझा हुआ है. मीटिंग, डेडलाइन, सोशल मीडिया, और एक्सपेक्टेशंस के इस बवंडर में हम खुद के लिए ही वक्त नहीं निकाल पा रहे हैं. नतीजा? थकान, चिंता, बर्नआउट और पैनिक अटैक जैसी समस्याएं हमारी लाइफ का हिस्सा बन गई हैं.
लेकिन, क्या हो अगर आप इस तेज़ रफ्तार को थोड़ा धीमा कर दें? खुद को फिर से रिचार्ज करने का वक्त दें? यही सिखाती है — “यूटोरी लाइफस्टाइल” — जापान से आई एक शांत, संतुलित और माइंडफुल जीने की कला.
क्या है यूटोरी लाइफस्टाइल?
‘यूटोरी’ एक जापानी शब्द है, जिसका मतलब होता है — "खाली जगह", "मानसिक राहत", "आराम का स्पेस". सन 2000 में जापान ने अपने छात्रों पर पड़ रहे पढ़ाई के दबाव को कम करने के लिए इस लाइफस्टाइल को अपनाया. धीरे-धीरे यह पूरे देश में फैल गई और आज ये एक ग्लोबल माइंडफुलनेस मूवमेंट बन चुकी है.
यूटोरी लाइफस्टाइल आपको क्या सिखाती है?
यह कोई आलस या सुस्ती भरा तरीका नहीं है, जैसा कुछ लोग सोचते हैं. बल्कि, यह एक ऐसी सोच है जो कहती है: “ज़िंदगी सिर्फ दौड़ नहीं है — रुकना, सोचना और सुकून पाना भी ज़रूरी है.”
1. सुबह की शुरुआत तकनीक से नहीं, खुद से करें
यूटोरी लाइफस्टाइल में दिन की शुरुआत बिना फोन देखे की जाती है — इससे आपका दिमाग शांत रहता है और दिनभर की भागदौड़ में आप ज़्यादा स्थिर और फोकस्ड महसूस करते हैं.
2. काम और आराम के बीच बैलेंस
काम से पहले प्लानिंग और बीच में ब्रेक लेना — यह इस लाइफस्टाइल का अहम हिस्सा है. आप अपने दिमाग को थकने से पहले ही रीचार्ज करते हैं, जिससे ओवरथिंकिंग और स्ट्रेस से राहत मिलती है.
3. वर्किंग ऑवर्स में बदलाव
जापान ने स्कूल और ऑफिस दोनों में काम के घंटे घटा दिए ताकि लोग आराम भी कर सकें. इसका असर ये हुआ कि लोगों की प्रोडक्टिविटी बढ़ी और मेंटल हेल्थ बेहतर हुई.
4. नियम जो स्ट्रेस कम करें, ना बढ़ाएं
लोग अब ऑफिस से बाहर निकलकर परिवार और दोस्तों को भी समय दे पा रहे हैं — यही तो असली खुशी है.
5. वर्क-लाइफ बैलेंस = हेल्दी माइंड
यूटोरी सोच कहती है कि ज़िंदगी सिर्फ करियर नहीं होती, उसमें रिश्ते, खुद का ख्याल और इमोशनल बैलेंस भी ज़रूरी है.
6. मेडिटेशन, सुकून और साइलेंस
शरीर और दिमाग को सुकून देने वाली एक्टिविटीज जैसे मेडिटेशन, वॉक, या नेचर में समय बिताना — यह सब यूटोरी के मूल सिद्धांत हैं.
क्यों आज यूटोरी ज़रूरी है?
भारत समेत दुनियाभर में लोग अब "स्लो लिविंग" की ओर लौट रहे हैं. वे चाहते हैं कि ज़िंदगी सिर्फ जीने की चीज़ बने, सर्वाइव करने की नहीं. अगर आप भी चाहते हैं कि आपकी लाइफ से स्ट्रेस, बेचैनी और बर्नआउट दूर हो जाए — तो यूटोरी को अपनाएं. छोटे-छोटे बदलाव करके भी आप अपने दिमाग को वो स्पेस दे सकते हैं जिसकी उसे सख्त ज़रूरत है.
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