गुजरात के वडोदरा शहर में हाल ही में एक बड़ी गिरफ्तारी की गई है. छह लोगों को व्हेल से निकलने वाली अंबरग्रीस के साथ पकड़ा गया है. यह ममलाब जानकारी स्थानीय लुकल क्राइम ब्रांच (एलसीबी), जोन‑2 द्वारा मिली खबर के आधार पर हुआ. पुलिस को सूचना मिली थी कि एक हैचबैक कार में यह अवैध पदार्थ ले जाया जा रहा है. इस गाड़ी को वडोदरा के बिल अटलादरा इलाके में रोककर तलाशी ली गई, जिसमें लगभग 5.252 किलोग्राम अंबरग्रीस बरामद हुई, जिसकी बाज़ार कीमत लगभग ₹1.58 करोड़ बताई गई है.
पकड़े गए आरोपियों की उम्र 22 से 26 वर्ष के बीच है, और ये वडोदरा व आसपास के क्षेत्रों के निवासी बताए गए हैं. इनके नाम हैं: सुरेन्द्रसिंह चावड़ा, गौतम वसावा, सिद्धार्थ तडवी, सुरजसिंह कांबोज, राजू भरवड और दीपक रबारी . पुलिस ने बताया कि ये लोग रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर और एफएसएल की टीम के साथ कैच ऑपरेशन के तहत पकड़े गए.
क्यों कहते हैं इसे तैरता सोना?
वैज्ञानिकों की भाषा में व्हेल की इस उल्टी को एम्बरग्रीस कहा जाता है. यह एक ज्वलनशील, मोम जैसा ठोस पदार्थ होता है जो व्हेल की आंतों से निकलता है. कभी-कभी यह मल की तरह निकलता है, लेकिन जब इसकी मात्रा बहुत अधिक हो जाती है, तो व्हेल इसे मुंह से बाहर उगल देती है. एम्बरग्रीस काले या स्लेटी रंग का होता है और व्हेल के शरीर में उसकी सुरक्षा के लिए मौजूद होता है.
व्हेल समुद्र के किनारे से दूर गहराई में रहती है, इसलिए जब यह पदार्थ समुद्र के किनारे आता है, तो उसे सालों लग जाते हैं. समुद्र के नमकीन पानी और धूप के संपर्क में आने के कारण यह पदार्थ कठोर, चिकनी और भूरी गांठ में बदल जाता है, जो देखने में मोम जैसा लगता है. यही एम्बरग्रीस परफ्यूम उद्योग का अनमोल रत्न बनता है. इसे तैरता हुआ सोना भी कहा जाता है क्योंकि इसकी कीमत बहुत अधिक होती है और इसका वजन 15 ग्राम से लेकर 50 किलो तक हो सकता है. यह दवा और महंगे इत्रों में फ्लेवरी फिक्सेट के रूप में काम आता है, जिससे इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में बहुत अधिक होती है.
क्यों है यह बन्द?
भारत में स्पर्म व्हेल को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित किया गया है. अंबरग्रीस सहित व्हेल से मिलने वाला कोई भी पदार्थ गैरकानूनी माना जाता है. यदि किसी को पकड़ते समय अंबरग्रीस मिला, तो उन्हें वन्यजीव अधिनियम की Schedule‑II व अन्य उपयुक्त धाराओं के अंतर्गत अभियोग का सामना करना पड़ता है.
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