UP News: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है, जो न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि किसानों के लिए अतिरिक्त आय का भी स्रोत बन रहा है. कार्बन क्रेडिट फाइनेंस योजना का सफल क्रियान्वयन राज्य के पर्यावरण संरक्षण और कृषि क्षेत्र में नई क्रांति ला सकता है. इस योजना के तहत किसानों को उनके द्वारा किए गए पौधारोपण के लिए कार्बन क्रेडिट के रूप में वित्तीय मदद दी जा रही है. अब तक कई किसानों को इस योजना से वित्तीय लाभ मिल चुका है, और यह योजना राज्य के विकास के साथ-साथ किसानों की आर्थिक स्थिति को भी सशक्त बना रही है.
योजना की शुरुआत और उद्देश्य
योगी सरकार की इस योजना का उद्देश्य पर्यावरण संतुलन बनाए रखना और किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत प्रदान करना है. कार्बन क्रेडिट फाइनेंस योजना के तहत, किसानों द्वारा किए गए पौधारोपण से वातावरण में अवशोषित कार्बन डाइऑक्साइड के लिए क्रेडिट दिए जाते हैं, और इसके बदले किसानों को धनराशि दी जाती है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस योजना के लाभार्थी किसानों को अयोध्या में पौधरोपण महाभियान कार्यक्रम के दौरान चेक वितरण की शुरुआत की. इस अवसर पर 401 किसानों को ₹25.45 लाख की राशि प्रदान की गई, जबकि अब तक 244 किसानों को ₹49.55 लाख की राशि वितरित की जा चुकी है.
कार्बन क्रेडिट और उसका महत्व
इस योजना के तहत, एक टन कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य ग्रीनहाउस गैसों के अवशोषण के बदले एक कार्बन क्रेडिट प्रदान किया जाता है. प्रत्येक कार्बन क्रेडिट के लिए 6 डॉलर की दर से हर पांचवें वर्ष में राशि का वितरण किया जाता है. यह प्रणाली पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान देने के साथ-साथ कृषि वानिकी के तहत किए गए पौधारोपण से किसानों को अतिरिक्त आय का भी स्रोत प्रदान करती है.
धनराशि का वितरण और किसानों की भागीदारी
योजना के पहले चरण में गोरखपुर, बरेली, लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद और सहारनपुर मंडलों के किसानों को शामिल किया गया है. इन किसानों ने कृषि वानिकी के तहत किए गए पौधारोपण से लगभग 42,19,369 कार्बन क्रेडिट अर्जित किए हैं. अब तक, 244 किसानों को ₹49.55 लाख की राशि वितरित की जा चुकी है और मुख्यमंत्री ने अयोध्या में एक भव्य कार्यक्रम के दौरान 401 किसानों को ₹25.45 लाख की धनराशि प्रदान करने की प्रक्रिया की शुरुआत की.
इसके अलावा, दुद्धवा टाइगर संरक्षण फाउंडेशन को ₹25 लाख की अग्रिम राशि भी प्रदान की गई. योजना के दूसरे चरण में, देवीपाटन, अयोध्या, झांसी, मिर्जापुर, कानपुर, वाराणसी और अलीगढ़ मंडलों के किसानों को शामिल किया जाएगा. तीसरे चरण में यह परियोजना पूरे राज्य में लागू की जाएगी.
किसानों को मिलेगा अतिरिक्त लाभ
इस योजना के तहत, किसान प्रत्येक पेड़ से 250 से 350 रुपये तक की आय प्राप्त कर सकते हैं. यह राशि उनके पौधारोपण से अर्जित कार्बन क्रेडिट के बदले दी जाती है. उदाहरण के लिए, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, मुरादाबाद और मेरठ मंडलों के किसान इस योजना का लाभ उठा रहे हैं. यूपी में यह योजना टेरी (The Energy and Resources Institute) के सहयोग से लागू की जा रही है.
योजना का पर्यावरण पर प्रभाव
यह योजना पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है. किसानों के द्वारा किया गया पौधारोपण वनों की स्थिति को सुधारने में मदद करता है, और वातावरण से ग्रीनहाउस गैसों के अवशोषण में योगदान करता है. यह योजना भारत सरकार के 2070 तक देश को कार्बन न्यूट्रल बनाने के लक्ष्य के साथ पूरी तरह मेल खाती है.
भारत को कार्बन न्यूट्रल बनाने की दिशा में एक कदम
भारत सरकार ने 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य रखा है, और उत्तर प्रदेश की यह योजना इस दिशा में एक अहम कदम साबित हो रही है. इससे न केवल पर्यावरण को फायदा होगा, बल्कि यह किसानों को एक स्थिर आय का स्रोत भी प्रदान करेगा. इसके साथ ही, यह योजना राज्यों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने और सतत विकास को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगी.
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