मॉस्को: रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष की आंच उस वक्त भारत तक भी महसूस की गई जब भारतीय संसद के प्रतिनिधिमंडल का विमान मॉस्को के आसमान में करीब 40 मिनट तक चक्कर काटता रहा. दरअसल, गुरुवार को रूस की राजधानी पर यूक्रेनी ड्रोन हमलों की वजह से मॉस्को के प्रमुख हवाई अड्डों पर लैंडिंग अस्थायी रूप से रोक दी गई थी.
इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व डीएमके सांसद कनिमोझी कर रही हैं और यह यात्रा भारत की एक बड़ी कूटनीतिक पहल का हिस्सा है, जिसके तहत 59 भारतीय सांसदों को 33 देशों में भेजा गया है.
ड्रोन के मलबे से कुछ इलाकों में नुकसान
रूसी अधिकारियों के मुताबिक, मॉस्को के ऊपर उड़ते 105 यूक्रेनी ड्रोन में से 26 राजधानी की दिशा में थे, जिन्हें एयर डिफेंस सिस्टम ने निष्क्रिय कर दिया. मॉस्को के मेयर सर्गेई सोबयानिन ने पुष्टि की कि ड्रोन के गिरते मलबे से कुछ इलाकों में नुकसान हुआ है, लेकिन कोई भी व्यक्ति घायल नहीं हुआ.
इन हमलों की वजह से मॉस्को के प्रमुख एयरपोर्ट्स, शेरमेत्येवो, डोमोडेडोवो, झुकोवस्की और वोनुकोवो पर उड़ानें अस्थायी रूप से रोकी गईं, जिससे 153 फ्लाइट्स प्रभावित हुईं और हजारों यात्री फंसे रह गए.
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य
इस डेलिगेशन की मॉस्को यात्रा भारत की रणनीतिक कूटनीति का अहम हिस्सा है. भारतीय राजदूत विनय कुमार ने डोमोडेडोवो हवाई अड्डे पर प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया. कनिमोझी के साथ अन्य सांसदों में राजीव राय, कैप्टन ब्रजेश चौटा, प्रेम चंद गुप्ता, अशोक मित्तल और पूर्व राजदूत मंजीव पुरी शामिल हैं.
यह दल रूस के बाद स्लोवेनिया, ग्रीस, लातविया और स्पेन की यात्रा करेगा. उनकी यात्रा का मकसद है ऑपरेशन सिंदूर और भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को वैश्विक मंच पर मजबूती से पेश करना.
'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर प्रमुख संदेश
भारत के 59 सांसदों को सात डेलिगेशन में विभाजित कर विभिन्न देशों में भेजा गया है ताकि वे दुनिया को निम्नलिखित 5 संदेश दें:
आतंकवाद पर 'जीरो टॉलरेंस' नीति:
सांसद यह स्पष्ट करेंगे कि ऑपरेशन सिंदूर केवल आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ सटीक कार्रवाई थी, जो पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों पर केंद्रित थी.
पाकिस्तान की भूमिका को बेनकाब करना:
सांसद प्रमाणों सहित यह संदेश देंगे कि पहलगाम आतंकी हमले के पीछे ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)’ जैसे आतंकी संगठनों का हाथ था, जिन्हें पाकिस्तानी सैन्य मदद प्राप्त है.
भारत की संयमित और जिम्मेदार प्रतिक्रिया:
भारत ने सैन्य अभियान में नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी और पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम की अपील को तुरंत मान लिया.
वैश्विक सहयोग की अपील:
डेलिगेशन का उद्देश्य अन्य देशों को यह समझाना है कि यह संघर्ष केवल भारत-पाक के बीच नहीं, बल्कि आतंक के खिलाफ वैश्विक लड़ाई है. भारत उनसे खुलकर सहयोग और समर्थन की मांग करेगा.
भारत की बदली रणनीति:
भारत अब प्रतिक्रियाशील नहीं, बल्कि प्रोएक्टिव सुरक्षा नीति अपनाएगा—जहां आतंकी हमलों को होने से पहले ही रोका जाएगा.
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