2000 KM/घंटा की स्पीड, 3,500 KG पेलोड क्षमता, तेजस फाइटर जेट की ऐसी ताकत; मिमियाने लगेगा पाकिस्तान!

    भारत को सीमा पर पाकिस्तान और चीन दोनों से ही चुनौती मिलती रहती है. फिलहाल भारतीय वायुसेना से मिग-21 फाइटर जेट्स की विदाई भी हो रही है. इसकी भरपाई के लिए IAF को तुरंत 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स की जरूरत है, जो कम से कम 4.5वीं पीढ़ी के हों.

    Tejas Indian Fighter Jet can attack from 160 km know its power
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    भारत को सीमा पर पाकिस्तान और चीन दोनों से ही चुनौती मिलती रहती है. फिलहाल भारतीय वायुसेना से मिग-21 फाइटर जेट्स की विदाई भी हो रही है. इसकी भरपाई के लिए IAF को तुरंत 100 से ज्यादा फाइटर जेट्स की जरूरत है, जो कम से कम 4.5वीं पीढ़ी के हों. इसके अलावा भारत को 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स भी चाहिए क्योंकि चीन के पास तो 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स हैं ही, अब पाकिस्तान भी चीन से 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स खरीद रहा है. अगले 3-4 साल में पाकिस्तान एयरफोर्स के पास भी अपडेटेड फाइटर जेट्स होंगे. 

    बीते कई सालों से भारत डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर होने के लिए काम कर रहा है. भारत ने मिसाइल के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की हैं, अब उसका फोकस अपग्रेडेड फाइटर जेट्स पर है. इसी को लेकर अब तेजस और AMCA को विकसित करने के लिए भारत काम कर रहा है.तेजस सिर्फ मिग-21 का रिप्लेसमेंट नहीं है, बल्कि यह आने वाले 30 वर्षों तक भारतीय वायुसेना के लिए एक हल्का, मल्टी रोल फाइटर जेट है. इसका रोडमैप और अपग्रेड वेरिएंट्स इसे वैश्विक मानकों पर प्रतिस्पर्धी बनाते हैं.

    तेजस MK-1A डिजाइन और तकनीकी बढ़त

    तेजस MK-1A में लगा AESA रडार इसे और भी घातक बनाता है. यह रडार 150–160 किमी तक टारगेट को डिटेक्ट कर सकता है. इसके मुकाबले पाकिस्तान का JF-17 और चीन का J-10C रडार क्रॉस-सेक्शन के मामले में कहीं पीछे हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये किसी भी रडार की पकड़ में नहीं आएगा. यही वजह है कि टेक्नोलॉजी और स्टेल्थ के मामले में यह अमेरिकी F-16 और रूसी Su-30 जैसे विमानों से भी बेहतर साबित होता है.

    कहां तैनात होगा स्वदेशी तेजस?

    भारतीय वायुसेना ने तेजस स्क्वॉड्रन को तीन अलग-अलग और चुनौतीपूर्ण इलाकों में तैनात करने की योजना बनाई है. इनमें राजस्थान के नल (रेगिस्तानी इलाका), गुजरात के नलिया (तटीय इलाका) और लद्दाख के पहाड़ी और ऊंचाई वाले इलाके में तैनात किया जाएगा. यह तैनाती दिखाती है कि वायुसेना तेजस को सिर्फ ट्रायल प्लेटफॉर्म नहीं मानती, बल्कि इसे एक एक्टिव फ्रंटलाइन रोल में स्वीकार कर चुकी है.

    फाइटर जेट की खासियत क्या हैं?

    तेजस को एक मल्टी-रोल प्लेटफॉर्म बनाया गया है, जिसकी हथियार क्षमता बेहद प्रभावशाली है. सबसे खास बात यह है कि ब्रह्मोस-NG के इंटीग्रेशन के बाद तेजस MK-1A की स्ट्राइक क्षमता 160 किमी से ज्यादा हो जाएगी, जिससे यह दुश्मनों को काफी दूरी से ही खत्म कर सकेगा.

    तेजस की पेलोड क्षमता 3500 किलोग्राम तक होगी. पूरी तरह लोड होने पर तेजस Mach 1.6 की स्पीड तक पहुंच सकती है. डॉगफाइट में तेजस से आगे अच्छे से अच्छे फाइटर जेट पानी मांगेंगे. यह काफी हल्का होगा. मल्टी-रोल मिशन क्षमता- इंटरसेप्शन, डीप स्ट्राइक और रिकॉन मिशन में ये काफी शानदार साबित होगा. 

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