भारतीय वायुसेना की रीढ़ माने जाने वाले Su-30MKI लड़ाकू विमानों की ताकत को कई गुना बढ़ाने की पेशकश रूस ने भारत को की है. मॉस्को की ओर से साफ तौर पर कहा गया है कि वह इन जेट्स को अगली पीढ़ी का स्वरूप देने के लिए न सिर्फ नया इंजन देने को तैयार है, बल्कि उसका निर्माण भारत में ही 'मेक इन इंडिया' के तहत करने को भी राज़ी है.
रूसी न्यूज़ एजेंसी स्पुतनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, यह नया इंजन Su-30MKI को पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स के समकक्ष प्रदर्शन की क्षमता देगा, जिससे यह अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम और स्टेल्थ विमानों से भी मुकाबला कर सकेगा.
इंजन अपग्रेडेशन से फाइटर जेट बनेगा और घातक
फिलहाल Su-30MKI में AL-31FP इंजन लगे हैं. लेकिन रूस अब इनमें एक ऐसा इंजन लगाने की पेशकश कर रहा है जो ज्यादा थ्रस्ट, बेहतर फ्यूल एफिशिएंसी, और अद्वितीय मैन्युवरेबिलिटी के साथ आएगा. इससे न केवल इन विमानों की रेंज बढ़ेगी, बल्कि ये लंबे समय तक मिशन में बने रहने में भी सक्षम होंगे. सबसे अहम बात ये है कि ये अपग्रेड भारतीय युद्धक विमानों को अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम और दुश्मन के स्टील्थ एयरक्राफ्ट के खिलाफ भी ताकतवर बना देगा.
Su-30MKI: वायुसेना का भरोसेमंद योद्धा
भारतीय वायुसेना के पास इस समय 260 से अधिक Su-30MKI विमान हैं, जिनका उत्पादन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा रूस से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के तहत देश में ही किया गया है. ये लड़ाकू विमान पहले से ही ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल से लैस हैं और भारत के कई स्वदेशी हथियार इन्हीं जेट्स में एकीकृत किए गए हैं. इसलिए जब बात किसी बड़े सैन्य ऑपरेशन की आती है—जैसे कि पाकिस्तान के खिलाफ हालिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’—तो फ्रंटलाइन पर सबसे पहले Su-30MKI ही तैनात होते हैं.
भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव के बीच आया ऑफर
रूस की यह पेशकश ऐसे समय आई है जब भारत और अमेरिका के बीच रक्षा आपूर्ति को लेकर अनबन की स्थिति है. तेजस मार्क-1A फाइटर जेट्स के लिए अमेरिकी इंजन की आपूर्ति धीमी गति से हो रही है और आशंका जताई जा रही है कि वाशिंगटन इस सप्लाई को और सीमित कर सकता है. इस पृष्ठभूमि में रूस का यह ऑफर भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम बन जाता है. अगर भारत इसे स्वीकार करता है तो सिर्फ Su-30MKI की क्षमता में भारी इजाफा नहीं होगा, बल्कि भारत में एविएशन इंजन निर्माण की दिशा में भी बड़ा कदम माना जाएगा.
क्या ये प्रस्ताव बदलेगा वायु शक्ति का संतुलन?
नई तकनीक से लैस इंजन और अपग्रेडेड एवियोनिक्स के साथ जब Su-30MKI उड़ान भरेगा, तो यह न केवल पड़ोसी देशों के लिए चुनौती बन जाएगा, बल्कि वायुसेना के भीतर आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत संकेत भी होगा. भारत के लिए यह प्रस्ताव सिर्फ सैन्य मजबूती नहीं, बल्कि रणनीतिक स्वतंत्रता का संकेत भी बन सकता है.
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