नई दिल्ली: डायबिटीज से जूझ रही दुनिया के लिए एक नई उम्मीद अंतरिक्ष से जन्म ले रही है. इतिहास में पहली बार, इंसुलिन और ब्लड शुगर पर माइक्रोग्रैविटी (अंतरिक्ष की भारहीन स्थिति) में व्यापक रिसर्च की जाएगी. यह रिसर्च एक्सिओम-4 (Ax-4) मिशन के तहत की जा रही है, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला समेत चार अंतरिक्ष यात्री 14 दिन तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में रहेंगे.
इस अध्ययन की अगुवाई अबू धाबी की प्रमुख हेल्थकेयर कंपनी बुर्जील होल्डिंग्स कर रही है. संगठन का मकसद यह समझना है कि शून्य गुरुत्वाकर्षण में शरीर में ग्लूकोज और इंसुलिन किस तरह व्यवहार करते हैं और यह जानकारी भविष्य की चिकित्सा तकनीकों के विकास के लिए कितना उपयोगी हो सकती है.
क्या होगा इस स्पेस रिसर्च में खास?
सभी अंतरिक्ष यात्री 14 दिनों तक ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस पहनेंगे, ताकि ब्लड शुगर लेवल में संभावित बदलावों को ट्रैक किया जा सके.
वे इंसुलिन पेन भी साथ ले जाएंगे, जिन्हें अलग-अलग तापमान और स्थितियों में रखा जाएगा — यह जांचने के लिए कि माइक्रोग्रैविटी इंसुलिन के अणुओं पर क्या असर डालती है.
बुर्जील होल्डिंग्स के CMO डॉ. मोहम्मद फितयान के अनुसार, “हम यह समझना चाहते हैं कि मानव शरीर की मेटाबॉलिक प्रक्रियाएं अंतरिक्ष में किस तरह बदलती हैं, और यह डायबिटीज देखभाल की दिशा में कैसी क्रांति ला सकती है.”
क्यों अहम है यह रिसर्च?
अब तक डायबिटीज के किसी भी रोगी को — विशेष रूप से इंसुलिन पर निर्भर मरीजों को — अंतरिक्ष यात्रा की अनुमति नहीं मिली है. NASA जैसे संस्थान सुरक्षा कारणों से ऐसा करते रहे हैं. लेकिन यदि यह रिसर्च सफल होती है, तो:
यह शोध इंसुलिन-सेंसिटिविटी बढ़ाने वाली नई दवाओं और बैठे-बैठे कसरत के बराबर असर करने वाली दवा विकास में भी उपयोगी हो सकता है.
बार-बार टली लॉन्चिंग, अब दिखी रोशनी
एक्सिओम-4 मिशन की लॉन्चिंग बीते महीने में 6 बार स्थगित की गई थी — 29 मई, 8, 10, 11, 12 और 22 जून को तकनीकी कारणों से इसे टालना पड़ा. विशेष रूप से ISS के Zvezda सर्विस मॉड्यूल की मरम्मत जांच के चलते देरी हुई. अब यह मिशन लॉन्चिंग के लिए तैयार माना जा रहा है.
इस मिशन में चार देशों के चार अंतरिक्ष यात्री हिस्सा ले रहे हैं. भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला इस मिशन में शामिल होकर ISS पर जाने वाले पहले भारतीय और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय बनेंगे. उनसे पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रा की थी.
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