जब दुश्मन भी आपके हथियारों की ताक़त की सराहना करने लगे, तो समझ लीजिए कि वो सिर्फ़ एक मशीन नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक दबदबे का प्रतीक बन चुकी है. कुछ ऐसा ही देखने को मिला जब पाकिस्तान एयर फोर्स के एयर वाइस मार्शल औरंगजेब अहमद ने भारत के अत्याधुनिक राफेल लड़ाकू विमान की खुलकर तारीफ की. भले ही उन्होंने भारतीय राफेल को गिराने का दावा कर अपनी सफाई में एक मनगढ़ंत कहानी जोड़ दी, लेकिन उनके बयान की गहराई में झांकें, तो साफ दिखता है कि राफेल की ताक़त अब पाकिस्तानी रणनीतिक सोच में भी दर्ज हो चुकी है.
राफेल पर पाकिस्तानी अफसर की टिप्पणी
प्रेस ब्रीफिंग के दौरान औरंगजेब अहमद ने कहा, "राफेल कोई कमजोर विमान नहीं है. यह एक बेहद शक्तिशाली फाइटर जेट है, बशर्ते इसका सही इस्तेमाल किया जाए."
यह बात उन्होंने भले ही भारतीय पायलटों की योग्यता पर सवाल उठाते हुए कही हो, लेकिन इसमें राफेल की क्षमताओं को लेकर पूरी स्वीकृति झलकती है. यह वो दुर्लभ क्षण था जब पाकिस्तान का कोई शीर्ष सैन्य अधिकारी खुले मंच से भारत के किसी सैन्य प्लेटफॉर्म की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरीकों से सराहना कर रहा था.
क्यों राफेल है भारत का 'स्ट्रेटेजिक गेमचेंजर'
भारत ने 2016 में फ्रांस से 36 राफेल फाइटर जेट्स का सौदा किया था. लेकिन ये सौदा सिर्फ संख्या तक सीमित नहीं था. फ्रांसीसी कंपनी Dassault Aviation ने भारत की मांगों के अनुसार राफेल को कई खास फीचर्स से लैस किया:
राफेल न केवल भारतीय वायुसेना को हाई-ऑल्टिट्यूड ऑपरेशंस में बढ़त देता है, बल्कि यह चीन और पाकिस्तान जैसे विरोधियों को ‘नो-फ्लाई जोन’ के खतरे से रूबरू कर देता है.
इस्लामिक दुनिया भी हुई राफेल की दीवानी
पाकिस्तान के लिए यह और भी असहज स्थिति बन जाती है जब उसके करीबी सहयोगी मुस्लिम देश भी राफेल को अपना रहे हैं:
इन सभी देशों का पाकिस्तान से राजनयिक या सामरिक जुड़ाव रहा है, और वे अब उसी लड़ाकू विमान को अपना रहे हैं जिसकी खुली आलोचना करना पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक मुश्किल खड़ी कर सकता है.
पाकिस्तान की 'राफेल-फोबिया' की वजह
पाकिस्तानी वायुसेना की तुलना में भारतीय राफेल कई मोर्चों पर भारी पड़ते हैं:
जब पाकिस्तान के एयर वाइस मार्शल जैसे अधिकारी भी राफेल को ‘शक्तिशाली’ कहने पर मजबूर हों, तो यह किसी भी सैन्य विश्लेषक के लिए एक स्ट्रेटेजिक इंडिकेटर की तरह है.
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