अब सुप्रीम कोर्ट में भी मिलेगा ओबीसी को आरक्षण, 6 दशक पुराने नियम को बदला

    सुप्रीम कोर्ट ने 1961 में बने सुप्रीम कोर्ट ऑफिसर्स एंड सर्वेंट्स (कंडीशन्स ऑफ सर्विस एंड कंडक्ट) रूल्स, 1961 में संशोधन किया है.

    OBC will get reservation in Supreme Court
    सुप्रीम कोर्ट | Photo: ANI

    नई दिल्लीः भारत में सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा संस्थानों में आरक्षण को लेकर पिछले कुछ वर्षों में कई महत्वपूर्ण फैसले हुए हैं. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) को आरक्षण देने का निर्णय लिया है. इस फैसले के बाद, सुप्रीम कोर्ट के गैर-न्यायिक कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया गया है, जिससे ओबीसी को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा. यह कदम न्यायिक व्यवस्था में समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है.

    1961 के नियम में बड़ा बदलाव

    इस महत्वपूर्ण फैसले के तहत सुप्रीम कोर्ट ने 1961 में बने सुप्रीम कोर्ट ऑफिसर्स एंड सर्वेंट्स (कंडीशन्स ऑफ सर्विस एंड कंडक्ट) रूल्स, 1961 में संशोधन किया है. नए नियमों के तहत अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), दिव्यांग व्यक्तियों, पूर्व सैनिकों और स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों के साथ अब ओबीसी को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा. यह बदलाव संविधान के अनुच्छेद 146(2) के तहत मुख्य न्यायाधीश की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए किया गया है.

    इस अधिसूचना में यह भी स्पष्ट किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के कर्मचारियों को केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर जारी आदेशों और अधिसूचनाओं के अनुसार आरक्षण मिलेगा, जो कि उन पदों के लिए निर्धारित वेतनमान के अनुरूप होगा.

    33 वर्षों बाद सुप्रीम कोर्ट ने लिया यह फैसला

    यह निर्णय केवल एक प्रशासनिक बदलाव नहीं है, बल्कि न्यायिक समावेशिता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है. यह कदम उस ऐतिहासिक फैसले के 33 साल बाद उठाया गया है, जब 1992 में इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार मामले में नौ-न्यायाधीशों की पीठ ने ओबीसी को 27% आरक्षण देने को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया था. हालांकि, इसके बाद भी सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक भर्तियों में ओबीसी को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सका था.

    पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री रहे अर्जुन सिंह ने उच्च शिक्षा संस्थानों में ओबीसी को आरक्षण का रास्ता साफ किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आंतरिक कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया में यह बदलाव अब तक नहीं हुआ था.

    पी. विल्सन ने इसे 'ऐतिहासिक सुधार' कहा

    राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन, जो लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहे थे, ने इस फैसले को 'ऐतिहासिक सुधार' करार दिया है. उन्होंने कहा कि इस संशोधन से अब सुप्रीम कोर्ट की भर्तियों को राष्ट्रीय स्तर पर लागू आरक्षण मानकों के अनुरूप लाया जाएगा, जिससे न्यायिक प्रणाली में समानता और समावेशिता बढ़ेगी.

    मुख्य न्यायाधीश ने एससी और एसटी के लिए रोस्टर प्रणाली लागू की

    मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई ने एससी और एसटी वर्ग के लिए एक स्पष्ट रोस्टर प्रणाली लागू करने की पहल की है, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुझाए गए 200-पॉइंट रोस्टर सिस्टम के अनुरूप होगी. इस प्रणाली से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सामान्य और आरक्षित वर्गों के बीच न्यायोचित संतुलन बना रहे, और आरक्षण का लाभ सही तरीके से लोगों तक पहुंचे.

    सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम

    देश के इतिहास में यह पहली बार है कि सुप्रीम कोर्ट के आंतरिक नियमों में इस प्रकार का व्यापक सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने वाला संशोधन किया गया है. यह कदम न केवल न्यायिक समावेशिता को बढ़ावा देगा, बल्कि इसे एक प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट ने अब अपने भीतर भी समाज के हर वर्ग को समान अवसर देने की दिशा में कदम बढ़ाया है.

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