IAS Transfer: छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली सरकार ने बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए 41 भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारियों के तबादले कर दिए हैं. इस फेरबदल में राज्य के 11 जिलों के कलेक्टर भी शामिल हैं, जिससे कई जिलों में प्रशासनिक नेतृत्व पूरी तरह से बदल गया है.
यह फैसला उस वक्त लिया गया जब ठीक एक दिन पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने राज्य के तीन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ पद के दुरुपयोग और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच को प्रभावित करने के आरोप में केस दर्ज किया था. ऐसे में इन तबादलों को लेकर राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है.
बिलासपुर, रायगढ़ और राजनांदगांव में बड़ा बदलाव
बिलासपुर के कलेक्टर अवनीश कुमार शरण को नगर तथा ग्राम निवेश के आयुक्त पद पर भेजा गया है. उनकी जगह राजनांदगांव के कलेक्टर संजय अग्रवाल को बिलासपुर की कमान सौंपी गई है. वहीं, रायगढ़ के कलेक्टर कार्तिकेय गोयल को खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग का संचालक बनाकर वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया है. वहीं अब रायगढ़ के नए कलेक्टर दंतेवाड़ा के मयंक चतुर्वेदी होंगे.
निर्वाचन आयोग और ग्रामीण विकास में भी बदलाव
सारंगढ़-बिलाईगढ़ के कलेक्टर धर्मेश कुमार साहू अब पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में विशेष सचिव होंगे. उनके स्थान पर बालोद के जिला पंचायत सीईओ संजय कन्नौजे को कलेक्टर बनाया गया है. निर्वाचन आयोग के सचिव भूरे सर्वेश्वर नरेंद्र को राजनांदगांव का नया कलेक्टर नियुक्त किया गया है.
इन अधिकारियों का भी हुआ ट्रांसफर
वहीं जांजगीर-चांपा के कलेक्टर आकाश छिकारा अब आवास एवं पर्यावरण विभाग में उप सचिव होंगे. छिकारा की जगह जन्मेजय महोबे को जांजगीर-चांपा का नया कलेक्टर बनाया गया है. दिव्या उमेश मिश्रा बालोद की नई कलेक्टर होंगी. इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल को खैरागढ़-छुईखदान-गंडई का कलेक्टर बनाया गया है. मुंगेली के कलेक्टर राहुल देव को कृषि संचालक पद की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि उनके स्थान पर कुंदन कुमार को नियुक्त किया गया है. नुपूर राशि पन्ना अब कोंडागांव की कलेक्टर होंगी. वहीं कुणाल दुदावत दंतेवाड़ा जिले का कार्यभार संभालेंगे.
प्रशासनिक फेरबदल के अहम मायने
राज्य सरकार के इस कदम को न सिर्फ नियमित प्रशासनिक प्रक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है, बल्कि राजनीतिक और जांच एजेंसियों के दबाव के बीच एक रणनीतिक कदम के रूप में भी देखा जा रहा है. देखना दिलचस्प होगा कि ये बदलाव प्रदेश के प्रशासनिक कामकाज और जनहित में किस हद तक असर डालते हैं.
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