उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच तनाव एक बार फिर तेज़ हो गया है. दक्षिण कोरिया और अमेरिका के साझा सैन्य अभ्यासों से नाराज़ उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने अपने परमाणु कार्यक्रम को और तेज़ी से आगे बढ़ाने की चेतावनी दी है. उन्होंने इन अभ्यासों को "जंग को न्योता देने वाला कदम" बताया है. मंगलवार को उत्तर कोरिया की सरकारी एजेंसी KCNA ने इस संबंध में किम का बयान जारी किया.
अमेरिका और दक्षिण कोरिया इस सप्ताह से ‘Ulchi Freedom Shield’ नामक वार्षिक सैन्य अभ्यास चला रहे हैं, जो कुल 11 दिन तक चलेगा. इसमें दोनों देशों की सेनाएं सामरिक प्रतिक्रिया, परमाणु हमले से रक्षा और साइबर सुरक्षा से जुड़े परिदृश्यों की ट्रेनिंग कर रही हैं. लेकिन उत्तर कोरिया का आरोप है कि ये अभ्यास सीधे तौर पर प्योंगयांग को निशाना बनाकर किए जा रहे हैं. किम जोंग उन ने कहा है कि उनका देश अब अपनी रक्षा क्षमता को और मज़बूत करेगा और परमाणु शस्त्रागार को बढ़ाने की दिशा में काम तेज़ किया जाएगा.
उत्तर कोरिया की परमाणु क्षमता कितनी है?
अमेरिकन साइंटिस्ट्स फेडरेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया के पास इतना परमाणु ईंधन है जिससे वह करीब 90 परमाणु हथियार तैयार कर सकता है. हालांकि, अब तक माना जाता है कि उसने लगभग 50 हथियारों का निर्माण ही किया है. इसके अतिरिक्त, उत्तर कोरिया वर्ष 2026 तक तीसरा 5,000 टन क्षमता वाला विध्वंसक युद्धपोत भी तैयार करने की योजना बना रहा है, जो अत्याधुनिक क्रूज़ और एंटी-एयर मिसाइलों से लैस होगा.
तनाव घटाने की कोशिश या रणनीतिक मजबूती?
दक्षिण कोरिया की ओर से कहा गया है कि इस बार अभ्यास के कुछ हिस्से सितंबर तक टाल दिए गए हैं ताकि उत्तर कोरिया के साथ किसी भी तरह का अनावश्यक टकराव टाला जा सके. यह फैसला राष्ट्रपति ली जे म्युंग की पहल पर लिया गया है, जो पड़ोसी देशों के साथ बेहतर कूटनीतिक रिश्ते चाहते हैं. हालांकि, क्षेत्रीय जानकारों का मानना है कि प्योंगयांग की प्रतिक्रिया से साफ है कि वह इस नरमी को भी संदेह की नज़र से देखता है और उसे अमेरिका की सैन्य रणनीति का हिस्सा मानता है.
वॉशिंगटन में अहम बैठक की तैयारी
इधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली जे म्युंग के बीच जल्द ही वॉशिंगटन में उच्च स्तरीय बैठक होने की उम्मीद है. इसमें उत्तर कोरिया की बढ़ती सैन्य गतिविधियों और परमाणु महत्वाकांक्षाओं को रोकने की रणनीति पर चर्चा की जाएगी.
यह भी पढ़ें: वहां चोट देंगे जहां ज्यादा दुखता है, अमेरिका को हो क्या गया? ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर ने भारत के खिलाफ उगला जहर