गाजा पट्टी एक बार फिर भीषण संकट से जूझ रही है. इजरायल द्वारा हाल ही में घोषित नए सेटलमेंट प्लान के बाद हमलों की तीव्रता में भारी इजाफा हुआ है. इस बीच, संयुक्त राष्ट्र द्वारा गाजा सिटी और उसके आसपास के इलाकों को “अकालग्रस्त क्षेत्र” घोषित किया जा चुका है. बावजूद इसके, इजरायली सेना ने सैन्य कार्रवाई और तेज कर दी है, जिससे आम नागरिकों पर गहरा असर पड़ा है.
शनिवार को गाजा में अलग-अलग इलाकों में हुई हिंसक कार्रवाई में कम से कम 51 फिलिस्तीनी मारे गए. इनमें से 33 लोग एक ही हमले में मारे गए, जब विस्थापितों के टेंट को निशाना बनाया गया. ये लोग मानवीय सहायता लेने निकले थे. इसी दौरान हवाई हमले और फायरिंग की गई.
आम नागरिकों को निशाना बना रहे हमले
अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायली सेना गाजा सिटी के अंदरूनी इलाकों तक पहुंच चुकी है और वहां से लोगों को हटाने का एक संगठित प्रयास चल रहा है. सबरा जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में इजरायली टैंक तैनात हैं, और अल-अहली अस्पताल ने एक बच्चे की मौत की पुष्टि की है. इसके अलावा, खान यूनुस के आसपास के इलाके में भी विस्थापितों के शिविरों पर हमले हुए हैं. मानवीय सहायता के लिए पहुंचे 16 फिलिस्तीनियों की मौत हो गई, जबकि भूख से 8 लोगों ने दम तोड़ दिया. मरने वालों की कुल संख्या 281 हो गई है, जिनमें 114 बच्चे शामिल हैं.
संयुक्त राष्ट्र ने दी चेतावनी, हालात 'नरक' जैसे
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने गाजा की स्थिति को “नरक” बताया है. लगातार बमबारी, खाद्य संकट और विस्थापन के चलते हजारों लोग खुले आसमान के नीचे जीने को मजबूर हैं. गाजा में अब किसी भी तरह की बुनियादी सेवाएं नहीं बची हैं न पीने का पानी, न बिजली, न दवाइयां.
यमन से आया खतरा: ड्रोन हमले की जांच शुरू
इस बीच, इजरायल की वायु सेना ने यमन से लॉन्च हुए एक ड्रोन हमले की जांच शुरू कर दी है. यह ड्रोन कथित तौर पर हूती आतंकवादियों द्वारा भेजा गया था और कई प्रयासों के बाद इसे गिरा दिया गया. हालांकि, ड्रोन का एक हिस्सा गिनाटोन के एक घर के आंगन में आ गिरा, जिससे वहां हल्की क्षति हुई. वायु सेना यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि ड्रोन में क्लस्टर बम मौजूद था या नहीं, और यह ज़मीन पर गिरने की स्थिति में कितना खतरनाक हो सकता था.
अच्छी बात यह रही कि इस हमले में कोई जान नहीं गई, हालांकि कुछ लोगों को मामूली चोटें आई हैं.बेन गुरियन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उड़ानों को कुछ समय के लिए रोका गया था, लेकिन अब वहां से संचालन फिर से शुरू हो गया है. इस हमले ने इजरायल की हवाई सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.
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