यूरोप के कई देशों में बनाए जा रहे बंकर, सेना में तेज हुई भर्ती, क्‍या छिड़ने वाला है तीसरा व‍िश्‍वयुद्ध?

    यूरोप के हालिया घटनाक्रमों को देखकर यह सवाल तेजी से उठने लगा है- क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रही है? फ्रांस, जर्मनी, पोलैंड, स्वीडन, नॉर्वे और ब्रिटेन जैसे प्रमुख यूरोपीय देशों में युद्ध जैसी तैयारियां खुलकर सामने आ रही हैं.

    Is the third world war going to break out
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ FreePik

    पेरिस/बर्लिन/लंदन: यूरोप के हालिया घटनाक्रमों को देखकर यह सवाल तेजी से उठने लगा है- क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रही है? फ्रांस, जर्मनी, पोलैंड, स्वीडन, नॉर्वे और ब्रिटेन जैसे प्रमुख यूरोपीय देशों में युद्ध जैसी तैयारियां खुलकर सामने आ रही हैं. चाहे वो अस्पतालों की तैयारी हो, सैन्य भर्ती अभियान हो या फिर बंकर और सुरंगों का निर्माण, सब कुछ इस ओर इशारा कर रहा है कि यूरोप किसी गंभीर संघर्ष के लिए खुद को तैयार कर रहा है.

    फ्रांस में अस्पताल युद्ध मोड पर

    फ्रांसीसी सरकार ने देश के अस्पतालों को आदेश दिया है कि वे बड़े पैमाने पर घायल सैनिकों की आमद के लिए तैयार रहें. स्वास्थ्य मंत्रालय की योजना के अनुसार 2026 तक फ्रांस को एक ऐसे केंद्र के रूप में विकसित किया जाना है, जो पूरे यूरोप से आने वाले घायलों का इलाज कर सके. खास बात यह है कि यह योजना केवल घरेलू जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नहीं, बल्कि नाटो सहयोगियों के घायल सैनिकों की चिकित्सा व्यवस्था को भी संभालने के लिए बनाई जा रही है.

    यह एक संकेत है कि फ्रांस युद्ध के समय पश्चिमी गठबंधन का मेडिकल हब बन सकता है. फ्रांसीसी अखबारों के अनुसार, यह चेतावनी खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी पर आधारित है, जिसमें एक "बड़े पैमाने की लड़ाई" का अनुमान जताया गया है.

    नाटो का आर्टिकल-5 और युद्ध की चिंगारी

    नाटो (NATO) के अनुच्छेद-5 के अनुसार यदि किसी एक सदस्य देश पर हमला होता है, तो यह पूरे गठबंधन पर हमला माना जाएगा और बाकी सभी देशों को जवाबी कार्रवाई करनी होगी. अगर रूस और किसी नाटो सदस्य के बीच सीधे युद्ध की स्थिति बनती है, तो 30 से अधिक देश उस युद्ध में कूद सकते हैं जिससे विश्व युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो सकती है.

    जर्मनी और पोलैंड की सैन्य तैयारी

    जर्मनी ने 'ऑपरेशन डॉयचलैंड' नामक एक विस्तृत सैन्य योजना तैयार की है, जिसमें 1,000 पन्नों का रोडमैप शामिल है. इस योजना में देशभर में बंकरों और सुरक्षात्मक ढांचों के निर्माण, 8 लाख नाटो सैनिकों की तैनाती और 2 लाख सैन्य वाहनों की आवाजाही जैसे प्रावधान हैं.

    पोलैंड और बाल्टिक देश (एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया) भी इसी प्रकार की तैयारियों में जुटे हैं. इन देशों में सीमाओं के पास खाइयों, सुरंगों और रॉकेट लॉन्चिंग प्लेटफॉर्म बनाए जा रहे हैं. नागरिकों को भोजन, पानी और दवाओं का एक महीने का भंडारण करने की सलाह दी गई है.

    स्वीडन और नॉर्वे में नागरिकों को दिए जा रहे निर्देश

    स्वीडन, नॉर्वे और फिनलैंड जैसे देश आम नागरिकों को युद्ध से बचाव के तरीके सिखा रहे हैं. कई जगहों पर लोगों को युद्धकाल में शरण लेने के लिए गाइडबुक दी जा रही हैं. नॉर्वे ने रूस से लगती सीमाओं के पास के इलाकों को आंशिक रूप से खाली कराना शुरू कर दिया है. वहां के नागरिकों को सुरक्षित पश्चिमी हिस्सों में जाने के लिए कहा जा रहा है.

    महिलाओं की सैन्य भर्ती की तैयारी

    नॉर्वे, स्वीडन और पोलैंड में अब महिलाओं को भी सैन्य प्रशिक्षण में शामिल किया जा रहा है. ब्रिटेन में भी यह मांग तेज हो गई है कि महिलाओं की अनिवार्य सैन्य सेवा शुरू की जाए. यह दिखाता है कि यूरोप अब केवल पुरुषों पर निर्भर नहीं रहना चाहता, समाज के हर वर्ग को युद्ध की तैयारी में शामिल किया जा रहा है.

    रूस की सैन्य गतिविधियां और नाटो की चिंता

    रूस और बेलारूस मिलकर 2025 में ‘जापद’ नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास कर रहे हैं, जिसमें हजारों सैनिकों की तैनाती की जाएगी. जर्मनी के शीर्ष सैन्य अधिकारियों का मानना है कि यह अभ्यास एक बड़े सैन्य हमले की आड़ हो सकता है, हालांकि इस पर कोई ठोस प्रमाण फिलहाल नहीं मिले हैं. बावजूद इसके नाटो देशों को सतर्क कर दिया गया है.

    परमाणु समझौते और नई रणनीतियां

    जुलाई 2025 में ब्रिटेन और फ्रांस के बीच एक ऐतिहासिक परमाणु समझौता हुआ है. इसके तहत यदि तीसरे विश्व युद्ध की स्थिति बनती है, तो दोनों देश अपने परमाणु संसाधनों का समन्वय करके हमले और बचाव की रणनीति अपनाएंगे. यह पहली बार है जब फ्रांस ने किसी अन्य सहयोगी को अपने परमाणु संसाधनों के उपयोग की अनुमति दी है.

    आधुनिक हथियार और परमाणु खतरा

    आज की दुनिया में हथियार 20वीं सदी की तुलना में कहीं ज्यादा घातक हो चुके हैं. यदि कभी भी यह संघर्ष परमाणु मोड़ लेता है, तो परिणाम अकल्पनीय होंगे.

    • वर्तमान में विश्वभर में लगभग 12,200 परमाणु वारहेड्स हैं.
    • रूस के पास अकेले 5,460 और अमेरिका के पास 5,244 वारहेड्स हैं.
    • इनमें से 2,100 से अधिक हाई ऑपरेशनल रेडीनेस पर हैं, यानी कुछ ही मिनटों में लॉन्च हो सकते हैं.

    पर्यावरणीय और मानवीय आपदा की चेतावनी

    वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि बड़े पैमाने पर परमाणु युद्ध हुआ, तो 50 से 150 टेरैग्राम (Tg) कालिख वायुमंडल की ऊपरी परत में पहुंच जाएगी. इससे:

    • तापमान कई वर्षों तक सामान्य से नीचे गिर सकता है
    • वर्षा और धूप की मात्रा घटेगी
    • कृषि, पशुपालन और मत्स्य पालन पूरी तरह से नष्ट हो सकते हैं
    • वैश्विक अकाल और भूख से करोड़ों लोग मारे जा सकते हैं

    क्या है इसका समाधान?

    हालात भले ही तनावपूर्ण हों, लेकिन अभी भी पूर्ण युद्ध की स्थिति नहीं बनी है. कूटनीति, शांतिवार्ता और सहयोग के रास्ते खुले हैं. दुनिया के प्रमुख थिंक टैंक लगातार कह रहे हैं कि युद्ध कोई समाधान नहीं है, बल्कि विनाश का मार्ग है. सहयोग, संयम और समझदारी ही एकमात्र उपाय है जो तीसरे विश्व युद्ध जैसी विभीषिका से बचा सकता है.

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