नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच सीमावर्ती इलाकों में भले ही शांति समझौते की स्थिति हो, लेकिन क्रिकेट मैदान पर दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी बनी हुई है. हाल ही में यह चर्चा तेज हो गई है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) एशिया कप 2025 में भाग नहीं लेने का मन बना रहा है. अगर ऐसा होता है, तो न केवल एशिया कप का आयोजन संकट में पड़ सकता है, बल्कि इससे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) की पहले से जर्जर हो चुकी आर्थिक स्थिति पर और भी गहरा असर पड़ सकता है.
हालांकि, BCCI ने आधिकारिक तौर पर इस पर चुप्पी साध रखी है और बोर्ड के सचिव देवजीत सैकिया ने इन खबरों को खारिज किया है, लेकिन इन संभावनाओं ने क्रिकेट जगत में हलचल जरूर मचा दी है.
भारत की नाराज़गी का कारण क्या है?
पिछले कुछ महीनों में भारत-पाकिस्तान के बीच राजनयिक और सुरक्षा संबंधी तनावों में इज़ाफा हुआ है. खासकर पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के राजनीतिक और सामाजिक माहौल में पाकिस्तान के खिलाफ एक कड़ा रुख देखने को मिला है. इसका असर अब खेल जगत पर भी दिखने लगा है.
BCCI के सूत्रों का कहना है कि भारतीय टीम ऐसे टूर्नामेंट में भाग नहीं ले सकती, जिसका संचालन एक पाकिस्तानी मंत्री द्वारा की जा रही संस्था द्वारा हो रहा हो. दरअसल, वर्तमान में एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) की अध्यक्षता पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी के पास है, जो PCB के चेयरमैन भी हैं. यही वजह है कि BCCI इस संस्था की गतिविधियों से दूरी बना रहा है.
एशिया कप पर मंडराए संकट के बादल
एशिया कप जैसी प्रतियोगिता के लिए भारत का शामिल होना बेहद आवश्यक होता है. इसका कारण सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि व्यावसायिक और वित्तीय पहलू भी हैं. भारत-पाकिस्तान मुकाबले सबसे ज्यादा व्यूअरशिप और ब्रॉडकास्टिंग रेवेन्यू पैदा करते हैं. अगर टीम इंडिया इस टूर्नामेंट से हटती है, तो न केवल मैचों की लोकप्रियता कम होगी, बल्कि आर्थिक नुकसान भी गंभीर होगा.
ब्रॉडकास्टिंग राइट्स पर असर
सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के पास 8 साल के लिए एशिया कप के मीडिया राइट्स हैं, जिसकी कीमत 170 मिलियन डॉलर (करीब 1,400 करोड़ रुपये) है. भारत के नहीं खेलने की स्थिति में इस डील को दोबारा से नेगोशिएट किया जा सकता है, जिससे पूरे रेवेन्यू मॉडल को झटका लग सकता है.
PCB को झेलना पड़ सकता है नुकसान
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड पहले से ही वित्तीय संकट से जूझ रहा है. हाल ही में चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 की मेजबानी के बावजूद भारतीय टीम पाकिस्तान जाने से इनकार कर चुकी है, जिसके चलते PCB को अनुमानित 700 करोड़ पाकिस्तानी रुपये का नुकसान हुआ.
ICC और ACC से मिलने वाले फंड पर खतरा
हर आईसीसी चक्र (4 वर्षों) में PCB को करीब 20-26 मिलियन डॉलर की कमाई होती है, जिसमें एशिया कप और ICC टूर्नामेंट्स से आय शामिल है. अगर भारत जैसे बड़े बाजार की टीम इन टूर्नामेंटों से अलग हो जाती है, तो PCB को मिलने वाली रकम में बड़ी कटौती हो सकती है.
क्रिकेट में BCCI की भूमिका
भारतीय क्रिकेट बोर्ड केवल एक खेल संस्था नहीं, बल्कि क्रिकेट की वैश्विक राजनीति में एक शक्तिशाली खिलाड़ी है. ICC के रेवेन्यू मॉडल के तहत भारत को कुल कमाई का 38.5% हिस्सा मिलता है, जो 230 मिलियन डॉलर से ज्यादा है. इसके मुकाबले पाकिस्तान को केवल 5.7% यानी करीब 34 मिलियन डॉलर मिलते हैं. अगर भारत तय कर ले कि उसकी कमाई से PCB को कोई हिस्सा नहीं दिया जाएगा, तो पाकिस्तान क्रिकेट की कमर टूट सकती है.
PCB को अलग-थलग करने के चार हथियार-
ICC टूर्नामेंट्स में भारत-पाक लीग मैच न खेलना:
BCCI ICC से आग्रह कर सकता है कि लीग चरण में भारत-पाक मैचों को शेड्यूल न किया जाए. अगर दोनों टीमें नॉकआउट में आमने-सामने आती हैं, तो भारत खेलने से मना कर सकता है.
भारत में पाकिस्तानी मैचों का प्रसारण रोकना:
BCCI भारतीय मीडिया हाउस और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को PSL और पाकिस्तानी अंतरराष्ट्रीय मैचों के प्रसारण से रोक सकता है, जिससे पाकिस्तान क्रिकेट को भारी आर्थिक नुकसान होगा.
PSL से जुड़े प्रोफेशनल्स पर IPL में बैन:
अगर कोई कोच, कमेंटेटर या टेक्नीशियन PSL में काम करता है, तो BCCI उन्हें IPL में काम करने से रोक सकता है. इससे PSL का ग्लोबल प्रोफेशनल सपोर्ट कमजोर होगा.
ICC रेवेन्यू शेयरिंग में हिस्सा न देना:
BCCI ICC से यह मांग कर सकता है कि भारत से होने वाली आय का कोई हिस्सा PCB को न दिया जाए. इससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सहभागिता मुश्किल में पड़ सकती है.
PCB की आर्थिक सेहत नाजुक
2021 में PCB के तत्कालीन चेयरमैन रमीज राजा ने खुद यह स्वीकार किया था कि, "ICC की 90% कमाई भारत से होती है. भारत अगर हमें फंडिंग देना बंद कर दे, तो PCB का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा." यह बयान पाकिस्तान क्रिकेट की वित्तीय निर्भरता को पूरी तरह उजागर करता है.
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